भारत में बाय नाऊ पे लेटर (बीएनपीएल) मार्केट अगले 5 वर्षों में 15 गुना तक बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का होने की उम्मीद है। इसका फायदा उठाने के लिए कई फिनटेक कंपनियां काम कर रही हैं। इनमें मोबिक्विक भी शामिल है। दैनिक भास्कर के अजय तिवारी से बातचीत में मोबिक्विक की को-फाउंडर उपासना टाकू ने कहा कि अब 2022 की पहली तिमाही में आईपीओ लाया जाएगा। पेश है बातचीत के मुख्य अंश…
भारत में मोबाइल वॉलेट पेमेंट और बाय नाऊ पे लेटर मार्केट की क्या स्थिति है?
मोबाइल वॉलेट पेमेंट में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। बाय नाऊ पे लेटर की इंडस्ट्री अभी 20-40 हजार करोड़ की है, जो अगले पांच साल में लगभग 12-15 गुना तक बढ़कर 3-5 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है।
भारत में ज्यादा वॉलेट पेमेंट की क्या वजह है?
पहला कारण यह है कि भारत में मोबाइल और मोबाइल डेटा का उपयोग अमेरिका जैसे बड़े देशों के मुकाबले अधिक है। इसके अलावा जहां अमेरिका और अन्य देशों में लोग नेट बैंकिंग या क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करते हैं वहीं भारत में इंटरनेट और क्रेडिट कार्ड की पहुंच सीमित है। अधिकांश आबादी मोबाइल डेटा से ट्रांजेक्शन और अन्य फाइनेंशियल एक्टिविटी करती है।
मोबिक्विक जैसी कंपनियों का टारगेट यूजर और कंज्यूमर बेस क्या है?
मोबिक्विक जैसी फिनटेक कंपनियों के लिए मुख्य टारगेट वह यूजर है, जिसका सरकारी बैंकों में खाता है लेकिन उसकी पहुंच डिजिटल वित्तीय सेवाओं तक नहीं है। जिसे क्रेडिट कार्ड नहीं मिलता या जिसके पास क्रेडिट कार्ड नहीं है। इन यूजर्स को हम पहले वॉलेट पेमेंट के जरिए अपने प्लेटफार्म पर लाते हैं फिर उनकी केवायसी, सिबिल और क्रेडिट ब्यूरो के डेटा के आधार पर हम 4-5 हजार से लेकर 40-50 हजार तक की क्रेडिट लिमिट देते हैं।
दिवाली के समय आप आईपीओ लाने वाले थे, इसे टाला क्यों?
हम जल्दबाजी में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। अप्रैल से दिसंबर तक के डेटा का ऑडिट करने के बाद अगले साल की शुरुआत में मार्केट में आएंगे। अप्रैल से दिसंबर तक हमारी मार्केट ग्रोथ अच्छी रही है और प्रॉफिट भी अच्छा रहा है।
पेटीएम का आईपीओ ठंडा रहा। क्या उससे आपने कोई सबक लिया?
सबक तो यही लिया कि संयम रखके सही टाइम पर आईपीओ लाना चाहिए। जब हम इन्वेस्टर्स के सामने आएंगे तो उन्हें पता लगेगा कि यह कंपनी अलग है, यह पेटीएम जैसी नहीं है।