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लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली BJP 12 विधानसभा सीटों में 5 पर मजबूत

बंगाल के बांकुड़ा से ग्राउंड रिपोर्ट:लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली BJP 12 विधानसभा सीटों में 5 पर मजबूत; लोग ममता से खुश हैं, पर TMC कार्यकर्ताओं से नाराजजंगलमहल के बांकुड़ा इलाके की 12 विधानसभा सीटों पर 27 मार्च को चुनाव
इस इलाके में भाजपा का प्रदर्शन तय करेगा कि वह सत्ता के कितने नजदीक
बांकुड़ा बंगाल का वह इलाका है जो सालों लेफ्ट का गढ़ रहा, लेकिन 2011 विधानसभा में TMC ने यहां सेंध लगाई और 2016 में यहां पूरी तरह काबिज हो गई। पर 2019 के लोकसभा चुनाव में नजारा बदला। BJP ने यहां बड़ा उलटफेर करते हुए इलाके की दोनों लोकसभा सीटें बांकुड़ा और विष्णुपुर जीत लीं। लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाली BJP इस बार विधानसभा चुनाव में भी वैसा ही प्रदर्शन दोहराना चाहती है।

27 मार्च को बांकुड़ा इलाके की कुल 12 सीटों पर वोटिंग होनी है। ये सीटें हैं- बांकुड़ा, विष्णुपुर, सलतोरा, छातना, रानीबांध, रायपुर,तालडांगरा, बरजोरा, औंढा, इंडस, कोतुलपुर और सोनामुखी। इस इलाके में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कई सभाएं कर चुकी हैं और उनकी कोशिश है कि इस इलाके में BJP को कम से कम पर रोक दिया जाए। लेफ्ट भी अपने पुराने गढ़ को पाने की उम्मीद लगाए हुए हैं। कुल मिलाकर भाजपा अभी इस इलाके में TMC और लेफ्ट से थोड़ा सा आगे जरूर दिखती है, लेकिन पार्टी लोकसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहरा पाएगी, इसमें पार्टी के रणनीतिकारों को भी शक है।
लोकसभा चुनाव जैसा नहीं रहेगा वोटिंग पैटर्न

बांकुड़ा में 25 सालों से पत्रकारिता कर रहे आलोक सेन कहते हैं, ‘2016 तक बांकुड़ा में सात विधानसभा क्षेत्र TMC के प्रभाव वाले और पांच Cong-CPM के प्रभाव वाले थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने बांकुड़ा की सभी 12 सीटों पर बढ़त बनाई और लोकसभा की दोनों सीटें जीत लीं। हालांकि इस बार वोटिंग पैटर्न अलग रहेगा। अभी 5 सीटों पर BJP, 4 पर TMC और 3 पर गठबंधन मजबूत नजर आ रहा है।’ स्थानीय लोग भी चुनावी हवा के बारे में कुछ ऐसी ही बातें करते हैं।

2016 में कांग्रेस ने बांकुड़ा और विष्णुपुर विधानसभा सीट जीती थीं, लेकिन विष्णुपुर में इस बार मुख्य लड़ाई BJP-TMC के बीच दिख रही है। विष्णुपुर के स्थानीय निवासी उलून पांजा कहते हैं, ‘2018 में मैं पंचायत चुनाव के लिए नॉमिनेशन करने गया था, लेकिन TMC के गुंडों ने मारकर भगा दिया। नॉमिनेशन फाइल नहीं करने दिया। इसलिए इस बार हमारे गांव के लोग मोदी को जिताएंगे, ताकि ये गुंडागर्दी बंद हो।’

लेकिन व्यवसायी संतोष गोराय कहते हैं, ‘दीदी ने कन्याश्री, रूपश्री, स्वास्थ्य साथी दिया। कॉलेज भी खोला इसलिए हम दीदी को ही जिताएंगे।’ उनके साथ ही खड़े प्रदीप गोस्वामी भी इस बात से सहमत दिखे। वे कहते हैं, ’34 साल में वामपंथ ने कुछ नहीं किया। दीदी ने सड़क, बिजली दी। गेहूं-चावल फ्री में मिल रहा है।’ बांकुड़ा में पीएम की रैली में भारी भीड़ के सवाल पर वे कहते हैं कि सब कह रहे थे कि वहां मिथुन आ रहा है, मिथुन को देखने के लिए लोग गए थे, लेकिन वो नहीं आया। बांकुड़ा में भी BJP-TMC के बीच लड़ाई दिखती है। लेकिन कांग्रेस-लेफ्ट के प्रत्याशी भी मजबूती से लड़ रहे हैं और मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं।लेकिन छातना सीट पर माहौल देखकर ही भांपा जा सकता है कि यहां BJP की हवा बहुत तेज है। यहां सबसे बड़ा मुद्दा तृणमूल कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी का बन गया है जो भाजपा के मजबूत होने की सबसे बड़ी वजह बनता नजर आ रहा है। छातना में ही हमें सभा करते हुए CPM के नेता समर्थ चक्रवर्ती मिल गए। वे कहते हैं, ‘TMC ने बेकार को काम नहीं दिया। डेमोक्रेसी खत्म कर दी। BJP ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ दिया। इसलिए इस बार लोग हमारे गठबंधन उम्मीदवार को ही पूर जंगलमहल में जिताएंगे।’

