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एहतियात:ओमिक्रॉन के असर से निपटने में जुटीं इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो कंपनियां, कई कंपनियों से स्टॉक बढ़ाना शुरू किया

कोरोना की पहली दो लहरों के दौरान नुकसान उठाने वाली ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की आमद के साथ ही संभावित दिक्कतों से निपटने की तैयारी में जुटी हैं। कई कंपनियों ने कच्चे और तैयार माल का स्टॉक बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा सप्लाई की दिक्कत से निपटने के लिए 1-2 महीने की जरूरतों के लिए अतिरिक्त ऑर्डर भी दिए जा रहे हैं।

भारतीय कंपनियां दूसरे देशों से मंगवाती है कंपोनेंट्स
भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स और ऑटो कंपनियों के लिए कई छोटे-बड़े कंपोनेंट्स का आयात चीन, ताइवान, हॉन्गकॉन्ग और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से होता है। कई कंपनियां तैयार माल भी इन देशों से आयात करती हैं।

कंपनियों को डर है कि पिछले बार की तरह वायरस का संक्रमण बढ़ने पर ये देश अचानक बंदरगाह, एयरपोर्ट और कारखानों को बंद कर सकते हैं। इसकी वजह से इंडस्ट्री के प्रोडक्शन में और इन्वेंटरी के प्रबंधन में दिक्कत आ सकती है। कंपोनेंट की किल्लत से पहले ही देश की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों का प्रोडक्शन 15-20% घट गया है।

चुनिंदा पुर्जों की इन्वेंटरी भी बढ़ाई जा रही
देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने दैनिक भास्कर से कहा, ‘हम पिछले अनुभवों से सबक लेकर सक्रिय रूप से सप्लायर्स को जोड़ रहे हैं। इसके अलावा चुनिंदा पुर्जों की इन्वेंटरी भी बढ़ाई जा रही है।’ जहां तक देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की बात है, यह फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में है।’

कोई चांस नहीं लेना चाहते
गोदरेज अप्लायंसेज इन्वेंटरी लेवल एक माह की जगह दो माह करेगी। ओमिक्रॉन की वजह से शिपिंग चार्ज और बढ़ेंगे। इसके अलावा सप्लाई भी बाधित होने की आशंका है। इसके चलते हम कोई चांस नहीं लेना चाहते।

फिक्की ने केंद्र से सोच-समझकर कदम उठाने के लिए कहा
भारतीय उद्योग जगत की प्रतिनिधि संस्था फिक्की ने सरकार से कहा है कि वह ओमिक्रॉन वैरिएंट की दहशत में बगैर-सोचे समझे कोई कदम न उठाए। फिक्की के मुताबिक, जल्दबाजी में उठाए गए किसी भी कदम से दहशत का माहौल बनेगा। कोविड-19 महामारी की पहली दो लहरों के बीच लॉकडाउन की वजह से देश की आर्थिक गतिविधियों को काफी नुकसान हुआ था।

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