ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षा संस्थान अब छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगे। देश के उच्च शिक्षा नियामक ऑफिस फॉर स्टूडेंट (ओएफएस) ने चेतावनी दी है कि वे संस्थान जो ‘मिकी माउस डिग्री’ (जॉब के लिहाज से कम अहमयित वाली) और ग्रेड इंफ्लेशन से निपटने में विफल रहेंगे, उन्हें भारी-भरकम जुर्माना देना होगा। यही नहीं अगर कुलपति अपने कोर्स की विश्वसनीयता साबित नहीं कर सके और वो समय की मांग के अनुरूप न हुए तो उन्हें भी सजा दी जाएगी।
इसके अलावा ऐसे कोर्स चलाने पर ज्यादा कड़ी कार्रवाई होगी, जिनमें वादे के बाद भी नौकरी नहीं मिलती। ब्रिटेन का शिक्षा नियामक स्वतंत्र है और इसके पास ऐसी शक्तियां हैं, जिनसे वह उन संस्थानों को सजा दे सकेगा। जो बहुत सारे लोगों को ज्यादा ग्रेड देकर प्रथम श्रेणी की डिग्रियों का महत्व घटाते हैं। दरअसल ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट ऑफ फिस्कल स्टडीज के अध्ययन में यह बात पता चली कि छात्र औसत प्रदर्शन करने वाले संस्थानों में जाते हैं, उनकी कमाई गैर स्नातकों से भी कम होती है। ओएफएस के चेयरमैन लॉर्ड व्हार्टन कहते हैं कि यूनिवर्सिटी द्वारा दी जाने वाली योग्यता जनता के लिए भरोसेमंद होनी ही चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब शिक्षा संस्थान छात्रों से भारी-भरकम फीस वसूल रहे हैं तो उनकी जवाबदेही तय होनी ही चाहिए। व्हार्टन के मुताबिक संस्थानों को महज प्रतिष्ठा के लिए वास्तविकता से ज्यादा बढ़ाकर ग्रेड नहीं देना चाहिए। दरअसल, ओएफएस को छात्रों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ कोर्स का फायदा वादे के मुताबिक नहीं मिला। कोर्स के लिए जरूरी संसाधन भी उपलब्ध नहीं थे। वहीं छात्रों के मूल्यांकन में पारदर्शिता को लेकर असंतोष ने हमारी चिंताओं को बढ़ा दिया। इसलिए नियामक ने सख्त रुख अपनाने का मन बना लिया है।
ओएफएस ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि जो संस्थान इन मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेंगे उन्हें लिस्ट से हटा सकते हैं, साथ ही उनकी मान्यता भी खत्म की जा सकती है। इससे छात्र एजुकेशन लोन नहीं ले पाएंगे। इसका असर सीधे यूनिवर्सिटी की फंडिंग पर पड़ेगा।
5 करोड़ रुपए या संस्थान की आमदनी के 2% के बराबर जुर्माने का प्रस्ताव
ओएफएस ने ऐसे कोर्स वाली यूनिवर्सिटी पर 5 करोड़ रु. या उनकी आमदनी के 2% जुर्माने की पेशकश की थी। ओएफएस द्वारा कराई गई स्टडीज के मुताबिक इंटरनेशनल बिजनेस स्ट्रेटजी, गोल्फ मैनेजमेंट स्टडीज, सर्फ साइंस, सेलेब्रिटी जर्नलिज्म जैसे कोर्स के बाद नौकरियों का संकट है। 2019 में कैंब्रिज की एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी की छात्रा पोक वॉन्ग ने इंटरनेशनल बिजनेस स्ट्रेटजी में ग्रेजुएशन के बाद वादे के मुताबिक जॉब न मिलने पर केस किया था। समझौते के तौर पर उसे 62 लाख रुपए मिले थे।