अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अमेरिका ने एक के बाद एक स्वांग रचे हैं। यहां तक कि त्रासदी भी बनायी है। इस बार उसने अपने सबसे ईमानदार सहयोगी भारत के साथ भी खिलवाड़ करना शुरू किया है।
बीजिंग: अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अमेरिका ने एक के बाद एक स्वांग रचे हैं। यहां तक कि त्रासदी भी बनायी है। इस बार उसने अपने सबसे ईमानदार सहयोगी भारत के साथ भी खिलवाड़ करना शुरू किया है। इस रिपोर्ट में हम हाल ही में अमेरिका, इस महान निर्देशक की मानसिक यात्रा का विश्लेषण करते हैं। सभी लोग यह जानते हैं कि इस वर्ष मध्य अप्रैल से भारत में कोविड महामारी का दूसरा फैलाव हुआ, और स्थिति तेजी से बिगड़ गई। भारत में प्रति दिन नए पुष्ट मामलों की संख्या लगातार विश्व रिकॉर्ड तोड़ती रही, जो कई दिनों तक 3 लाख से अधिक हो गई। लेकिन उधर अमेरिका, जो हाल के कई वर्षों में चीन का विरोध करने के लिए भारत का इस्तेमाल करता है, और स्नेह के साथ भारत को सहयोगी कहता है, ने भारत के लिए कुछ भी काम नहीं किया और भारत को कोविड रोधी टीके के कच्चे माल के निर्यात को बंद भी किया।
उसी समय अमेरिकी निर्देशक ने मन में जरूर ऐसा सोचा था कि कोविड महामारी की रोकथाम व नियंत्रण के लिए हम तो खुद की रक्षा में असमर्थ हैं। भारत को सहायता देना तो और दूर की बात है। क्योंकि 30 अप्रैल तक जारी आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में कोविड मामलों की कुल संख्या विश्व के पहले स्थान पर रही, जो 3 करोड़ 22 लाख तक पहुंच गई। इसलिए अपने लाभ के मद्देनजर अमेरिका फस्र्ट सिद्धांत पर कायम रहते हुए शुरू में अमेरिका ने भारत की मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की लेकिन इस बार अमेरिका ने स्पष्ट रूप से भारतीय जनता की ऊर्जा, खास तौर पर भारतीय मीडिया के प्रभाव को कम करके आंका।