भारतीय संस्कृति की दो अनोखी झलक:वृंदावन में ठाकुरजी श्री बांकेबिहारी ने चार लाख भक्तों के साथ खेली रंगभरी होली, काशी में ‘रंग में अर्थी, संग में अर्थ’वृंदावन: भक्तों संग ठाकुरजी की होली
रंगभरनी एकादशी के दूसरे दिन गुरुवार को भारतीय संस्कृति की दो अनोखी झलक देखने को मिलीं। पहली- वृंदावन में और दूसरी काशी में। एक तरफ वृंदावन में ठाकुरजी श्री बांकेबिहारी अपने मंदिर में देश-दुनिया के कोने-कोने से आए करीब चार से पांच लाख भक्तों के साथ रंगभरी होली खेल रहे थे। इस दौरान भक्त लट्ठमार, फूलों और रंगों की होली खेलते दिखे।
काशी: खेलें दिगंबर मसाने में होरीबाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में बांकेबिहारी के आराध्य महादेव संग उनके लाखों गण-भक्त मसाने (श्मशान) में होरी हुड़दंग मचा रहे थे। रंग, हुड़दंग के बीच ही कोई मोक्ष-यात्रा पर जा रहा था। ‘रंग में अर्थी, संग में अर्थ।’ अर्थ कि महादेव संग हैं तो मोक्ष है। मोक्ष है तो उल्लास है। उल्लास है तो रंग हैं।
अयोध्या: रामलला के दरबार में गुलाल
रामनगरी में होली का उल्लास दोगुना है। गुरुवार को साधु-संतों की टोली ने हनुमानगढ़ी में भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना कर रंग-गुलाल उड़ाकर होली खेली। महंत राजू दास ने कहा- राम मंदिर निर्माण शुरू होने से लोगों में उत्साह है। मंदिर निर्माण शुरू होने से हनुमान जी प्रसन्न हैं।