केंद्र के कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद भी एक साल पूरे होने पर पहले से निर्धारित मार्च निकालने का किसानों ने ऐलान किया है। किसानों का कहना है कि संसद में अधिकारिक रूप से कानून वापसी के बाद भी किसानों की अन्य मांगों पर सरकार को विचार करना होगा। किसानों के इस ऐलान से पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अगर मार्च निकालने पर किसान अड़े रहते हैं तो सुरक्षा को लेकर पुलिस की चिंता लाजिमी है।
दरअसल, प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद एमएसपी मांग को लेकर आगे की रणनीति तय हो रही है। मार्च की तैयारी भी की जा रही है। ऐसे हालात में दिल्ली पुलिस की क्या रणनीति होगी, इसे लेकर मंथन शुरू हो गया है। चूंकि कम दिन बचे हैं, लिहाजा बातचीत से लेकर सुरक्षा व्यवस्था सभी को लेकर उच्चाधिकारियों की बैठक हुई। हालांकि, इस संबंध में पुलिस का क्या रुख है और मार्च को लेकर किसानों से उनकी कोई बात हुई है या नहीं, फिलहाल इसपर कोई अधिकारिक बयान पुलिस की तरफ से नहीं दिया गया।
सिंघु बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ी
सिंघु बार्डर पर धरनारत किसानों की संख्या में मंगलवार को भी इजाफा देखने को मिला। यहां मौजूद किसान आंदोलन के एक वर्ष पूरा होने पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की तैयारी करते नजर आए। छोटे-छोटे समूह गठित किए गए हैं। साथ ही सिंघु बार्डर के आसपास के किसान एवं अन्य लोग अपनी एकता एवं समर्थन दिखाने के लिए धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं।
ट्रैक्टरों की सूची तैयार की जा रही है
लंबे समय तक आंदोलन खिंच जाने के कारण खाली होने लगे किसानों के शिविरों में फिर से हलचल हो रही है। अमृतसर से मंगलवार को सिंघु बार्डर पहुंचे जसपाल सिंह ने बताया कि गांवों में सरकार के निर्णय से खुशी का माहौल है। चूंकि खेती किसानी का समय है, इसलिए किसानों का हुजूम नहीं आ पा रहा है।
गौरतलब है कि किसान संगठनों ने संसद मार्च का आयोजन किया है। सभी प्रमुख किसान नेताओं के पहुंचने के बाद मार्च की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सिंघु बार्डर पर एक टीम ट्रैक्टरों की मरम्मत के काम में जुटी है। साथ में ट्रैक्टरों की सूची तैयार की जा रही है। ट्रैक्टर पर सवार लोगों के बारे में भी रजिस्टर बनाया जा रहा है।
टीकरी बॉर्डर पर भी टेंट में चहल पहल बढ़ी
टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां कुछ दिन पहले वाली खामोशी अब खत्म हो गई है। यहां स्टेज पूरी तरह से सज गया है तो टेंट भी गुलजार हो गए हैं। किसानों के छोटे-छोटे समूह दोबारा से भजन-कीर्तन में लिप्त नजर हा रहे हैं। लंगर लगाने वालों की तादात भी बढ़ गई है।
कुछ दिन पहले टेंट में भीड़ कम होने लगी थी, रोजाना होने वाली गतिविधियां भी कम थीं। लेकिन, सरकार द्वारा कृषि कानून को वापस लेने के ऐलान के बाद यहां दोबारा से सरगर्मी शुरू हो गई है। लोगों में जोश लौट आया है और इनकी संख्या में सरकार के ऐलान के बाद से लगातार इजाफा हो रहा है। हालांकि, इनमें से ज्यादातर को यह मालूम नहीं है कि आगे क्या करना है।