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लॉकडाउन में छोटे कारीगरों के काम बंद हुए तो उनके प्रोडक्ट को बेचने के लिए ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू किया

लॉकडाउन में छोटे कारीगरों के काम बंद हुए तो उनके प्रोडक्ट को बेचने के लिए ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू किया, 10 महीने में 20 लाख पहुंचा टर्नओवरआज की पॉजिटिव खबर में बात पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के रहने वाले संजोग दत्ता की। संजोग ने हाल ही में एक ऑनलाइन स्टार्टअप शुरू किया है, जहां वे छोटे शहरों के किसानों, कॉटेज इंडस्ट्री के लोगों, खासकर महिलाओं के प्रोडक्ट को उनसे खरीदते हैं और अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उसे बेचते हैं। इससे संजोग को तो फायदा होता ही है, साथ ही इन महिलाओं की भी अच्छी कमाई हो रही है। संजोग ने देश के कई बड़े शहरों में अपना नेटवर्क स्टैब्लिश कर लिया है। हर महीने उनके पास सैकड़ों ऑर्डर आ रहे हैं। महज 10 महीने में उन्होंने 20 लाख रुपए से ज्यादा का बिजनेस किया है।

30 साल के संजोग की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई दार्जिलिंग में हुई। इसके बाद कोलकाता से उन्होंने ग्रेजुएशन किया। फिर अलग-अलग शहरों में जॉब किया। कुछ सालों तक उन्होंने पत्रकारिता की। बाद में वे एक एनजीओ से जुड़ गए। काम के दौरान संजोग को कई बार एक जगह से दूसरी जगह ट्रेवल करना पड़ता था। इस दौरान वे अक्सर अपने यहां की पहाड़ी रेसिपीज को मिस करते थे। दूसरे शहरों के मार्केट में तमाम चीजें तो मिल जाती थीं, लेकिन दार्जिलिंग का टेस्ट नहीं मिलता था।

लॉकडाउन के दौरान शुरू किया बिजनेसपिछले साल जब लॉकडाउन लगा तो छोटे-छोटे सेक्टर्स से जुड़े लोगों ने संजोग को फोन किया और अपने हालात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने संजोग को बताया कि लॉकडाउन की वजह से वे अपना प्रोडक्ट नहीं बेच पा रहे हैं। इससे उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आर्थिक तंगी के चलते कुछ परिवारों को खाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। संजोग कहते हैं कि इनका दर्द सुनकर मेरे मन में ये ख्याल आने लगा कि मुझे इनकी मदद करनी चाहिए। मैं ये सोचने लगा कि क्या मैं इन्हें कोई मंच दे सकता हूं, जहां ये लोग अपना प्रोडक्ट आसानी से बेच सकें और कुछ कमाई कर सकें।

इसके बाद संजोग ने अपने परिवार के लोगों से बात की और तय किया कि वे एक ऑनलाइन फ्लेटफॉर्म लॉन्च करेंगे, जहां पहाड़ी इलाके में रहने वाले अपना प्रोडक्ट बेच सकेंगें। इसके बाद उन्होंने पिछले साल मई में दमी (Daammee) नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की।

किन-किन प्रोडक्ट की करते हैं मार्केटिंग?
संजोग कहते हैं कि हमारे पास 80 से ज्यादा टाइप के प्रोडक्ट हैं। इसमें पहनावे, खानपान से लेकर सजावट और रखरखाव के सामान तक शामिल हैं। खाने की चीजों की बात की जाए तो उसमें अलग-अलग तरह के आचार, चाइनीज सॉसेज (लैप चॉन्ग), स्मोक्ड पोर्क, मटन अचार, एक्सोन (किनमा), छुरपी चीज (हिमालयी क्षेत्र में खाया जाने वाला पारंपरिक पनीर), थुकपा और ग्लास नूडल्स जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा डिमांड मीट अचार, कलिम्पोंग नूडल्स और चूरूपी की है। वे मुख्य रूप से ये प्रोडक्ट कलिम्पोंग, दार्जिलिंग और कुर्सियांग से लाते हैं। खास बात यह है कि ये सभी प्रोडक्ट छोटे स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार किए गए हैं।

कैसे तैयार किया मार्केट?

संजोग बताते हैं कि चूंकि मैंने अलग-अलग शहरों में काम किया था तो कई लोगों से पहचान थी। मैंने उन लोगों को अपने स्टार्टअप के बारे में बताया। इसके बाद सोशल मीडिया का सहारा लिया। यहां अलग-अलग अकाउंट से पोस्ट करना और फिर पेज बनाकर प्रोडक्ट को प्रमोट करना शुरू किया। इससे हमारा बिजनेस बढ़ता गया। अभी अच्छी-खासी संख्या में लोग हमारे वॉट्सएप ग्रुप से जुड़े हैं। जिसे भी प्रोडक्ट की जरूरत होती है, वो हमें अपना पता और जो प्रोडक्ट चाहिए उसके बारे में जानकारी दे देता है। हम उसके घर वो प्रोडक्ट भेज देते हैं। इसके साथ ही हमने खुद की वेबसाइट भी बनाई है, जहां लोग मन मुताबिक प्रोडक्ट का ऑर्डर और पेमेंट कर सकते हैं।

क्या है संजोग का बिजनेस मॉडल?

संजोग और उनकी टीम सबसे पहले छोटे-छोटे कॉटेज इंडस्ट्री से जुड़े लोगों और किसानों से उनके प्रोडक्ट खरीदती है। उसके बाद अपने गोदाम में लाते हैं। जहां वे लोग पहले प्रोडक्ट की क्वालिटी टेस्ट करते हैं। उसके बाद उनकी पैकेजिंग का काम होता है। इसके बाद सभी प्रोडक्ट को अलग-अलग कैटेगरी में बांट दिया जाता है। इसके बाद जैसे-जैसे ऑर्डर आते हैं, उन्हें भेजने का काम शुरू हो जाता है। अभी वे देशभर में अपने प्रोडक्ट की होम डिलीवरी कर रहे हैं। संजोग के साथ अभी 12 लोगों की टीम काम कर रही है।

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