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पाकिस्तानी PM का कश्मीर राग:पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चुनावी मौसम,

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चुनाव नजदीक है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी पार्टी के कमजोर समर्थन के बीच मतदाताओं को लुभाने के लिए हर दूसरे दिन बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं। खान ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार कश्मीर के लोगों के लिए जनमत संग्रह कराएगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे पाकिस्तान में शामिल होना चाहते हैं या एक आजाद राज्य चाहते हैं।

इमरान यह वादा उन लोगों के बीच कर रहे हैं, जो इस इलाके में गैस सप्लाई और अच्छी सड़कों जैसी बुनियादी सुविधाएं मांग रहे हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने आम लोगों की मुश्किलों पर बहस करने के बजाय कश्मीर के मुद्दे पर भारतीय नेतृत्व को निशाना बनाकर चुनाव लड़ने का विकल्प चुना है।

संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव याद दिलाया
जियो की रिपोर्ट के मुताबिक, तरार खेल में एक चुनावी रैली में इमरान ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को पाकिस्तान के नए प्रांत में बदलने की बात को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं अब जो साफ करना चाहता हूं, वह यह है कि 1948 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो प्रस्ताव थे, जो कश्मीर के लोगों को अपना भविष्य तय करने का अधिकार देते थे।

संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार, लोगों को यह तय करना था कि क्या वे हिंदुस्तान या पाकिस्तान में शामिल होना चाहते हैं। इमरान ने कहा कि मैं आप सभी से कहना चाहता हूं। इंशाअल्लाह, एक दिन आएगा, जब लोगों की ओर से किए गए सभी बलिदान बेकार नहीं जाएंगे। अल्लाह आपको वह अधिकार देगा।

25 जुलाई को चुनाव कराने की तैयारी
PoK में 25 जुलाई को विधानसभा के लिए आम चुनाव कराने की तैयारी है। वहीं, कोरोनो के बढ़ते खतरे के कारण चुनावों को दो महीने के लिए टालने की अपील की जा रही है। पिछले साल पाकिस्तान ने कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में विधानसभा चुनाव कराया गया था।

लोग मांग रहे बुनियादी सुविधाएं
PoK के ज्यादातर रीजन गैस पाइपलाइन की मांग कर रहे हैं। यहां के लोग खाना पकाने के लिए सिलेंडर या लकड़ी पर निर्भर हैं। यहां बिजली की भी समस्या है। हालांकि इस इलाके में कई बड़े और छोटे बिजली स्टेशन हैं, जहां 2500 मेगावॉट से ज्यादा बिजली बनती हैं। लोग यह भी शिकायत करते हैं कि मंगला बांध और दूसरे प्रोजेक्ट से बिजली पाकिस्तानी शहरों में पहुंचाई जाती है।

देश की संघीय सरकार यहां के लोगों को बुनियादी सुविधाएं देने में नाकाम रही है। इसके अलावा, PoK में पाकिस्तान में शामिल होने के अलावा दूसरे विकल्प चुनने की गुंजाइश सीमित है। एक चुनावी कानून के मुताबिक, स्वायत्त PoK​​​​​​​ सरकार की विधानसभा के सभी उम्मीदवारों को पाकिस्तान में विलय का समर्थन करने की शपथ लेनी पड़ती है।

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