जगह खाली करने के आदेश:100 साल पुराना मिलिट्री डेयरी फार्म पूरी तरह बंद, एक हजार एकड़ जमीन सेना को मिलेगीमिलिट्री डेयरी फार्म प्रबंधन जमीन व रिकॉर्ड सेना को 8 अप्रैल तक सौंप देगा
कभी 1,700 गायें थी यहां, सेना को होती थी दूध की सप्लाई, कई कर्मचारी करते थे काम
अम्बाला कैंट में सौ साल पुराना मिलिट्री डेयरी फार्म 2019 में बंद हो चुका है और डेयरी फार्म में काम करने वाले स्थायी अधिकारियों व स्टाफ को रिटायर होने तक सेना में समायोजित कर दिया गया है। इसके अलावा जमीन व कार्यालय का रिकार्ड 8 अप्रैल तक जमा करा दिया जाएगा। इन औपचारिकताओं के बाद सेना जमीन पर अपना कब्जा ले लेगी।
डेयरी फार्म ने क्वार्टर में रहने वाले अस्थाई कर्मचारियों के परिवारों को भी नोटिस देकर जगह खाली करने के आदेश दिए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि 31 मार्च तक का समय दिया गया था। डेयरी फार्म में 1700 मवेशियों को साल 2019 में ही सरकारी विभाग के हैंडओवर किया जा चुका है।
अम्बाला कैंट का डेयरी फार्म एक हजार एकड़ में चल रहा था। जिसमें मवेशियों को रखने के लिए जगह थी और फार्म मे काफी संख्या में कर्मचारी काम करते थे। मिलिट्री फार्म बंद होने के बाद यहां काम करने वाले स्थायी कर्मचारियों का तबादला मंत्रालय के दूसरे विभागों में किया गया है। वे रिटायर होने तक उन विभागों में सेवाएं देते रहेंगे। इतना ही नहीं जमीन को सेना को दे दिया जाएगा। सेना जमीन का इस्तेमाल सैनिकों के रहने व अन्य व्यवस्थाओं के लिए कर सकेगी।
अब दूसरा रोजगार ढूंढना पड़ेगा : जितेंद्र
डेयरी फार्म में काम करने वाले जितेंद्र ने बताया कि 15 साल से पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हैं और यूपी के मऊ जिला से आकर यहां पर सात साल पहले काम शुरु किया था, अब नई नौकरी ढूंढनी पड़ेगी। उसके पास दो बच्चे हैं। नोटिस मिला चुका है 8 अप्रैल तक वह भी क्वार्टर छोड़ कर अपने गांव लौट जाएंगे।
सैनिकों के दूध के लिए स्थापित किए थे
मिलिट्री डेयरी फार्म सैनिकों को दूध की आपूर्ति करने के लिए स्थापित किए गए थे। बाद में सेना ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर फ्रेजवाल शुरु किया था। दूध का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए हॉलस्टेन फ्रेजियन को साहीवाल गायों को रखा गया। इस फ्रेजियन ब्रीड 4 प्रतिशत बटर फैट के साथ 300 दिन तक 4 हजार किलो दूध देती थी।
पहला मिलिट्री फार्म इलाहाबाद में लगा था
अंग्रेजों ने 1889 में पहला मिलिट्री डेयरी फार्म इलाहाबाद में लगाया था । इसके बाद जरूरत के मुताबिक देश में बनाई अलग-अलग छावनियों में यह फार्म खोले गए थे । इसके बाद दिल्ली, जम्मू, श्रीनगर जैसे सैन्य एरिया में फार्म बनाए गए। अम्बाला में सैन्य छावनी तो वर्ष 1843 में शुरू हो गई थी लेकिन डेयरी फार्म वर्ष 1920 के आसपास बनाया गया था।
डेयरी फार्म बंद होने के कारण
देशभर में 130 डेयरी फार्म हैं, जिन पर सालाना 280 करोड़ रुपये खर्च होता था। जून 2014 में डिप्टी डायरेक्टर जनरल ने आदेश दिए थे कि मिलिट्री डेयरी फार्म से आर्मी सर्विस कॉप्सर् को सौंप दी जाए। इसके अलावा साल 2016 में लेफ्टिनेंट जनरल ने सेना की सेना की शाखाओं को पुनर्गठन व डेयरी फार्म बंद करने का सुझाव दिया था।
इसके अलावा यह भी सामने आया कि पहले छावनियां शहरी आबादी से दूर होती थी इसलिए दूध नहीं मिलता था। अब शहरी क्षेत्र छावनियां के नजदीक बस चुके हैं और दूध की उपलब्धता है। इसलिए सेना ने उपलब्धता और खर्च को बचाने के लिए यह फार्म बंद कर दिया। डेयरी फार्म के अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली में 31 मार्च को एक कार्यक्रम में सभी फार्म को पूर्ण रुप से बंद करने औपचारिक घोषणा की गई थी।