पंजाब के जय किसान आंदोलन से जुड़ी रविंद्रपाल कौर SKM की एकमात्र महिला सदस्य हैं, जो पुरुष किसान नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ीं और आंदोलन को सफलता की दिशा में लेकर गईं। इस दौरान रविंदरपाल कौर ने अनेक महिलाओं को अपने साथ जोड़ा। उनको खेती किसानी के बारे में जागरूक किया और खुद को किसान मानते हुए आंदोलन में महिलाओं का नेतृत्व किया।
इस मिशन को पाने के लिए रविंद्रपाल कौर 1 साल में मात्र 17 दिन ही अपने घर गईं, बाकी पूरा साल किसानों को जागरूक करने में, आंदोलन को आगे बढ़ाने में और सफलता की दिशा में ले जाने के लिए व्यतीत किया।
सवाल : महिला होने के वाबजूद आंदोलन से कैसे जुड़ीं?
रविंद्रपाल : पंजाब के फरीदकोट की रहने वाली हूं। किसान की बेटी हूं। खुद किसानी करती हूं। मेरा पूरा परिवार किसानी से जुड़ा हुआ है। किसानों के दर्द को इसलिए मैं भली भांति समझती हूं।
सवाल : कब से किसान आंदोलन से जुड़ी हो?
रविंद्रपाल : मैं पिछले काफी समय से मंदसौर से चल रही हूं। मंदसौर वाले समय से मैं साथ हूं। सेवा सिंह टिकरी वाले से, जो किसानों का काफिला चला था, जिसे बहादुरगढ़ में सिरसा वाले के कार्यक्रम की वजह से जो रोक दिया गया था। तब से जय किसान आंदोलन में जुड़ी हुई हूं।
सवाल : इस आंदोलन में कितने समय शामिल रहीं?
रविंद्रपाल : 26 नवंबर को जैसे ही किसान आए थे, मैं 3 दिसंबर को पहुंच गई थी। शुरुआत में साढ़े 4 महीने लगातार बॉर्डर पर रही। इसके बाद अब तक सिर्फ 17 दिन के लिए (एक/डेढ़ महीने बाद कभी एक तो कभी दो दिन) घर गई हूं। मोर्चा की सभी मीटिंग को अटेंड किया है।
सवाल : आंदोलन में किसानों के सामने क्या कठिनाइयां आईं?
रविंद्रपाल : बहुत बार ऐसा समय आता था कि जब वह बिल्कुल बैठ जाते थे। अब क्या करें। कुछ समझ नहीं आता था, लेकिन किसान के साथ उसकी जमीन छिनने से बड़ा धक्का और कुछ नहीं हो सकता था। इसलिए गिरे चढ़े, फिर गिरे फिर चढ़े और चींटी की तरह दोबारा चढ़ने की ताकत अंदर से मिलती थी। आज सफलता पा ली।
SKM की बैठक महिलाओं को सम्मानित किया गया।
सवाल : आगे क्या मिशन रहेगा?
रविंद्रपाल : अब एमएसपी के लिए आगे की लड़ाई जारी रखेंगे। पहले कमेटी के निर्णय का इंतजार रहेगा। बात सिरे नहीं चढ़ी तो आंदोलन होगा।
सवाल : परिवार में कौन-कौन हैं और उनसे दूरी कैसे बिताई?
रविंद्रपाल : परिवार में एक बेटी, जमाई है। 2 दोहते हैं। जब आंदोलन में आई तो छोटा 2 महीने का था। उसके जन्मदिन पर भी नहीं पहुंच पाई। कोरोना काल से दूसरा दोहता हुआ, लेकिन उसके साथ समय नहीं बिता पाई। नानी दोहते के प्यार को भी काफी मिस किया है।
सवाल : यहां आने से कोई काम प्रभावित हुआ?
रविंद्रपाल : घर पर कृषि के अलावा प्री-वेडिंग का कारोबार भी है। इसको करने के लिए पूरे परिवार के सदस्यों को काम करने जरूरत होती है, पर उससे ज्यादा जरूरत किसानों का सहयोग देने की थी। जो जज्बे के साथ पूरा किया।