प्रदेश में एक बार फिर कोरोना का खतरा बढ़ने लगा है। गुरुवार को 29 नए केस मिले हैं। ये 121 दिन के सर्वाधिक हैं। गुड़गांव में सबसे ज्यादा 19 केस मिले। वहीं, नए वैरियंट ‘ओमिक्रॉन’ की भारत में भी एंट्री हो चुकी है। इसके चलते कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बढ़ गई है। लेकिन, दूसरी लहर के तमाम सबक के बावजूद इससे निपटने के लिए हरियाणा की तैयारियां पर्याप्त नहीं दिख रही हैं।
दूसरी लहर के दौरान अप्रैल-मई में सरकार ने खास प्लान बनाया था, ताकि तीसरी लहर को रोका जा सके। इसके तहत नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने थे, बेड्स बढ़ाने थे, बच्चों के लिए विशेष इंतजाम करने थे। लेकिन, 6 माह बाद भी ये अधूरे हैं। 126 नए ऑक्सीजन प्लांट में से अब तक 92 ही लग पाए हैं। इनमें भी ज्यादातर चालू नहीं हो पाए हैं। बच्चों के लिए सिर्फ 664 वेंटिलेटर हैं। यही नहीं, दूसरी लहर में पानीपत में बना 500 बेड्स का अस्थाई अस्पताल गिरा दिया। हिसार में 500 बेड्स का अस्थाई अस्पताल आधा ही बचा है।
अभी ये व्यवस्थाएं
बच्चों के लिए 8 जिलों में पीकू, 1 जिले में निक्कू वार्ड नहीं। 4 जिलों में ऑक्सीजन बेड भी अलग से तय नहीं।
निर्देश: टेस्टिंग 40 हजार होगी
पानीपत: 500 बेड का अस्पताल 18 दिन चला, अब गिराया जा रहा
दूसरी लहर के आखिरी समय में पानीपत रिफाइनरी में बनाए गए 502 ऑक्सीजन बेड के गुरु तेगबहादुर कोविड संजीवनी अस्पताल से मेडिकल बेड हट चुके हैं। एसी प्लांट समेटा जा चुका है। 18.65 करोड़ रुपए में बना कोविड अस्पताल 18 दिन तक चला था, जिसमें 48 कोरोना मरीजों का इलाज हुआ। जब यह अस्पताल बना, तब भी इसकी टाइमिंग को लेकर सवाल उठे थे। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने के समय यह अस्पताल बना था। अब इसके टूटने पर भी सवाल उठ रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक डॉक्टर ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए कोई सरकारी इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं।
हिसार:500 बेड का अस्पताल अब 200 बेड के साथ 31 तक चलेगा
हिसार में जिंदल मॉडर्न स्कूल में 28 करोड़ रु. की लागत से 500 बेड्स का अस्थाई अस्पताल बनाया था। यहां महज 250 मरीज उपचाराधीन रहे। नवंबर में अनुबंध खत्म होते ही डीजीएचएस के आदेश पर इसे आधा समेट दिया है। सिर्फ 200 ऑक्सीजन बेड्स के साथ 31 दिसंबर तक ए ब्लॉक की सेवाएं स्टैंडबाय मोड पर रहेंगी। सरकारी अस्पतालों को वेंटिलेटर उपलब्ध कराए थे। सिर्फ आधे वेंटिलेटर प्रयोग में लाए जा सके थे। अब 30 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। सिविल अस्पताल में बच्चों के लिए अलग से आईसीयू व एचडीयू स्थापित होना है, जिसके लिए उपकरण पहुंच चुके हैं, पर अभी रेडी टू यूज नहीं हैं।