टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदाेलन का 127 वां दिन:किसानों की बैठक का दिखा असर, टिकरी बाॅर्डर पर संख्या बढ़ी, 10 को केएमपी बंद रखने के लिए लगाई जाएगी ड्यूटीटिकरी बॉर्डर पर किसान आंदाेलन का 127 वां दिन:किसानों की बैठक का दिखा असर, टिकरी बाॅर्डर पर संख्या बढ़ी, 10 को केएमपी बंद रखने के लिए लगाई जाएगी ड्यूटीनए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच में जारी गतिरोध भले ही अभी आगे भी चलने की संभावना है पर दो दिन पहले किसानों की बैठक का असर था कि गुरुवार को टिकरी बाॅर्डर पर किसानों की संख्या में तेजी से बढ़ाेतरी हुई है। इसे देख स्टेज पर भाषण देने वाले किसान नेताओं के चेहरे पर भी चमक थी।
किसानों ने आंदोलन तेज करने की तैयारी के साथ-साथ 10 अप्रैल को 24 घंटे केएमपी बंद रखने के लिए एक दो दिनों में डयूटी लगाने की बात की। शुक्रवार की सभा में पाला राम प्रधान नोगामा खाफ बीबीपुर हरियाणा ने टिकरी बॉर्डर पर पहुंचकर किसानाें को समर्थन दिया।
दोपहर को बलबीर सिंह राजेवाल प्रधान भाकियू राजेवाल पंजाब ने टिकरी बॉर्डर पर पहुंचकर किसानों को समर्थन दिया ओर अपने संबोधन में कहा कि किसान अपनी मांगों के संबंध में 128 दिन से दिल्ली के बाॅर्डर पर बैठे है जब कोई आंदोलन होता है तो सरकार की जिम्मेवारी होती है कि वह उनकी बात सुने।
कृषि कानूनाें के विराेध में डटे किसान
इस आंदोलन के शुरू होने से पहले पंजाब के किसान रेलवे ट्रैकाें पर बैठे थे उसके बाद किसानों ने दिल्ली के बाॅर्डराें को घेरा है सरकार इस गलतफहमी में है की किसान अपने घर चले जाएंगे, लेकिन हरियाणा और पंजाब के किसान लगातार इस आंदोलन में डटे हुए है वह अपने गांवो में अपने फैसले खुद करते है।
यह सबसे बड़ा आंदोलन है इस आंदोलन में कही भी अहिंसा नही हुई इस आंदालेन में बहुत बड़ी खूबी है हमारी सरकार के साथ 11 बैठक हुई हमने चार बैठकों में पता चल गया था कि सरकार इन तीन काले कानूनों को रद्द नहीं करेगी सरकार ने किसानों को कोई जवाब नही दिया यह सरकार कॉर्पोरेट की सरकार है राजेवाल ने कहा कि सरकार हमारी जायज मांगो को नही मान रही है।
हम गर्मी में भी इस आंदोलन में बैठे है किसानों की लगातार शहादत हो रही है सरकार को इस बात की कोई चिंता नही है मोदी जी पार्लियामेंट में किसानों को आंदोलन जीवी कह रहे हैं हम आंदोलन जीवी है अपने हको के लिए लड़ना सभी का हक होता है।
मोदी सरकार तानाशाही कर रही है मोदी की इस भाषा को सदियों तक किसान याद रखेगा में हरियाणा और पंजाब के किसानों को बधाई देता हूं कि इन्होंने भाजपा के मंत्री एमएलए को गाड़ियों में घूमना बंद कर दिया पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है।
मई के पहले या दूसरे सप्ताह में पैदल घेराव का प्लान
किसानों ने रेल भी रोकी, लेकिन सरकार की फिर भी आंखे नही खुली है सारी दुनिया इस आंदोलन को देख रही है सभी एमएसपी मांग कर रहे है मोदी सरकार से इस काले कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे है हम इस आंदोलन में शांतिपूर्वक कर रहे है मोदी सरकार ने बैंकों को प्राइवेट कर रही है रेल, हवाई जहाज, बंदरगाह को बेच रही है।
मोदी सरकार का काम है कि देश मे बेरोजगारी फैलानी है देश को धर्म के नाम पर बांट रही है अब इनको धर्म के नाम पर वोट नही मिलेगी। किसान नेताओं ने हरियाणा और पंजाब के किसानों से आग्रह किया है कि मई के पहले या दूसरे सप्ताह में पैदल सांसद का घेराव करेंगे जिसकी तारीख अभी तय नहीं की है हम सरकार को 26 जनवरी वाला मौका नही देंगे हम पैदल मार्च करेंगे।
हम अपने हाथों पर रस्सी बांधकर दिल्ली कूच करेंगे हम किसी को कुछ नही कहेंगे यह आंदोलन जारी रहेगा हम पीछे नही हटेंगे सरकार ने पहले भी गड़बड़ की थी जो अब भी आंदोलन में गड़बड़ करेगी। किसान नेताओं ने लगातार इस आंदोलन में डटने पर सभी किसानों का धन्यावाद भी किया।
गर्मी से बचने के लिए किसान बना रहे झोपड़ियां
कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन लंबी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं। सर्दी गुजर चुकी है। अब किसानों को गर्मी सताने लगी है। अप्रैल का महीना शुरू हो चुका है। दिन के समय घर में गर्मी भी अपने तेवर दिखाने लगी है। उसी के अनुरूप अब ढासा बॉर्डर के धरने पर भी परिवर्तन नजर आने लगे हैं।
पहले टेंट को पूरी तरह से ढक कर बनाया गया था, ताकि ठंडी हवा, तेज सर्दी किसानों को परेशान ना करें। अब दिन में सभा स्थल के रूप में प्रयोग होने वाले टेंट को चारों तरफ से खोल दिया गया है, ताकि धरने पर बैठे किसानों को आर-पार की हवा लग सके।
सभा स्थल पर कूलर और पंखों का इंतजाम भी कर दिया गया है और किया जा रहा है। किसानों ने अलग से अपनी झोपड़ी है बनानी शुरू कर दी हैं। इन झोपड़ियों के ऊपर घास-फूस, सरकडे आदि की टाटियां तैयार की जा रही हैं, जिनको झोपड़ियां के ऊपर छत के रूप में प्रयोग किया जाएगा। धरना स्थल और सभा स्थल पर किसानों, आने वाली महिलाओं व अन्य को ठंडा पानी मिल सके इसके लिए आंदोलनरत किसानों को दीपक धनखड़ कासनी ने वाटर कूलर भी भेंट स्वरूप दिया है।
धरने पर वाटर कूलर लगाए जा रहे हैं, ताकि गर्मी में किसानों को ठंडा पानी मिल सके। इसके अलावा भी ढासा बॉर्डर पर गुलिया खाप की अध्यक्षता में चल रहे धरने के ऊपर आगे झुलसा देने वाली गर्मी से बचने के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं।
किसानों का पूरा प्रयास है कि आंदोलन की समाप्ति की कोई समय सीमा नहीं है। आंदोलन लंबा चलने की उम्मीद है। इसी को ध्यान में रखते हुए किसान गर्मी से निपटने की तैयारियों में लगे हुए हैं।