कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट दुनिया के 30 से अधिक देशों में दस्तक दे चुका है। कई देशों ने लाेगों को वैक्सीन का बूस्टर डोज लगाकर ओमिक्रॉन से लड़ने की तैयारी कर ली है। भारत में भी ओमिक्रॉन आ चुका है, लेकिन टीकाकरण की रफ्तार धीमी पड़ने से पिछड़ने की स्थिति बन रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने तय किया है कि दिसंबर 2021 तक सभी (करीब 94 करोड़) वयस्क आबादी को दोनों डोज लगा दी जाएंगी।
गणित ये कहता है
वैक्सीनेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि इस महीने यह लक्ष्य पाना मुश्किल है। 2 दिसंबर तक के आंकड़े देखें तो देश में 79.36 करोड़ लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं। इनमें से 46.38 करोड़ दोनों डोज, जबकि करीब 33 करोड़ सिर्फ एक डोज लगवा पाए हैं। 15 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने एक भी डोज नहीं लगवाई है। ऐसे में सरकार को अभी करीब 63 करोड़ डोज की जरूरत है। वर्तमान में देश में हर दिन औसतन 80 लाख डोज लगाई जा रही है। इस अनुसार इतने डोज लगाने में करीब 78 दिन और लग जाएंगे।
भारत में भी 40 से ऊपर के लोगों को बूस्टर डोज लगाया जाए: इन्साकॉग
इस बीच, देश में सॉर्स-कोव-2 जीनोमिक्स कन्सोर्टियम (इन्साकॉग) के शीर्ष वैज्ञानिकों ने अनुशंसा की है कि ओमिक्रॉन से बचने के लिए भारत में भी 40 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर डोज लगाया जाए। वैज्ञानिकों ने उच्च जोखिम वाली 40 साल से ज्यादा की आबादी को प्राथमिकता के साथ बूस्टर डोज देने की सिफारिश की है। मालूम हो, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी कोविशील्ड को बूस्टर डोज के तौर पर लगाने के लिए दवा नियामक से मंजूरी मांगी है। कंपनी ने कहा कि देश में पर्याप्त संख्या में वैक्सीन उपलब्ध है।
मांडविया बोले: एक्सपर्ट कमेटी का निर्णय अंतिम होगा
इधर, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि देश में बूस्टर डोज और बच्चों को वैक्सीन लगाने या नहीं लगाने का फैसला पूरी तरह से एक्सपर्ट कमेटी (एनटागी और नेगवैक) के निर्णय के आधार पर वैज्ञानिक तरीके से लिया जाएगा। सरकार किसी प्रकार की जल्दबाजी में नहीं है। बूस्टर डोज या बच्चों की वैक्सीन का फैसला राजनीतिक नहीं होगा।
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