कंट्रोवर्सी:प्रदेश की 4 यूनिवर्सिटी में बीएड के विद्यार्थी पढ़ रहे- स्वामी दयानंद के गुरु थे स्वामी विवेकानंदपाठ्यक्रम के लिए प्रकाशित पुस्तक पर विवाद बढ़ा
आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद के बारे में प्रदेश के 4 विश्वविद्यालयों में गलत पढ़ाया जा रहा है। विवाद एमडीयू, सीआरएसयू, सीडीएलयू, केयू के बीएड पाठ्यक्रम के लिए लिखी पुस्तक को लेकर उठा है। पुस्तक में स्वामी विवेकानंद को स्वामी दयानंद का गुरु बताते हुए जीवन, मृत्यु संबंधित कई गलतियां प्रकाशित हैं।
सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा पुस्तक के विरोध में उतर गई है। गुरुवार को सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश ने पुस्तक के लेखक डॉ. राजेश कुमार वशिष्ठ पर कानूनी कार्रवाई की बात कही। इस पुस्तक को लेकर सभी विवि को प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार व चारों विवि के कुलपति को भी पत्र लिखा है। इधर, प्रकाशक राजीव गुप्ता ने गलती के लिए माफी मांगी है। पुस्तक की प्रतियों को वापस मंगाया जाएगा।
पुस्तक में प्रकाशित इन तथ्यों पर आपत्ति
महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म 1824 ई. में हुआ था, जबकि पुस्तक में 1814 लिखा है।
महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण (मृत्यु) 1883 में हुई, जबकि पुस्तक में 1889 लिखा हुआ है।
महर्षि दयानंद सरस्वती के गुरु स्वामी विरजानंद दंडी थे, जबकि पुस्तक में विवेकानंद को बताया है।
गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार की स्थापना स्वामी श्रद्धानंद ने की थी, पुस्तक में स्वामी दयानंद को बताया है।
लाहौर में दयानंद एंग्लो वैदिक काॅलेज (डीएवी) की स्थापना महात्मा हंसराज ने की थी, पुस्तक में दयानंद द्वारा लिखा गया है।
स्वामी दयानंद सरस्वती स्वदेशी एवं वैदिक शिक्षा पद्धति के समर्थक रहे, पुस्तक में अंग्रेजी शिक्षा पद्धति का समर्थक बताया है। वहीं, शुद्धि आंदोलन स्वामी श्रद्धानंद ने चलाया था, जबकि दयानंद द्वारा दर्शाया है।