देर से ही सही, आखिर न्याय मिला। अमेरिका में मिसौरी की जेल में बंद केविन स्ट्रिकलैंड बीते हफ्ते बरी हो गए। उन्हें उन तीन लोगों की हत्या के जुर्म के लिए सजा सुनाई गई थी, जो उन्होंने की ही नहीं थी। बगैर अपराध के ही उनका 40 साल से ज्यादा समय जेल में गुजर गया। अब जब वह आजाद हुए तो अनजान लोगों ने उनकी आर्थिक मदद के लिए ऑनलाइन अभियान चलाया है, ताकि वह समाज में दोबारा सम्मानपूर्वक अपनी जिंदगी बसर कर सकें। यह मुहिम रंग भी ला रही है। करीब 20 हजार लोग उनके लिए अब तक 14.5 लाख डॉलर (करीब 10.7 करोड़ रुपए) जुटा चुके हैं।
मिसौरी की अपीलीय अदालत ने बीते हफ्ते रिहाई का आदेश दिया। अदालत ने पाया कि स्ट्रिकलैंड को दोषी ठहराने के लिए सबूत नाकाफी थे। फैसला बदल जाने के बावजूद केविन मुआवजे के हकदार नहीं हैं। वजह है कि राज्य गलत फैसले की वजह से कारावास की सजा भुगतने वाले केवल उन्हीं लोगों को भुगतान की अनुमति देता है, जिन्हें डीएनए साक्ष्य के माध्यम से दोषमुक्त किया गया हो।
स्ट्रिकलैंड कहते आए हैं कि उनका 1978 में हुई उन हत्याओं से कोई लेना-देना नहीं था। घटना के वक्त वह घर पर टीवी देख रहे थे। गोलीबारी में बचने वाली मुख्य गवाह ने कई साल अपनी गवाही को टालने की कोशिश की। उसका कहना था कि पुलिस का दबाव डाल रही थी। स्ट्रिकलैंड ने बरी होने पर कहा कि वह ‘ईश्वर के शुक्रगुजार हैं।’
न बैंक खाता है, न ही पहचान का कोई दस्तावेज बचा
केविन के बरी होने पर चंदा जुटाने के लिए मिडवेस्ट इनोसेंस प्रोजेक्ट के रोजो बुशनेल ने अभियान चलाया है। उनका कहना है कि केविन के पास न तो बैंक खाता है, न फोन नंबर और न ही पहचान का कोई सरकारी दस्तावेज। फिलहाल वह अपने भाई के घर रह रहे हैं। उन्हें जल्द ही राशि मिल जाएगी।