इजराइल की साइबर सिक्योरिटी कंपनी NSO का स्पायवेयर पेगासस चर्चा में है। द गार्जियन और वाशिंगटन पोस्ट समेत 16 मीडिया ऑर्गनाइजेशन की एक संयुक्त रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीय मोबाइल नंबरों की जासूसी की है। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने पेगासस स्पायवेयर की मदद से पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन के फोन हैक किए थे।
पेगासस के चर्चा में आने के बाद बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या इस स्पाइवेयर को कोई भी खरीद सकता है? आखिरी इसकी कीमत क्या होता है? साथ ही ये काम कैसे करता है? हम इन सभी सवालों के जवाब आपको बता रहे हैं।
पेगासस क्या है?
पेगासस एक स्पायवेयर है। स्पायवेयर यानी जासूसी या निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाला सॉफ्टवेयर। इसके जरिए किसी फोन को हैक किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस फोन का कैमरा, माइक, मैसेजेस और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती है। इस स्पायवेयर को इजराइली कंपनी NSO ग्रुप ने बनाया है।
पेगासस को किसी भी फोन या किसी अन्य डिवाइस में रिमोटली इंस्टॉल किया जा सकता है। सिर्फ एक मिस्डकॉल करके भी आपके फोन में पेगासस को इंस्टॉल किया जा सकता है। इनता ही नहीं, वॉट्सऐप मैसेज, टेक्स्ट मैसेज, SMS और सोशल मीडिया के जरिए भी यह आपके फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है।
पेगासस को कौन खरीद सकता है?
पेगासस खरीदने के कितने रुपए खर्च करने होंगे?
पेगासस स्पाइवेयर लाइसेंस के साथ बेचा जाता है। इसकी कीमत क्या होगी ये कंपनी और खरीदने वाले के बीच होने वाली डील पर तय होता है। इसके एक लाइसेंस की कीमत 70 लाख रुपए तक हो सकती है। एक लाइसेंस से कई स्मार्टफोन को ट्रैक किया जा सकता है। 2016 के अनुमानों के अनुसार, पेगासस का उपयोग करने वाले केवल 10 लोगों की जासूसी करने के लिए, NSO ग्रुप ने करीब 9 करोड़ रुपए की फीस ली थी। 2016 की प्राइस लिस्ट के अनुसार, NSO ग्रुप ने 10 डिवाइस को हैक करने के लिए अपने ग्राहक से 650,000 डॉलर (करीब 4.84 करोड़ रुपए) की फीस ली थी। इसके अलावा, इंस्टॉलेशन के लिए 500,000 डॉलर (करीब 3.75 करोड़ रुपए) अलग से लिए के।
पेगासस काम कैसे करता है?