45 दिन बाद कीर्ति चक्र विजेता चेतन चीता झज्जर के एनसीआई से डिस्चार्ज, अब सीआरपीएफ कैंप में डॉक्टर्स की निगरानी में रहेंगेकोरोना से जंग जीतने वाले सीआरपीएफ के कमांडेंट फेफड़ों के संक्रमण से भी उबरे
कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेने वाले कीर्ति चक्र विजेता कमांडेंट चेतन चीता ने कोरोना वायरस से भी जंग जीत ली है। 45 दिन बाद झज्जर एम्स से डिस्चार्ज हुए। डॉक्टर और मेडिकल टीम ने उनको रियल फाइटर बताया। कमांडेंट चेतन चीता सीआरपीएफ के उन बहादुर जांबाज अफसरों में शुमार हैं जिन्होंने ढाई साल पहले कश्मीर के बांदी पीर में आतंकवादियों से लोहा लेकर 9 गोलियां खाई थीं।
आत्मघाती हमले में बुरी तरीके से घायल हुए कैप्टन चेतन चीता डेढ़ साल बाद मौत को मात देकर अपनी यूनिट में फिर से देश सेवा के लिए लौटे थे। उसके बाद उन्हें कीर्ति चक्र से नवाजा गया। अब बीते 9 मई को जब चीता कोरोना की चपेट में आए तब उनकी सलामती के लिए देशभर में दुआएं की जा रही थी। अब फिर से कमांडेंट चेतन चीता ने 45 दिन में अस्पताल के बेड से उतर कर वापसी की।
गुरुवार को जब कमांडेंट चेतन चीता झज्जर एम्स से रवाना हुए तो उनके चेहरे पर जीत के भाव थे। यहां डॉक्टर स्टॉक और अन्य मेडिकल टीम ने विक्टरी दिखाकर उन्हें रियल फाइटर बताया। चेतन चीता एम्स से दिल्ली स्थित सीआरपीएफ कैंप में गए हैं जहां पैरामिलिट्री डॉक्टरों की निगरानी में भी रहेंगे।
एनसीआई की मेडिकल इंचार्ज डॉ. सुषमा ने चीता को भेंट की महामृत्युंजय किताब
गुरुवार को एनसीआई से डिस्चार्ज होते समय यहां की मेडिकल हेड डॉ. सुषमा भटनागर ने कमांडेंट चेतन चीता को महामृत्युंजय की किताब भेंट की। यहां नर्सिंग ऑफिसर नंद भंवर सिंह ने चीता के लिए अपने पांच मेडिकल ऑफ में घर जाने की बजाय उनके साथ रहे।
इसी प्रकार ऐश्वर्या रोहिल्ला ने भी अपने दो मेडिकल ऑफ में भी एनसीआई में आकर अपनी सरकारी ड्यूटी अलावा चीता की मेडिकल केयर की। इस तरह चीता के डिस्चार्ज होने से पहले लगातार 40 घंटे तक उनकी वालंटियर सेवा की गई।