समंदर और मिट्टी में प्लास्टिक कचरे को हजम करने वाले सूक्ष्मजीवियों का पता चला है। माइक्राेबियल इकोलॉजी में प्रकाशित नए शोध में खुलासा हुआ है कि ऐसे लगभग 30 हजार से ज्यादा सूक्ष्मजीवी मिले हैं, जो प्लास्टिक कचरे को खा जाते हैं। ये नतीजे दुनियाभर के 236 से अधिक स्थानों पर शोध के बाद सामने आए हैं। वैज्ञानिकों ने विभिन्न डीएनए के 20 करोड़ से अधिक जीन का अध्ययन किया। इसमें सामने आया कि 30 हजार ऐसे सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, जो कि लगभग 10 तरह के प्लास्टिक को डीग्रेड कर देते हैं।
नए आंकड़े प्लास्टिक रीसाइकिलिंग की दिशा में एक अहम कदम भी साबित हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि दुनियाभर में पाए जाने वाले हर चार में से एक सूक्ष्मजीवी बैक्टीरिया में प्लास्टिक को हजम करने की क्ष्मता होती है। स्वीडिश यूनिवर्सिटी के प्रो. एलिकसेज जैलिज्नेक के अनुसार ये एक बड़ी खाेज है तो ये दिखाती है कि जब मानव ने पृथ्वी पर प्लास्टिक कचरे को फेंकना शुरू किया तो किस प्रकार से प्रकृति ने अपने हिसाब से इससे निपटने की रणनीति तैयार की।
प्लास्टिक खाने वाले लगभग 30 हजार सूक्षमजीवों का विकास इसी का नतीजा है। प्रोफेसर जैन जरीमैक का कहना है कि हम इतनी बड़ी संख्या में मिले प्लास्टिक खाने वाले सूक्ष्मजीवों के मिलने से चकित हैं। हम प्रकृति में पाए गए सूक्ष्मजीवियों को अब प्रयोगशाला में विकसित करेंगे, जिससे कि प्लास्टिक कचरे का और तेजी से निस्तारण किया जा सकेगा।
70 साल में ये कचरा 20 लाख टन से 38 करोड़ टन हुआ
आज दुनिया में समुद्र की गहराई से लेकर माउंट एवरेस्ट तक प्लास्टिक कचरा पाया जाता है। माइक्राेबियल इकोलॉजी जर्नल में प्रकािशत शोध के अनुसार 70 साल पहले जहां सालाना 20 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता था, अब ये 38 करोड़ टन सालाना पैदा होता है।