साल की पहली बड़ी चतुर्थी आज:वैशाख की संकष्टी चौथ पर गणेश पूजा और चंद्र दर्शन के बाद खाया जाता है खानावैशाख महीने की संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी के 12 नामों से पूजा करने पर खत्म होते हैं संकट
शुक्रवार, 30 अप्रैल यानी आज वैशाख महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी है। ये हिंदू कैलेंडर के मुताबिक साल की पहली बड़ी चतुर्थी होती है। इस चतुर्थी पर व्रत और भगवान गणेश की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद ही खाना खाकर व्रत खोला जाता है। इस दिन भगवान गणेश की 12 नामों से पूजा करने पर हर तरह के संकट दूर होते हैं।
साल की चार बड़ी चतुर्थी में एक
वैशाख महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी साल की चार बड़ी चतुर्थी में एक है। ये हिंदू कैलेंडर की पहली बड़ी चौथ होती है। इसके बाद भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी खास मानी गई है। जो कि अगस्त-सितंबर में आती है। फिर कार्तिक महीने में जिसे करवा चौथ कहा जाता है। इसके बाद माघ महीने की चतुर्थी महत्वपूर्ण होती है। जो कि जनवरी-फरवरी में आती है। इसे तिल चतुर्थी भी कहा जाता है। सालभर के इन चार चतुर्थी व्रत करने से हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं।
मिट्टी की मूर्ति की भी कर सकते हैं पूजा
गणेश चतुर्थी की सुबह जल्दी उठकर नहाना चाहिए। भगवान गणेश की सोने, चांदी, तांबे या पीतल की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए। घर पर मिट्टी से बनी मूर्ति की भी पूजा कर सकते हैं। इसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए। फिर भगवान गणेश का अभिषेक करें। इसके बाद भगवान श्रीगणेश को जनेऊ पहनाएं।
चंदन, चावल, फूल, अबीर, गुलाल, सिंदूर और अन्य पूजा सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र बोलते हुए दूर्वा चढ़ाएं। फिर लड्डुओं का भोग लगाएं और आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद लें। फिर शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद पूजा करनी चाहिए। इसके बाद ही खाना खाना चाहिए।
गणेशजी के 12 नाम
गणेशजी की पूजा करने के बाद गणेश जी के 12 नाम बोले। ऊँ सुमुखाय नम: 2. ऊँ एकदन्ताय नम: 3.ऊँ कपिलाय नम: 4. ऊँ गजकर्णकाय नम: 5. ऊँ लम्बोदराय नम: 6. ऊँ विकटाय नम: 7. ऊँ विघ्ननाशाय नम: 8. ऊँ विनायकाय नम: 9. ऊँ धूम्रकेतवे नम: 10. ऊँ गणाध्यक्षाय नम: 11. ऊँ भालचन्द्राय नम: 12. ऊँ गजाननाय नम: