वन विभाग में पकड़ी गई बड़ी गडबड़ी:कैग रिपोर्ट में खुलासा, अतिक्रमण पर जीआईएस व कर्मियों के सर्वे में 900 हेक्टेयर का फर्क, सर्वे का साक्ष्य नहींकैग रिपोर्ट ने वन विभाग में चल रही गड़बड़ियों को उजागर किया है। जीआईएस के जरिए अरावली व शिवालिक की पहाड़ियों के सर्वे में राज्य में 1125 हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध कब्जे सामने आए थे। वहीं, फील्ड कर्मियों की रिपोर्ट में सिर्फ 185.528 हेक्टेयर पर अवैध कब्जे बताए हैं।
इसके अलावा चौकीदारों की नियुक्ति पर 2.90 करोड़ रुपए खर्च किए गए। जबकि, विभाग के पास इनके नाम व पीएफ का कोई डेटा नहीं है। उच्च अधिकारी भी दोषियों पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं। कैग की यह रिपोर्ट 2015 से 2019 तक के मामलों की जांच के बाद तैयार हुई है।
कैग ने टिप्पणी कर लिखा- अरावली में आबादी और पशु बढ़ने, प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित प्रयोग करते हुए अवैध खनन और पेड़ों की अवैध कटाई से हालत चिंताजनक है। शिवालिक में वनस्पति और वन्य जीवों का अस्तित्व खतरे में है। पीसीसीएफ वीएस तंवर का कहना है कि रिपोर्ट में अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। इसकी दोबारा जांच करा रहेे हैं।
जानिए, विभाग में किन कार्यों में हुआ घालमेल
अवैध कब्जे: अतिक्रमण वाले क्षेत्रों की पहचान के लिए फरवरी, 2017 में जीआईएस के जरिए जांच कराई तो 1125.01 हेक्टेयर जमीन पर कब्जे का पता लगा। फील्ड कर्मचारियों ने अगले ही माह जो रिपोर्ट दी उसमें 185.528 हेक्टेयर में अवैध कब्जा बताया। यानी 939.482 हेक्टेयर का अंतर था। जब कैग ने जांच की तो इसका खुलासा हुआ।
कागजों में चौकीदारों की नियुक्ति: अरावली में अवैध खनने रोके लिए सुरक्षा चौकीदारों की नियुक्ति पर विभाग ने 2015 से 2018 के बीच 2.90 करोड़ रुपए खर्च बताया। लेकिन, टेंडर के दस्तावेज ही विभाग नहीं दे पाया। विभाग के पास चौकीदारों की पूरी जानकारी ही नहीं थी। न तो चौकीदारों के नाम हैं और न उनके पीएफ आदि की कोई सूचना है।
न्यायालय में केस दायर करने में देरी: पांच वर्षों में पेड़ों की अवैध कटाई और अवैध खनन के 10,436 मामले सामने आए। 2.56 करोड़ रुपए की वसूली भी दिखाई गई। लेकिन कई ऐसे भी मामले सामने आए, जिनमें विभाग ने न्यायालय में केस दायर करने में देरी की। जिस वजह से 222 केस तो बाहर ही खत्म हो गए। दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई एक्शन ही नहीं लिया गया।