कृषि कानूनों का विरोध:किसान आंदोलन को ताकत देने को जुलाई में खापें और अन्य संगठन करेंगे दिल्ली कूच3 कृषि कानून रद्द और आंदोलन में मरने वालों के परिवार को 50 लाख रु. आर्थिक मदद की मांग
तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर चल रहे धरनों को ताकत देने के लिए जुलाई में खापें और अन्य संगठन मिलकर कूच करेंगे। ये ऐलान दादरी से निर्दलीय विधायक और सांगवान खाप के प्रधान सोमबीर सांगवान ने कितलाना टोल प्लाजा पर आयोजित सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत की अध्यक्षता करते हुए किया।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि पीएम मोदी अहंकार से भरे पड़े हैं, पर अंदर से घबराए हुए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी को तीन काले कानूनों को रद्द करने का फैसला सुनाने में शर्म महसूस हो रही है, पर भूल रहे हैं, इसी जनता के कारण वो सत्ता के शीर्ष पर हैं।
महापंचायत में तीनों कृषि कानून रद्द करवाने और आंदोलन में शहादत देने वालों के परिवारों को 50 लाख आर्थिक मदद समेत एक स्थाई नौकरी की मांग करते हुए कुल 12 प्रस्ताव रखे गए। महापंचायत में हरियाणा समेत दिल्ली और यूपी की करीब 50 खापों के प्रधान व सचिव पहुंचे हुए थे।
संयुक्त धरनास्थल है कितलाना टोल प्लाजा
किसान आंदोलन को लेकर चरखी दादरी व भिवानी जिले का संयुक्त धरना कितलाना टोल प्लाजा पर चल रहा है। मंगलवार को किसान धरना के चलते 186 दिन हो गए हैं। इस धरने पर राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत विभिन्न खापों के प्रधान व सचिव आकर किसानों को संबोधित कर चुके हैं।
सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत में ये रहीं 12 प्रमुख मांगें{ बिना देरी के तीनों काले कानून रद्द किए जाएं।
एमएसपी की गारंटी देने का कानून बनाया जाए।
बिजली संशोधन अधिनियम 2020 वापस लिया जाए।
चारों लेबर कोड निरस्त किए जाएं ताकि मजदूरों के हित सुरक्षित रह सकें।
हरियाणा विधानसभा द्वारा हाल ही में बनाए गए संपत्ति क्षतिपूर्ति कानून को रद्द किया जाए।
आंदोलन के दौरान शहादत देने वाले सभी किसान-मजदूरों में से हर परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए और परिवार में से एक को स्थाई रोजगार दिया जाए।
पॉवर ग्रिड व हरियाणा बिजली वितरण निगम की लाइन, जहां भी बिछ रही हों, वहां किसानों को बाजार के हिसाब से मुआवजा मिले या उचित रेंट का प्रावधान हो।
सार्वजनिक क्षेत्र जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रेलवे, परिवहन, ऊर्जा, आयुध और वित्तीय का निजीकरण रोका जाए और रोजगार को बढ़ावा दिया जाए।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत कम होने के बावजूद पेट्रोल, डीजल की कीमतें आसमान को छू रही हैं। बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए इन पर लगे टैक्स को कम किया जाए और आम जनता को राहत दी जाए।
आंदोलन को 7 महीने बीतने के बाद भी केंद्र सरकार हठधर्मिता पर अड़ी हुई है, इसलिए दिल्ली बॉर्डर के धरनों पर सहभागिता बढ़ाने के लिए जुलाई महीने में भिवानी दादरी सभी खापें व अन्य संगठन एक साथ कूच करेंगे।
सरकारी और गैरसरकारी उपयोग के लिए होने वाले भूमि अधिग्रहण के लिए कलेक्टर रेट के 4 गुना मुआवजा दिया जाए।
किसानों के कर्जे माफ किए जाएं।