शेयर बाजार की रिकॉर्ड तोड़ रैली में शेयरों की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। ऐसे में निवेशक अपने पोर्टफोलियो को संतुलित करने के लिए उसे डाइवर्सिफाई कर रहे हैं। इसके चलते गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में उनका निवेश बढ़ा है। जून में गोल्ड ETF फोलियो की संख्या मंथली बेस पर 9.83% बढ़कर 18.32 लाख पर पहुंच गई।
बीते 6 महीनों में गोल्ड ETF फोलियो 41% बढ़े
बीते 6 महीनों में गोल्ड ETF फोलियो की संख्या में 41% का उछाल आया है। दिसंबर 2020 में गोल्ड ETF के फोलियो की संख्या 12.99 लाख थी। जून में फोलियो की संख्या में वृद्धि ऐसे समय हुई है, जब पूरे महीने में 24 कैरेट सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 47 हजार रुपए से ऊपर बनी रही। इसके अलावा जून 2021 तक गोल्ड ETF का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) भी 16,225 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
इस साल ऐसे बढ़ा गोल्ड ETF में निवेश
महीना | निवेश |
जनवरी | 625 करोड़ रु. |
फरवरी | 491 करोड़ रु. |
मार्च | 662 करोड़ रु. |
अप्रैल | 680 करोड़ रु. |
मई | 288 करोड़ रु. |
जून | 360 करोड़ रु. |
सोने में सीमित निवेश फायदेमंद
रूंगटा सिक्योरिटीज के सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर हर्षवर्धन रूंगटा कहते हैं भले ही आपको सोने में निवेश करना पसंद हो तब भी आपको इसमें सीमित निवेश ही करना चाहिए। एक्सपर्ट के अनुसार कुल पोर्टफोलियो का सिर्फ 10 से 15% ही सोने में निवेश करना चाहिए। किसी संकट के दौर में सोने में निवेश आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता दे सकता है, लेकिन लंबी अवधि में यह आपके पोर्टफोलियो के रिटर्न को कम कर सकता है। बीते 10 सालों की बात करें तो सोने ने सालाना औसतन 10% का रिटर्न दिया है।
क्या है गोल्ड ETF?
यह एक ओपन एंडेड म्यूचुअल फंड होता है, जो सोने के गिरते-चढ़ते भावों पर आधारित होता है। ETF बहुत अधिक कॉस्ट इफेक्टिव होता है। एक गोल्ड ETF यूनिट का मतलब है कि 1 ग्राम सोना। वह भी पूरी तरह से प्योर। यह गोल्ड में इन्वेस्टमेंट के साथ स्टॉक में इन्वेस्टमेंट की फ्लेक्सिबिलिटी देता है। गोल्ड ETF की खरीद-बिक्री शेयर की ही तरह BSE और NSE पर की जा सकती है। हालांकि इसमें आपको सोना नहीं मिलता। आप जब इससे निकलना चाहें तब आपको उस समय के सोने के भाव के बराबर पैसा मिल जाएगा।
गोल्ड ETF में निवेश करने के हैं कई फायदे
कम मात्रा में भी खरीद सकते हैं सोना: ETF के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है। इससे कम मात्रा में या SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है। वहीं भौतिक (फिजिकल) सोना आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है। ज्वैलर से खरीदने पर कई बार कम मात्रा में सोना खरीदना संभव नहीं हो पाता।
मिलता है शुद्ध सोना: गोल्ड ETF की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है। यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं की ग्लोबल अथॉरिटी है। वहीं फिजिकल गोल्ड अलग-अलग विक्रेता/ज्वैलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं। गोल्ड ETF से खरीदे गए सोने की 99.5% शुद्धता की गारंटी होती है, जो कि सबसे उच्च स्तर की शुद्धता है। आप जो सोना लेंगी उसकी कीमत इसी शुद्धता पर आधारित होगी।
नहीं आता ज्वैलरी मेकिंग का खर्च: गोल्ड ETF खरीदने में 0.5% या इससे कम का ब्रोकरेज लगता है, साथ ही पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1% चार्ज देना पड़ता है। यह उस 8 से 30% मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है जो ज्वैलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बार खरीदें।
सोना रहता है सुरक्षित: इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट एकाउंट में होता है जिसमें सिर्फ सालाना डीमैट चार्ज देना होता है। साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता। वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा पर भी खर्च करना होता है।
व्यापार की आसानी: गोल्ड ETF को बिना किसी परेशानी के तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है। यह ETF को एक उच्च लिक्विड भाग देता है। गोल्ड ETF को लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसमें कैसे कर सकते हैं निवेश?