अंतिम सेकेंड में भी बदल सकता है कुश्ती में खेल, भरोसा और हिम्मत बनाए रखें- साक्षी मलिक (कुश्ती में देश की पहली महिला ओलिंपिक पदक विजेता)
ओलिंपिक भारतीय खेलों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। ओलिंपिक एक साल टाले जाने से खिलाड़ियों को खुद में सुधार करने का जो मौका मिला और ज्यादा संख्या में खिलाड़ी क्वालीफाई हो पाए। मौजूदा समय में खिलाड़ियों में एक विश्वास आया है कि विपक्षी पहलवान की अधिक रैंकिंग और अनुभव के बावजूद अपने खेल की बदौलत वे जीत सकते हैं।
भले ही बचपन में मैं ओलिंपिक खेलना सिर्फ इसलिए चाहती थी कि ताकि मुझे हवाई जहाज में बैठने का अवसर मिले, लेकिन जिस दिन मैंने ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया तभी से सिर्फ यही सपना है कि मेडल जरूर जीतना है। उस दिन 6 घंटे के भीतर चार बार मुकाबले में उतरना पड़ा। 0-5 से पिछड़ने के बाद भी खुद पर भरोसा नहीं खोया। पहले 5-5 की बराबरी और अंतिम नौ सेकेंड में दो अंक और लेते हुए मुकाबला जीता। इसलिए सभी खिलाड़ियों को यही संदेश है कि दबाव में न आएं और अंतिम मिनट तक अपना बेस्ट देंगे तो मेडल भी आएगा। मौजूदा ओलिंपिक में मेरी सभी को शुभकामनाएं हैं और संदेश है कि सभी खिलाड़ी अपना बेस्ट दें।
पहलवानों को सीख
कुश्ती में बदले नियम से खेल और मुश्किल हुआ है। अब स्पीड और स्टेमिना दोनों जरूरी हैं। पहलवानो को चाहिए कि खेल को निरंतर चलाएं। अपर बाॅडी और पांव का बैलेंस बेहद जरूरी है। अक्रामण करने के बाद अंक नहीं गंवाने से ही मेडल पक्का होगा। विपक्षी को हावी नहीं होने दें। किसी भी पल मुकाबले में वापसी संभव है।
उम्मीद: कुश्ती में 3 व ओवरआल 10 पदक संभव
दबाव को हावी न होने दें, खुलकर खेलें खिलाड़ी, खोने को कुछ नहीं, पाने को सब- योगेश्वर दत्त (लंदन ओलिंपिक में मेडल विजेता पहलवान)
देश के लिए टोक्यो ओलिंपिक हर लिहाज से ऐतिहासिक साबित होगा। देश रिकार्ड संख्या में मेडल जीतने में कामयाब रहेगा। इसकी बड़ी वजह खिलाड़ियों का खुद पर आत्मविश्वास बढ़ना है, जो उन्हें विदेश में लगातार कंपीटिशन जीतने से हासिल हुआ है। लंदन ओलिंपिक में मैच के समय मैंने दबाव को सही से झेला इसलिए मेडल जीत पाया। बजरंग पुनिया गलतियां बहुत कम दोहराता है और रिलेक्स खेलता है। आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं है। जब भी दांव लगाता है पूरी क्षमता के साथ लगाता है, असमंजस में नहीं रहता। खुलकर खेलने में विश्वास रखता है।
विनेश फौगाट बहुत तेज खेलती हैं। पहले अक्रामण कर दूसरों पर दबाव बनाती है। खुद दबाव से अच्छे से निपटना जानती है। तकनीक में बदलाव के बजाए अपनी तकनीक को और मजबूत बनाया है। वर्ल्ड नंबर वन रैकिंग का भी लाभ मिलेगा। रवि दहिया ने विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। उसकी पकड़ मजबूत है तो लेग अटैक से खूब अंक बनाता हैं। कुश्ती को लगातार चलाकर विपक्षी पहलवान को थकने पर मजबूर करता है और फिर तेजी से अटैक कर उसे परास्त करता है।
पहलवानों को सीख
सभी खुलकर खेले। दबाव हावी नहीं होने दें। ओलिंपिक में पहुंचने के बाद खोने को कुछ नहीं और पाने को सारी दुनिया है। यहां तक पहुंचे है तो उनमें क्षमता है कि वे मेडल जीत सकते हैं। वहां पहुंचने वाला हर पहलवान खुद को बराबर समझे। जीतेगा वही जो दबाव में खुद को बेहतर झेलेगा।
उम्मीद: पुरूष कुश्ती में 2 व महिला में १ मेडल संभव
ओलिंपिक मेडल के पीछे भागने के बजाए अपना सर्वश्रेष्ठ दें, मेडल भी आ जाएगा- कर्णम मल्लेश्वरी (हरियाणा के लिए पहला मेडल जीतने वाली)
भारतीय खिलाड़ियों खासकर महिलाओं में ओलिंपिक जैसे मंच पर पदक जीतने का विश्वास जगाने वाली कर्णम मल्लेश्वरी ने कहा है कि यह खेल हमारे अब तक के सबसे बेहतरीन खेल होंगे। वेट लिफ्टिंग में भी इस बार 21 साल का सूखा खत्म होगा। हाल के पांच सालों में खिलाड़ियों को हर प्रकार की सुविधा मिली है, ज्यादा से ज्यादा विदेशी टूर से लेकर विदेशी कोच मुहैया करवाए गए हैं। जिससे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ गया है। विदेश में प्रतियोगिता अब किसी के लिए बड़ा हौव्वा नहीं होती। खिलाड़ी हर परिस्थिति में खुद को ढालने की कला सीख गए हैं। तकनीक पर ज्यादा फाेकस गया है।
आज मीरा बाई ओलिंपिक पदक की दावेदार हैं तो उसकी बड़ी वजह विदेशों में लगातार ट्रेनिंग हैं। कर्णम मल्लेश्वरी ने कहा कि वे 2000 में ओलिंपिक गोल्ड जीत सकती थीं, लेकिन एक गलतफहमी की वजह से मेडल से चूक गईं। गोल्ड मेडल जीतने के लिए उन्हें केवल 132.5 किलो वजन उठाना था, गलतफहमी में उन्हें लगा कि 137 किलो उठाना है, इस कारण पहले 130 किलो वजन उठाया, लेकिन जब फिर 137.5 वजन उठाने की कोशिश की तो उसमें वह सफल नहीं हो सकी। उन्हें कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा।
खिलाड़ियों के लिए सीख
ओलिंपिक मेडल के पीछे भागने के बजाए अपना सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करें। अपना सर्वश्रेष्ठ करेंगे तो काफी संभावना होगी कि ओलिंपिक मेडल जीत सकते हैं। मुकाबले के दौरान हर क्षण पूरा फोकस रखें। ऐसे मंच पर किसी चूक की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।
उम्मीद: देश के 12 व हरियाणा के 3 मेडल संभव