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नई नस्ल के मामले बढ़ रहे:वायरस की नई किस्मों से संक्रमण के 60% ज्यादा फैलने का खतरा

अमेरिका में भी नई नस्ल के मामले बढ़ रहे:वायरस की नई किस्मों से संक्रमण के 60% ज्यादा फैलने का खतरा, वे पुराने के मुकाबले 67% अधिक घातकयूरोप, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील के बाद अमेरिका में भी केस बढ़ रहे
वैज्ञानिकों की राय है कि मौजूदा स्थिति को अलग महामारी मानें
पिछले कुछ सप्ताह से अमेरिका में उत्साह का माहौल है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और मौतों की दर में कमी आई है। शक्तिशाली वैक्सीनों के कारण सामान्य स्थिति तेजी से बहाल हो रही है। लेकिन,अगले कुछ माह दर्दनाक हो सकते हैं। वायरस की नई किस्में फैल रही हैं। बदलाव के कारण वायरस अधिक संक्रामक और कुछ मामलों में ज्यादा जानलेवा हो सकता है। ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में नई नस्ल ने कहर ढाया है। अमेरिका में कैलिफोर्निया,न्यूयॉर्क और ओरेगॉन में नई किस्में मिल चुकी हैं।

इस समय अधिकतर वैक्सीन नई किस्मों के खिलाफ असरकारक लगती हैं। लेकिन, स्वास्थ्य अधिकारी चिंतित हैं कि वायरस के भावी बदलाव प्रतिरोध की क्षमता को बेअसर कर सकते हैं। इसलिए अमेरिकियों को वैक्सीन की बूस्टर डोज या नई वैक्सीन लेना पड़ेगी। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी, स्कॉटलैंड में लोक स्वास्थ्य के प्रोफेसर देवी श्रीधर कहते हैं, लगता है, वायरस एेसे तरीके से बदल रहा है कि इसे दबाना मुश्किल पड़ेगा।

ब्रिटेन और यूरोप में संक्रमण फैलाने वाली वायरस की नई किस्म बी.1.1.7 अमेरिका में भी तेजी से बढ़ रही है। फ्लोरिडा और मिशीगन में सीमित जेनेटिक टेस्टिंग में 12500 मामलों का पता लगा है। कुल संक्रमण की दर घटने से अब तक नई किस्म का विस्तार सामने नहीं आया है। इसलिए लोग बेफिक्र हो गए हैं। लंदन हाईजीन, ट्रॉपिकल मेडिसिन स्कूल में संक्रामक बीमारियों के प्रोफेसर सेबास्टियन फंक का कहना है, बी.1.1.7 और अन्य किस्मों को अलग महामारी के रूप में लेने पर ही बात बनेगी। दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और अमेरिका में मिली वायरस की अन्य किस्में धीरे फैल रही हैं।

लेकिन, चिंताजनक तथ्य है कि उनका एक बदलाव वैक्सीन के प्रभाव को कम करता है। हालांकि, वैज्ञानिकों को भरोसा है कि अंत में जीत वैक्सीन की होगी। वायरस की नई किस्म यदि अधिक संक्रामक है, गंभीर रूप से लोगों को बीमार करती है या प्रतिरोध की क्षमता को बेअसर बनाती है तो यह चिंताजनक है। ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और कैलिफोर्निया में पाई गई किस्म ऐसी ही है।

नए अनुमानों के अनुसार बी.1.1.7 किस्म मूल वायरस के मुकाबले 60 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलती है और 67 प्रतिशत अधिक घातक है। अधिकतर वैक्सीन बी.1.1.7 किस्म के खिलाफ प्रभावी हैं लेकिन शोधकर्ता ई484 नामक बदलाव वाली अन्य किस्मों के संबंध में चिंतित हैं।

नई किस्म अधिक समय तक बीमार रखती है

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की जीवविज्ञानी केटरीना लिथगो ने बताया, नई नस्ल से संक्रमित लोगों में वायरस का बोझ लंबे समय तक रहता है। लोग अधिक दिन तक बीमार रहते हैं। ब्रिटेन में बी.1.1.7 इतना अधिक संक्रामक रहा कि घर में रहने के कड़े आदेशों और तेजी से वैक्सीनेशन के बावजूद तीन माह बाद इंफेक्शन कम हुए। यूरोप में बी.1.1.7 की लहर महीनों से आकार ले रही थी। उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं था। अब नई किस्मों की लहर तेजी से फैल रही है। यूरोप में कोविड-19 से हर दिन उतनी मौतें हो रही हैं जितनी पिछले साल इस समय हो रही थीं।

नई वैक्सीन सभी किस्मों के खिलाफ काम करेगी

अच्छी खबर है कि दक्षिण अफ्रीका में शोधकर्ताओं ने बी.1.351 के खिलाफ एक वैक्सीन तैयार की है। यह वायरस की अन्य सभी किस्मों को निष्प्रभावी कर सकती है। फाइजर, बायोएनटेक और मॉडर्ना भी बी.1.351 के खिलाफ नई वैक्सीन की टेस्टिंग कर रहे हैं। यह बाकी किस्मों के खिलाफ भी काम करेगी। अमेरिका में संक्रामक बीमारियों के प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फॉसी का कहना है कि नई वैक्सीन की बजाय अमेरिकियों को फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्ना वैक्सीन की तीसरी डोज छह माह या साल भर के अंदर लेनी चाहिए। यह सभी किस्मों का मुकाबला कर सकेगी।

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