ममता का गढ़ दांव पर:झाड़ग्राम में ऐन मौके पर डैमेज कंट्रोल कर ममता मजबूत हुईं, 30 दिनों में तेजी से बदला समीकरणकुछ दिनों पहले झाड़ग्राम में गृहमंत्री अमित शाह की रैली ऐन मौके पर रद्द हो गई। कहा गया, हेलिकॉप्टर में तकनीकी खराबी थी। लेकिन चुनावी विशेषज्ञ कहते हैं, हेलिकॉप्टर की खराबी नहीं बल्कि झाड़ग्राम में पिछले 30 दिनों में जो माहौल बदला है, उसके चलते शाह सभास्थल नहीं आए। क्योंकि उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं जुटी। खाली मैदान की फोटो टीएमसी ने भी शेयर की थी।
झाड़ग्राम में एक महीने पहले तक बीजेपी के पक्ष में माहौल था लेकिन बीते 30 दिनों में समीकरण तेजी से बदला है। स्थानीय लोग कहते हैं दस साल में ममता ने यहां विकास के बहुत काम किए हैं। 2017 में झाड़ग्राम को नया जिला बनाया। पक्की सड़कें और ओवरब्रिज का जाल बिछाया।
लेकिन टोलाबाजी और बेरोजगारी के चलते टीएमसी से नाराज लोग बीजेपी को विकल्प के रुप में देख रहे थे। बीजेपी के जंगलमहल में उभरने का दूसरा बड़ा फैक्टर आरएसएस है। संघ यहां सालों से काम कर रहा है। इससे बीजेपी को झाड़ग्राम में एक आधार मिला है। आम लोगों को समझाया गया कि, बीजेपी आएगी तो कमीशन नहीं देना पड़ेगा। काम सबको मिलेगा। इसका असर ग्राउंड पर नजर आने लगा था।
नाराजगी भांप घर-घर पहुंची सरकार
इसी स्थिति को ममता ने भांप लिया था। जंगलमहल इलाके में वे द्वारे सरकार प्रोग्राम चलाकर एक-एक समस्या को मौके पर ही हल करने लगीं। झाड़ग्राम सामान्य सीट होने के बावजूद संथाली समुदाय की लड़की को कैंडीडेट बनाया गया। जानकार कहतें हैं, इस तरह ममता ने फिर बढ़त हासिल कर ली है।
झाड़ग्राम की चार सीटों में टीएमसी 3 पर मजबूत दिख रही। एक पर भाजपा को बढ़त।
पुरुलिया में 4 सीटों पर भाजपा 3 पर टीएमसी और 2 पर लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन आगे।
बांकुड़ा की 12 सीटों में से 5 पर भाजपा, 4 पर टीएमसी और 3 पर गठबंधन मजबूत स्थिति में।
मेदिनीपुर की 12 सीटों में से 7-8 सीट पर टीएमसी और 4-5 पर भाजपा मजबूत दिख रही।