कोरोना के चलते हाई-टेक हज:रोबोट देंगे हज यात्रियों को पवित्र आब-ए-जमजम, नैनो टेक्नोलॉजी वाले परिधान वायरस फैलने से रोकेंगे, यात्रा की निगरानी भी एप सेअब तक 5.4 लाख आवेदन आए, मंजूरी 60 हजार को मिलेगी
सऊदी अरब में हज करने वालों के लिए इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण का अंतिम चरण चल रहा है। कोरोना के चलते लगातार दूसरे साल विदेशी यात्रियों को मंजूरी नहीं दी गई है। संभावित तारीख 17 से 22 जुलाई रखी गई है। चांद के अनुसार बदलाव संभव है। इस साल 18 से 65 साल के वैक्सीन लगवा चुके लोग ही हज कर सकेंगे।
अधिकतम 60 हजार लोगों को ही अनुमति दी जाएगी। हज और उमरा मंत्रालय के मुताबिक अब तक 5.4 लाख आवेदन मिल चुके हैं। इस बार हज का आयोजन कई मायनों में हाई-टेक होगा। जानिए क्या नए सुरक्षा उपाय किए गए हैं।
हाईटेक परिधान
हज के लिए इस बार नैनो टेक्नोलॉजी से लैस ऐहराम लॉन्च किया गया है। हज और उमराह के दौरान पुरुषों द्वारा पहने जाने वाले टू-पीस परिधान को एहराम कहते हैं। नया आउटफिट वायरस/बैक्टीरिया को फैलने से रोकता है। कोरोना और संक्रमण को देखते हुए इस साल इसका व्यापक इस्तेमाल होगा। यह 100% कॉटन से बना है और 90 से ज्यादा बार धोया जा सकता है।
यह सऊदी मानक, मेट्रोलॉजी और गुणवत्ता संगठन द्वारा अनुमोदित है। इसके अलावा पहली बार महिलाओं को बिना पुरुष अभिभावकों के हज यात्रा की मंजूरी दी गई है। जो महिलाएं अकेले इस साल हज के लिए पंजीकरण करा रही हैं, वे हज के दौरान बनने वाली महिला लीग का हिस्सा होंगी।
स्मार्ट कार्ड और परमिट बिना यात्रा नहीं
स्मार्ट कार्ड-आधिकारिक परमिट के बिना हज नहीं कर पाएगा। हज व उमरा के उप मंत्री डॉ. अब्दुलफत्ताह ने कहा कि परमिट का कार्ड व तीर्थयात्री की आईडी से मिलान किया जाएगा।
पूरा प्रबंधन एप के जरिए
यात्रियों की क्रमिक वापसी के लिए प्रक्रियाओं को डिजिटाइज किया गया है। सुरक्षा के लिए बुक किए गए स्लॉट के जरिए ग्रैंड मस्जिद में जाने वाली भीड़ का प्रबंधन और यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एप शुरू किया गया है। इटमरना एप्लिकेशन के जरिए हज यात्रियों के स्वास्थ्य की स्थिति भी पता चलती है।
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में मदद करेंगे अत्याधुनिक रोबोट
मक्का में सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए रोबोट रखे गए हैं। अलमारीनुमा रोबोट में पवित्र जल की बोतलें भरी रहती हैं, इससे लोग करीब जाए बिना पवित्र जल ले सकेंगे। अधिकारियों ने बताया कि इनसे मानवीय संपर्क बिना सेवाएं दी जा सकेंगी। सदियों से हजयात्री आब-ए-जमजम (जमजम का पवित्र जल) पीने के लिए आते रहे हैं, जिसे इस्लामी परंपरा में चमत्कारी माना जाता है। हर साल लाखों बोतलें हजयात्रियों को दी जाती हैं।