6 राज्यों ने 7,605 Cr खर्च कर 136 करोड़ पौधे लगाए; महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में हरियाली बढ़ी
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वैक्सीनेशन के रिकॉर्ड पर राजनीति:चिदंबरम का तंज- रविवार को जमाखोरी की, सोमवार को टीका लगाया;

वैक्सीनेशन के रिकॉर्ड पर राजनीति:चिदंबरम का तंज- रविवार को जमाखोरी की, सोमवार को टीका लगाया; नड्डा का जवाब- कांग्रेस को देश की उपलब्धि से दिक्कतयोग दिवस पर देश में बने वैक्सीनेशन (88 लाख) के रिकॉर्ड पर अब राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने तंज कसते हुए इसे जमाखोरी का नतीजा बताया है। चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘रविवार को जमाखोरी, सोमवार को टीका लगाएं और मंगलवार को लंगड़ाकर वापस लौट जाएं। “एक दिन” के टीकाकरण के विश्व “रिकॉर्ड” के पीछे यही रहस्य है। मुझे यकीन है कि इस “करतब” को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह मिलेगी।

इसके बाद चिदंबरम ने एक और ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि कौन जाने, हो सकता है मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मोदी सरकार को दिया जाए। ‘मोदी है, मुमकिन है’ को अब पढ़ना चाहिए ‘मोदी है, चमत्कार है’इसके जवाब में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पलटवार किया। उन्होंने चिदंबरम का ट्वीट शेयर करते हुए लिखा कि भारत लंगड़ा नहीं रहा, बल्कि हमारे नागरिकों की ताकत के बल पर आगे बढ़ रहा है। सोमवार को रिकॉर्ड बनाने के बाद, भारत ने मंगलवार और बुधवार को 50 लाख टीकाकरण को पार कर लिया है, जो कांग्रेस पार्टी को पसंद नहीं है।

इधर, संसदीय पैनल की बैठक में काफी ड्रामा
बुधवार को साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर बने संसदीय पैनल की बैठक में काफी ड्रामा हुआ। बीजेपी के कई सांसदों ने बैठक को बीच में ही छोड़ते हुए वॉकआउट कर दिया। सांसदों ने कहा कि वैक्सीन नीति पर बात करने का ये सही समय नहीं है।

ढाई घंटे चली बैठक, एक घंटे ड्रामा चला
बैठक में सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन, आईसीएमआर के डीजी वीके भार्गव और बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव रेणु स्वरूप भी शामिल थीं। इन्होंने पैनल के सामने अपना पक्ष रखा। ढाई घंटे तक चली मीटिंग की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद जयराम रमेश कर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान करीब एक घंटे तक ड्रामा चलता रहा। बैठक कोरोना वैक्सीन डेवलपमेंट और वायरस की जेनेटिक सीक्वेंसिंग के मुद्दे पर रखी गई थी।

विपक्ष ने पूछा- दो डोज में गैप क्यों बढ़ाया?
सूत्रों के मुताबिक बैठक के बीच में विपक्षी सांसदों ने केंद्र की वैक्सीन पॉलिसी के बारे में सवाल पूछने की इच्छा जाहिर की। विपक्ष ने पूछा कि वैक्सीन के दो डोज के बीच का गैप क्यों बढ़ाया गया? बीजेपी सांसदों ने इसका कड़ा विरोध किया। कुछ सांसद बैठक आगे बढ़ाने की मांग करते हुए मीटिंग छोड़कर चले गए।

