बारिश से पहले बाढ़ प्रबंधन पर रिपोर्ट:खनन माफिया ने यमुना नदी की धार बदली; तटबंध का काम भी अधूरा

बारिश से पहले बाढ़ प्रबंधन पर रिपोर्ट:खनन माफिया ने यमुना नदी की धार बदली; तटबंध का काम भी अधूरा, 200 गांवों के डूबने का खतरा और ज्यादा बढ़ाहरियाणा प्रदेश में मानसून 13 जून को दस्तक दे चुका है। मौसम विभाग ने इस बार सामान्य बारिश का अनुमान जताया है। इसलिए भारी बारिश से पहले भास्कर ने 6 जिलों के 267 किमी. में बह रही यमुना नदी में बाढ़ से बचाव के इंतजामों को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट की। इस दौरान बाढ़ से बचाव के लिए कोई खास इंतजाम नजर नहीं आए। यमुना में खनन की निगरानी नहीं हो रही।

खनन एजेंसी जगह-जगह गहरी खुदाई कर रही हैं। इससे यमुना का बहाव बिगड़ने का खतरा बन गया है। सोनीपत में यमुना की दो धार बन गई हैं। खनन एजेंसी ने यमुना के बीच से रास्ता बना लिया। इससे नदी के किनारों का कटाव तेज हो गया है। आसपास के लोगों का कहना है कि एजेंसी यही चाहती है कि कृषि योग्य भूमि कटकर यमुना में आती रहे और खनन के लिए रेत का क्षेत्र बढ़ता रहे।

इस पर प्रशासन का ध्यान ही नहीं है। वहीं, यमुनानगर में स्टड बनाने का काम अधूरा पड़ा है। करनाल में स्टड तो बना दिए, पर उन्हें जाली से नहीं बांधा गया। पानीपत में तटबंध की मरम्मत की जरूरत ही नहीं समझी। तटबंध तो किसी भी जिले में कहीं भी मजबूत नहीं किए गए। जिससे ज्यादा बारिश होने पर बाढ़ का खतरा बना रहेगा।

बाढ़ राहत कार्यों के लिए सिर्फ 21 सरकारी नाव हैं, इनमें भी 2 कंडम हो चुकी हैं। इसके चलते यमुना किनारे बसे करीब 200 गांवों की करीब 1.09 लाख आबादी के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आईं।

2019 जैसी बारिश हुई तो बड़ा नुकसान होगा

साल 2019 में यमुना नदी में रिकाॅर्ड 8 लाख क्यूसिक से अधिक पानी आया था। अगर इतना पानी आया तो अधूरे कामों के कारण बड़ा नुकसान हो सकता है।

लोगों की पीड़ा सुनिए…

पानीपत में अधमी, गोयला खुर्द सहित यमुना पुल से लगे गांवों में ज्यादा खतरा रहता है। तामशाबाद के पास बांध की ऊंचाई कम है। गांव के सरपंच वासिद अली ने कहा कि न बांध की मरम्मत की जा रही, न ठोकरों की।

करनाल के लालूपुरा के विकास रावल ने कहा कि यूपी की तरफ मजबूत बांध, स्टड से पानी टकराकर दोगुनी गति से हरियाणा की तरफ कटाव करता है। यहां कमजोर स्टड बने हैं।

सोनीपत में टोकी मनौली के लोगों को हर साल एक माह के लिए घरों को छोड़ खेतों या बांध पर रहना पड़ता है। बुजुर्ग ओमबिरी देवी कहती हैं कि नेता बांध का वादा करते हैं, पर चुनाव के बाद सब गायब हो जाते हैं।

बाढ़ बचाव के काम न होने के कारण

लेटलतीफी: पानीपत में एक जगह 3000 फीट का बंधा पूरा करने की अंतिम तारीख 22 मई थी, जबकि काम शुरू ही 21 मई को हुआ। यमुनानगर में सोम नदी किनारे पटरी का काम कोर्ट केस के चलते पूरा नहीं हो पाया।

लॉकडाउन: यमुनानगर के गुमथला क्षेत्र में ठेकेदार को लॉकडाउन के कारण माल, लेबर नहीं मिल पाई। जो ठेकेदार काम पूरा नहीं कर पाए, उनका कहना है कि लॉकडाउन में दिक्कतों के चलते काम में देरी हो रही है।

गैर जिम्मेदार रवैया: पानीपत में जेई राजू का कहना है कि पानी 2-3 साल से इतना नहीं आया कि ठोकरें रिपेयर की जाएं। कई जगह अफसरों ने पत्थर लगाने को टेंडर तो कर दिए, पर यह नहीं देखा कि पत्थर लगे या नहीं।

अवैध खनन: यमुना से माफिया लगातार रेत निकाल रहे हैं और कहीं से भी तटबंध को काट देते हैं। इसलिए यमुना का क्षेत्र हर साल बदल रहा है। तटबंध कमजोर हो रहे हैं।

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