गंगा का प्रवाह बाधित होने का अंदेशा:काशी में गंगा के समानांतर बन रहे साढ़े पांच किलोमीटर के बाईपास चैनल पर घमासान11 करोड़ रुपए में हो रहा निर्माण, मार्च में शुरू हुआ काम, जून तक पूरा होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में गंगा पार में बन रहे साढ़े पांच किमी लंबे बाईपास चैनल को लेकर घमासान शुरू हो गया है। साढ़े पांच किमी लंबे, 45 मीटर चौड़े व छह मीटर गहरे बाईपास चैनल से गंगा को दो भाग में बांट कर ड्रेजिंग के सहारे रामनगर से राजघाट तक ले जाया जा रहा है। सामाजिक संगठन व विपक्ष इसका विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि गंगा के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ हो रही है। इस चैनल से गंगा की धारा कमजोर होगी। कुछ पर्यावरण जानकारों ने जिलाधिकारी को पत्र सौंपकर ड्रेजिंग को तत्काल रोकने की मांग की है।
वाराणसी में गंगा नदी के पार रेत में खनन का काम मार्च माह से चालू है। इसे लेकर साझा संस्कृति मंच के नदी विज्ञानी प्रोफेसर यूके चौधरी व संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विशम्भरनाथ मिश्रा ने नदी धारा, जल घाट संरचना आदि पर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है गंगा में बन रहे चैनल से वाराणसी में गंगा के अर्धचंद्राकार स्वरूप और धारा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। साथ ही मणिकर्णिका घाट पर विश्वनाथधाम परियोजना के तहत मलबा डालकर किनारे बने प्लेटफाॅर्म से भी गंगा का स्वरूप बिगड़ रहा है।
मंच ने नदी पार हो रहे ड्रेजिंग की पूरी जानकारी वाराणसी की अधिकृत वेबसाइट पर अपलोड करने और पर्यावरणविद व नदी वैज्ञानिकों की पर्यावरणीय कुप्रभावों के आंकलन की रिपोर्ट भी सार्वजनिक करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वाराणसी शहर के लोग पीने के पानी के लिए गंगा और भूमिगत जल पर निर्भर हैं।
बाईपास चैनल से नदी की धारा कमजोर होगी। इसका प्रतिकूल प्रभाव शहर में पीने के पानी की व्यवस्था पर भी पड़ेगा। उधर, कलेक्टर कौशल राज शर्मा का कहना है कि बाईपास चैनल से मूल स्वरूप नहीं बिगड़ेगा। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि ड्रेजिंग से निकली बालू को जल्द ही टेंडर कराकर हटवा दिया जाएगा।
गंगा के स्वरूप को खत्म करना चाहते हैं : कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा कि मोदी-योगी सरकार काशी में मां गंगा के स्वरूप को खत्म करना चाहती हैं। प्रयागराज और कानपुर में पानी कम होने पर गंगा ने घाट छोड़ दिया है। लगभग 11 करोड़ रुपए खर्च कर ड्रेजिंग कार्य कराया जा रहा है, जो बरसात में बेकार हो जाएगा। बालू एक बार फिर से अपनी जगह पर आ जाएगी।