बैठक के बीच जयराम रमेश ने बीजेपी सांसदों के मुद्दे पर वोटिंग करने की मांग ठुकरा दी। उन्होंने कहा कि भले ही ये उनकी अध्यक्षता में पैनल की आखिरी बैठक क्यों न साबित हो, वे वोटिंग नहीं होने देंगे। मीटिंग के बाद जयराम रमेश ने एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बैठक में पीएम केयर फंड की जानकारी साझा करने का दावा कर रही हैं, जो गलत है।
[11:15, 6/24/2021] +91 97112 93949: पांचों राज्यों में बढ़ा वन क्षेत्र:6 राज्यों ने 7,605 Cr खर्च कर 136 करोड़ पौधे लगाए; महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में हरियाली बढ़ी तो राजस्थान-मप्र में स्तर घटादेश में 3,518 करोड़ पेड़, देश में प्रति वर्ग किमी 11,109 पेड़ और प्रति व्यक्ति मात्र 28 मप्र में कुल क्षेत्रफल का 25% वनक्षेत्र
राजस्थान-मप्र में हरियाली का स्तर घटा, इसे बढ़ाने के लिए राज्यों ने पौधों को बचाने के उपाय शुरू किए
पाैधे लगाने से हरियाली बढ़ जाए, यह जरूरी नहीं। साल 2015 से 2020 तक 6 राज्याें ने 7605.26 कराेड़ रुपए खर्च कर 136.77 कराेड़ पाैधे लगाए, लेकिन हरियाली यानी ग्रीन कवर सिर्फ चार राज्याें में ही बढ़ा। ये हैं- महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड। जबकि राजस्थान और मप्र में हरियाली का स्तर घटा है। हालांकि, राहत की बात यह है कि इन सभी राज्य में वन क्षेत्र बढ़ा है।

साल 2020 तक देश में वृक्षाें की संख्या 3,518 कराेड़ थी। यानी प्रति वर्ग किमी में 11,109 पेड़ हैं। इस तरह प्रति व्यक्ति के हिसाब से देश में मात्र 28 पेड़ ही हैं। अच्छी बात यह है कि इन 6 राज्यों ने पौधों के पेड़ बनने के उपाय लागू कर दिए हैं, जिससे आने वाले समय में यहां वन क्षेत्र बढ़ सकता है।

छत्तीसगढ़ ने पिछले पांच साल में 9.66 कराेड़ पाैधे लगाए। यहां 63.57 वर्ग किमी फॉरेस्ट कवर बढ़ा है जबकि राजस्थान में 2255.21 वर्ग किमी में 1.5 करोड़ पौधे लगाने के बावजूद वनों के बाहर ग्रीन कवर 152 वर्ग किमी घटा है। मध्यप्रदेश में 1 जनवरी 2015 से पांच फरवरी 2019 तक की अवधि में 12 हजार 785 हैक्टेयर वन भूमि को दूसरे कामों के उपयोग के लिए दे दी गई।

भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक 2005 के मुकाबले 2019 में मप्र का वन क्षेत्र यानी फॉरेस्ट कवर 1,469 वर्ग किमी बढ़ गया। इस समय मप्र के कुल क्षेत्रफल का 25 फीसदी फॉरेस्ट कवर है। महाराष्ट्र में ग्रीन कवर 95.56 वर्ग किमी बढ़ा है।

प्लांटेेशन मैनेजमेंट से हर पौधे के पेड़ बनने तक की डिजिटल जानकारी रखी जाती है

महाराष्ट्र में प्लांटेशन मैनेजमेंट इन्फाॅर्मेशन सिस्टम (पीएमआईएस) लागू किया गया है। इसके तहत पौधा लगाने से लेकर उसके पेड़ के रूप में खड़े होने तक हर स्टेप की डिजिटल जानकारी रखी जाती है। इस सिस्टम को कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया-2020 अवाॅर्ड तथा डिजिटल फाॅरेस्ट गर्वनेंस के लिए अर्थकेअर अवाॅर्ड मिला है। केंद्र सरकार के एग्रो फाॅरेस्ट्री मैनेजमेंट ने भी इसकी सराहना की है। हरियाणा और झारखंड ने भी इस योजना को अपने राज्य में लागू करने को लेकर दिलचस्पी दिखाई है।

मप्र में 9,483 ग्राम वन समितियां बचाती हैं पौधे
मप्र में बिगड़े वनों को सुधारने के लिए 9,483 ग्राम वन समितियां बनी हुई हैं। राज्य सरकार पौधरोपण के बाद उन्हें बचाने में इनकी मदद लेती है, साथ ही पौधे भी लगवाती है। इसकी एवज में उन्हें पूरा वनोपज मिलता है। पिछले वित्तीय वर्ष में ही 7.31 करोड़ रुपए के बांस, बल्ली और जलाऊ लकड़ियां उन्हें दी गईं। इस सिस्टम के चलते ही राज्य में वनक्षेत्र का दायरा बढ़ा है।

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