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महाअघाड़ी गठबंधन में दरार! शिवसेना ने सामना में लिखा- ‘कांग्रेस की हालत जर्जर महल की तरह’

महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी के महाअघाड़ी गठबंधन में दरार के संकेत मिल रहे हैं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने सामना के संपादकीय में कांग्रेस पर निशाना साधा है. सामना में लिखा है कि अब कांग्रेस की हालत एक जर्जर महल की तरह हो गई है. इतना ही नहीं सामना में दावा किया गया है मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र के मुसलमान सिर्फ शिवसेना को वोट देते हैं. 

‘मुंबई-महाराष्ट्र के मुसलमान शिवसेना के साथ’

संपादकीय में लिखा है, ”कांग्रेस की वर्तमान अवस्था गांव में जमींदारी गंवा चुके जर्जर महल की तरह हो रही है. ऐसा विश्लेषण शरद पवार जैसे नेता ने किया है. इसकी वजह से उनकी आलोचना हुई थी. मुस्लिम और दलित मतों की भरपूर जमा-पूंजी जमींदारी का फल था. इन्हीं मुस्लिम-दलितों की ‘नकदी’ के कारण कांग्रेस का महल मजबूत और आलीशान लगता था. आज ये दोनों खनखनाते सिक्के कांग्रेस की मुट्ठी से छूट गए और उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में कांग्रेस का पतन हुआ है. मुंबई-महाराष्ट्र के मुसलमान खुलकर शिवसेना को वोट देते हैं.”

‘कांग्रेस ने पीड़ित मुसलमान महिला के अधिकार को खारिज किया’

सामना में आगे लिखा है, ”मुसलमानों के मतों के लिए फालतू व्यर्थ दुलार न करने वाली शिवसेना को मुस्लिम समाज अपना माने, यह कांग्रेस जैसी सेकुलर पार्टी के लिए चिंतन का विषय है. राम की तुलना में बाबर की भक्ति में शासकों के लीन होने पर लोगों के असंतोष में विस्फोट हुआ और कांग्रेस उसमें जलने लगी. इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता है. शाहबानो प्रकरण में कांग्रेस ने पीड़ित मुसलमान महिला के अधिकार को खारिज कर दिया और शरीयत में न्यायालय ने हस्तक्षेप किया, ऐसा मानकर संविधान संशोधन किया. यह कुछ लोगों को नहीं जंचा, लेकिन मोदी सरकार ने बेखौफ होकर तीन तलाक विरोधी कानून बना कर पीड़ित मुसलमान महिलाओं को ढाढ़स दिया.”

‘सवर्ण बीजेपी के हिंदुत्ववाद की थाली बजाते हैं’

शिवसेना ने लिखा, ”कांग्रेस को सिर्फ मुसलमान और ईसाइयों की ही चिंता है. अल्पसंख्यकों के चोंचलों को पूरा करना यही कांग्रेस की नीति है, ऐसी सोच लोगों में आज भी मजबूती से बैठी हुई है. इसे दूर करना होगा. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में प्रियंका गांधी ने एक नया दांव खेला है, लेकिन वहां मुसलमान व दलित अखिलेश यादव, मायावती का साथ देते हैं तो सवर्ण बीजेपी के हिंदुत्ववाद की थाली बजाते हैं, यह वास्तविकता ही है. कभी किसी समय देश में मुसलमान, दलित वोट बैंक की राजनीति होती थी और हिंदुओं के मन को नकार दिया जाता है, ऐसी भावना तीव्र थी. आज हिंदू वोट बैंक की राजनीति सफल हो रही है. बीजेपी उसी का ‘खा’ रही है.

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