स्थानीय निवासी और वकील राजेश चटरे कहते हैं, ‘माहौल तो जय श्रीराम और मोदीजी का है। पिछली सरकारों को देख लिया। यहां पुलिस में 45 हजार, टीचर में 85 हजार पद खाली हैं, लेकिन भरे नहीं गए। अब बंगाल को सुधारना है तो मोदीजी को ही लाना होगा।’

छातना के साथ सोनामुखी, औंढा, रायपुर और रानीबंध की सीटों पर BJP की स्थिति मजबूत है। स्थानीय BJP नेता भी दावा करते हैं कि इन पांच सीटों पर जीत पक्की है। लोकसभा चुनाव में यहां की सभी 12 सीटों पर भाजपा आगे थी, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता भी मानते हैं कि वैसा इस बार हो पाना बहुत मुश्किल है।पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रो. रियाज बांकुड़ा के समीकरणों को कुछ यूं समझाते हैं, ‘आदिवासी-पिछड़ी जातियों के वोट 2019 में बीजेपी के पास जा चुके हैं। TMC जंगलमहल में इसलिए इतनी मेहनत कर रही है कि वह उनके कुछ वोट वापस पाना चाहती है। तृणमूल कार्यकर्ताओं से यहां नाराजगी है, इसीलिए ममता को हर सभा में कहना पड़ रहा है कि चुनाव ये लोग नहीं मैं लड़ रही हूं। हालांकि जंगलमहल में अभी पलड़ा BJP का ही भारी दिखाई दे रहा है, लेकिन वह लोकसभा जैसा प्रदर्शन नहीं कर पाएगी।’

आदिवासी, पिछड़ी जाति बहुल इलाका है बांकुड़ा

जंगलमहल में 70% आदिवासी आबादी है। संथाल, उरांव, सबर, खेरिया, लोढ़ा, मुंडा, भूमिज, महाली, वोरा, आदि यहां की प्रमुख जनजातियां हैं। बागड़ी, गोला, सदगोप, कुर्मी, महतो, डोम, मल, कैबार्टो, तांती और तेली कुछ प्रमुख पिछड़ी जाति समूह हैं, जो यहां बड़ी संख्या में रहते हैं। ममता बनर्जी पिछले एक हफ्ते से जंगलमहल में ही डेरा जमाए हुईं थीं। उन्होंने बांकुड़ा में भी कई सभाएं कीं, लेकिन CM की सभाओं में उतनी भीड़ नजर नहीं आई, जितनी भीड़ पीएम मोदी की सभा में दिखी। PM मोदी के साथ ही अमित शाह, राजनाथ सिंह की सभाएं भी बांकुड़ा में हो चुकी हैं। BJP यहां मिथुन चक्रवर्ती का रोड शो करवाने की तैयारी में है।

भीड़ के सवाल पर TMC नेता कहते हैं, ‘मोदी की रैली में कई जगहों के लोगों को लाया गया था, जबकि दीदी की सभा में सिर्फ स्थानीय लोगों को बुलाया गया था।’ बांकुड़ा में ममता सरकार की स्कीम्स काफी लोकप्रिय दिखती हैं। ममता की लोकप्रियता और भाजपा के पास किसी बड़े बंगाली चेहरे का अभाव ही इस इलाके में TMC की ताकत दिखने की वजह है।

सबसे कम संपत्ति वाली BJP कैंडीडेट चर्चा में

बांकुड़ा की सलतोरा विधानसभा से BJP ने चंदना बाउरी को कैंडीडेट बनाया है। वे इस चुनाव में सबसे गरीब उम्मीदवार बताई जा रही हैं। 30 साल की चंदना के पास तीन बकरियां, तीन गाय हैं। मिट्टी का घर है। उनके अकाउंट में महज 31,985 रुपए हैं। पति मजदूरी करते हैं। सलतोरा में इस बात की लोगों में काफी चर्चा है। स्थानीय निवासी भामर दत्तो कहते हैं ‘इस बार लड़ाई तो हड्डा-हड्डी यानी आरपार की है। ममता बनर्जी तो ठीक हैं, लेकिन उनकी पार्टी के लोग सही नहीं हैं। बूथ चेयरमैन सब पैसा खा जाते हैं। बिना कमीशन दिए कोई काम नहीं होता। इन लोगों के कारण ही दीदी हार जाएंगी।’ राजेश कहते हैं, ‘हर साल घर-घर पानी लाने का वादा होता है, लेकिन पानी पहुंचा आज तक नहीं है। आज भी पानी लेने आधा किमी दूर जाना पड़ता है।’

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