देश में 3 साल में प्रति व्यक्ति आय में करीब 3000 रुपए ही इजाफा हुआ। ये खुलासा संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार की ओर से दिए गए जवाब से हुआ है। सांख्यिकी- कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार ने बीते 3 साल में राज्यवार प्रति व्यक्ति आय का हिसाब-किताब रखा है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्राें में प्रति व्यक्ति आय में कितना अंतर है। इसे पाटने के लिए सरकार ने कौन से कदम उठाए हैं।
इनके जवाब में सरकार ने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 से लेकर 2020-21 के बीच प्रति व्यक्ति आय में करीब 3000 रुपए का इजाफा हुआ। 2018-19 में प्रति व्यक्ति आय 1,25,883 रु. थी। वर्ष 2019-20 में करीब 9000 रु. बढ़कर आय 1,34,186 रु. हो गई थी। इसके बाद कोरोना के आने से वित्त वर्ष 2020-21 में आय करीब 6000 रुपए गिरकर 1,28,829 रुपए सालाना बची। जब जीएसटी योगदान और प्रति व्यक्ति आय की तुलना की तो सामने आया कि जीएसटी में 14% अंश देने वाले महाराष्ट्र की 5 साल में आय 37% बढ़ी। 2% अंश देने वाले एमपी की आय 66% बढ़ी।
5 साल में गुजरात की आय 53% बढ़ी, जीएसटी में हिस्सा 7.3%
4934 यात्री ट्रेनों में लगे सीसीटीवी कैमरे
भाजपा सांसद मेनका गांधी के सवाल के जवाब में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि देश में 4934 यात्री रेलगाड़ियों में अब तक सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं। साथ ही देश के 838 स्टेशनों पर भी सीसीटीवी कैमरे लगे। सबसे ज्यादा 1104 सीसीटीवी रेलवे के पश्चिम जोन में लगाए गए। इनके लगने से अपराधों में कमी के बारे में वैष्णव ने बताया कि 2018 से 2020 के दौरान अपराधों में कमी आई है।
गूगल और फेसबुक के राजस्व पर निगरानी का अभी कोई कानून नहीं
कांग्रेस के सांसद शशि थरूर की ओर से पूछा गया कि क्या सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से गुगल और फेसबुक जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की राजस्व वसूली पर निगरानी का कोई प्रस्ताव है। इसके जवाब में बताया गया कि सरकार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बढ़ते जोखिम के प्रति सजग है।
सोशल मीडिया इंटरमीडिएटरीज के साथ सरकार काम कर रही है। लेकिन फिलहाल सरकार की ओर राजस्व अधिनियमन को कोई प्रस्ताव नहीं है। ऑस्ट्रेलिया की तर्ज पर गूगल और फेसबुक को समाचार भुगतान के बारे में सरकार की ओर से कहा गया कि इंटरमीडिएटरीज के साथ कार्य जारी है।