एक साल से ज्यादा चले किसान आंदोलन के इतिहास में शनिवार का दिन ऐतिहासिक रहा। कृषि कानूनों की वापसी और अन्य मांगों पर सहमति बनने के बाद जीत का जश्न मना रहे किसान घरों को लौटे। बहादुरगढ़ में टीकरी बॉर्डर से बड़े काफिले के रूप में किसानों की घर वापसी हुई।
टीकरी बॉर्डर पर करीब 70% से ज्यादा हिस्से में किसानों ने डेरा डाला हुआ था, लेकिन 2 दिन के अंदर आंदोलनरत किसानों ने अपना सामान समेट लिया। कुछ किसान अभी भी सामान समेटने में लगे हुए हैं। शुक्रवार शाम को अधिकांश किसान पंजाब की तरफ रवानगी कर चुके हैं।
वहीं किसानों की घर वापसी को लेकर हरियाणा पुलिस ने अलर्ट जारी किया है। पंजाब की तरफ जाने वाले हरियाणा के तमाम रास्तों पर पुख्ता प्रबंध किए गए है। बहादुरगढ़ और सोनीपत में आम लोगों को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए शनिवार शाम तक कुछ स्थानों पर रूट भी डायवर्ट किया गया है।
टीकरी बॉर्डर पर सामान समेटने के बाद सड़क की सफाई करते किसान।
शाम का लंगर बठिंडा में
बहादुरगढ़ के टीकरी बॉर्डर से रवाना होने वाले किसानों का दोपहर का लंगर रास्तों में पड़े वाले टोल प्लाजा और टोहाना में होगा। शाम का लंगर बठिंडा में चखने के बाद किसान घरों तक पहुंच जाएंगे। इसके बीच में पड़ने वाले कटार सिंह, गुरुद्वारा बंगा साहिब, गुरुद्वारा साहिब, गुरुद्वारा तलवंडी साबो में भी किसानों के लिए व्यवस्था की गई है। टीकरी बॉर्डर से किसान दो काफिलों के रूप में रवाना होंगे। एक जींद की तरफ से पटियाला और दूसरा हांसी-हिसार होते हुए बठिंडा की तरफ रवाना होगा।
बनाए जा रहे पकवान
घर लौट रहे किसानों के भव्य स्वागत की तैयारियां की गई है। कुछ जगह ड्रोन से फूल बरसाए जाएंगे। इतना ही नहीं टोल प्लाजा पर किसानों के लिए पकवान भी बनाए जा रहे है, जिसमें खीर, हलवा-पूरी, जलेबी और रोटी सब्जी शामिल हैं। इतना ही नहीं जश्न मनाने के लिए टोल प्लाजा पर डीजे का भी इंतजाम किया गया है। किसानों के काफिले के आगे लीडरशिप की गाड़ियां होंगी।
टीकरी बॉर्डर से रवाना होने से पहले किसान।
इन चार रूट पर जाने से बचें
– टिकरी बॉर्डर से रोहतक, गोहाना, जींद, उचाना, नरवाना और फिर पंजाब में पटियाला।
– टिकरी बॉर्डर से रोहतक, हिसार, फतेहाबाद, रतिया या टोहाना और फिर पंजाब के बठिंडा।
– कुंडली बॉर्डर से पानीपत, करनाल, अंबाला, शंभू बॉर्डर होते हुए पंजाब पहुंचेंगे।
– कुंडली बॉर्डर से बहालगढ़, सोनीपत, गोहाना, जींद, उचाना, नरवाना और फिर पटियाला।