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पड़ताल:कोविड पोर्टल पर बेड खाली दिखाए, फोन पर बोले- 48 लोग वेटिंग में, आपकाे भी डाल देंगे

पड़ताल:कोविड पोर्टल पर बेड खाली दिखाए, फोन पर बोले- 48 लोग वेटिंग में, आपकाे भी डाल देंगेसरकारी पोर्टल कुछ बता रहा, हकीकत अलग, 4 जिलों में सामने आया अस्पतालों का सच
अस्पतालों के जवाब- कहीं ऑक्सीजन तो कहीं बेड नहीं होने की कह रहे, गंभीर होने पर भर्ती होने के लिए भटक रहे मरीज
स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर बेड खाली दर्शाए जा रहे हैं, जबकि हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। पोर्टल पर देखकर मरीज को भर्ती करने के बारे में पूछा तो जवाब मिला- सभी बेड फुल हैं। यहां कोई जगह नहीं। हर जगह एक सा जवाब मिल रहा है। विभाग को यह भी पता नहीं कि खाली दर्शाए जा रहे बेड कहां पर खाली है। इसके चलते मरीजों को अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

रोहतक में ऑनलाइन पोर्टल पर कुल 1191 में से 330 बेड खाली दर्शाए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत में एक भी वेंटिलेटर व आईसीयू का बेड खाली नहीं है। रोहतक के अस्पतालों पर दिल्ली, यूपी, पंजाब और आसपास के जिलों के मरीजों का दबाव बढ़ता जा रहा है। वहीं, कोविड पोर्टल पर पीजीआईएमएस का जो फोन नंबर दिया है, उसे कोई अटैंड नहीं कर रहा।

नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश का कहना है कि अभी बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। 7 सीएचसी को भी कोविड-19 अस्पताल से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई अस्पताल बेड व स्टाफ होने के बाद भी मना करता है तो उसे कोविड पोर्टल से डिपैनल कर दिया जाएगा।

रियलिटी चेक

ऑक्सीजन घर से लाने की बात कही तो भी किया मना

केस 1 -रोहतक में एक निजी अस्पताल के पोर्टल पर 14 बेड दोपहर 1 बजे खाली दर्शाए। जब अस्पताल की हेल्पलाइन पर दिए नंबर के जरिए पूछा तो बताया कि अस्पताल में अभी कोई बेड खाली नहीं है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी है। पीड़ित ने कहा- ऑक्सीजन सिलेंडर साथ ले आएंगे, तब बेड दे दीजिए। इस पर भी मना कर दिया गया और कहा कि 48 मरीज पहले से वेटिंग लिस्ट में हैं। आपका भी नाम लिख लेते हैं।

बेड का डेटा अपडेट नहीं है

केस 2 – दूसरे निजी अस्पताल में फोन किया तो जवाब मिला कि कोई बेड उपलब्ध नहीं है, जबकि पोर्टल पर 12:56 बजे 25 बेड की उपलब्धता दर्शाई गई है। अस्पताल का कहना है कि पोर्टल अपडेट नहीं हुआ हाेगा। अस्पताल ने कहा कि जितना मरीजों को मैनेज कर सकेंगे, उतने बेड दे पाएंगे। साथ ही कहा कि बेड का डेटा पोर्टल पर अपडेट नहीं होता, जो अपडेट करते हैं, वहीं बताएंगे।

फरीदाबाद: ईएसआई मेडिकल काॅलेज में मरीजों को भर्ती करने पर लगाई रोक़

फरीदाबाद में कोरोना ने पूरी सरकारी मशीनरी को फेल कर दिया है। जिले के सबसे बड़े कोविड अस्पताल ईएसआई मेडिकल काॅलेज ने मरीजों को एडमिट करना बंद कर दिया है। कालेज प्रबंधन ने गेट के बाहर बोर्ड भी लगा दिया है। निजी अस्पताल पहले से फुल हैं। जिस रफ्तार से फरीदाबाद में कोरोना के केस आ रहे हैं, उसे देखते हुए जिले के निजी अस्पताल पहले से बेड न होने की बात कह रहे हैं।

मेडिकल काॅलेज के डीन डॉ. असीम दास का कहना है कि उनका अस्पताल 500 बेड का है, जिसमें से 200 बेड ऑक्सीजन युक्त है। यहां 200 से अधिक मरीज भर्ती किए हैं। इसके अलावा आईसीयू व वेंटिलेटर भी फुल हैं। अब बेड नहींं है। सरकार से निर्देश मिलने के बाद 50 ऑक्सीजन युक्त बेड और बढ़ाए जा रहे हैं।

पानीपत: 483 बेड कहां खाली, पता नहीं

पानीपत में आईसीयू व वेंटिलेटर बेड खाली नहीं है। इमरजेंसी वार्ड में जाओ ताे कहा जाता है कि काेई बेड खाली नहीं है। निजी अस्पतालाें में फाेन करने पर भी जवाब मिलता है कि बेड खाली नहीं है, लेकिन पाेर्टल व असलियत आंकड़ाें में कहीं न कहीं गड़बड़ी है। गुरुवार काे शाम 5 बजे सरकार के काेविड पाेर्टल पर पानीपत के 649 बिस्तर खाली दिखाए जा रहे थे, लेकिन असलियत में सिर्फ 483 बिस्तर ही खाली हैं, लेकिन एक सच ये भी है कि ये बेड कहां खाली है, विभाग काे भी पता नहीं।

किसी भी अधिकारी या डाॅक्टर काे फाेन कराे ताे कहते हैं बेड खाली नहीं है। फिर 483 बेड है कहां, क्याेंकि लाेगाें काे ताे समय पर मिल ही नहीं रहे। समालखा के 67 वर्षीय व्यक्ति काे बेड नहीं मिला उनकाे कहा गया कि एनसी काॅलेज में काेई बेड खाली नहीं है।

जींद: बेड भरे, पोर्टल पर दिखा रहा खाली

जींद सिविल अस्पताल में सभी बेड फुल है। इसके बावजूद हेल्थ डिपार्टमेंट की साइट पर कुछ बेड खाली दिखाए जा रहे हैं। इससे आसपास के जिलों के मरीज भ्रमित हो रहे हैं। जींद सिविल अस्पताल में रेफर होकर आ रहे हैं। अस्पताल प्रशासन के पास जो डाटा एंट्री आपरेटर थे, उनकी ड्यूटी कोविड व उचाना लैब में लगा दी, जिससे डेटा अपडेट नहीं हो रहा।

कई दिनों से पोर्टल पर पुराना डेटा है, जिससे लोग परेशान हो रहे हैं, जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि सिविल अस्पताल के सभी आइसोलेशन व आईसीयू बेड फुल है। आपातकालीन विभाग में 10-15 मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड लगाकर व्यवस्था की है। सिविल अस्पताल के एमएस डॉ. गोपाल गोयल का कहना है कि डेटा एंट्री ऑपरेटर की कमी होने के कारण अपडेट नहीं हो पा रहा है।

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