होली पर्व विशेष:सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग में मनाई जाएगी होली, दहन के समय नहीं रहेगा भद्रा का सायाफाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है होलिका दहन
इस बार होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानि 28 मार्च को किया जाएगा
हिंदू धर्म में होली के त्योहार का बड़ा महत्व है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। वहीं अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है। ज्योतिर्विद पं. कृष्ण कुमार शर्मा नांवा ने बताया होलिका दहन से पहले विधि-विधान से पूजा की जाती है। फिर शुभ मुहूर्त में ही होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन भद्रा काल में नहीं किया जाता। उन्होंने बताया कि इस बार होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानि 28 मार्च को किया जाएगा।
वहीं 29 मार्च को धूल्हेंडी का पर्व मनाया जाएगा। शर्मा नांवा ने बताया कि भद्रा काल के पश्चात ही होलिका का पूजन व दहन करना श्रेष्ठ माना गया है। इस बार खास बात यह है कि होली दहन के समय भद्रा का साया नहीं है। क्योंकि इस बार भद्राकाल दोपहर 1:52 तक ही रहेगी। अत: भद्रा काल के पश्चात ही होलिका का पूजन करना व शाम के समय प्रदोषकाल की अवधि में होलिका दहन शुभ फल देने वाला माना गया है। इसके अलावा शुभ मुहूर्त पद्धति के अनुसार सांय 6:37 से रात्रि 9:02 बजे के मध्य होलिका दहन करना श्रेयकर रहेगा।
पर्व पर बन रहे हैं कई खास और दुर्लभ योग
शर्मा नांवा ने बताया कि इस बार होली पर शनि अपनी राशि में विराजमान रहेंगे जो शुभ संयोग है। वहीं इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग के साथ ही अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। अर्थात इस बार होली सर्वार्थसिद्धि योग के साथ- साथ अमृत सिद्धियोग में मनाई जायेगी। होली पर चंद्रमा कन्या राशि में गोचर कर रहे हैं तो गुरु और शनि मकर राशि में है। वहीं इस दिन शुक्र और सूर्य मीन राशि में विराजमान होंगे। इसके अलावा अन्य ग्रहों की स्थिति मंगल और राहु वृषभ राशि में, बुध कुंभ राशि और मोक्ष के कारण केतु वृश्चिक राशि में विराजमान होंगे। उन्होंने बताया कि ग्रहों की इस तरह स्थिति के चलते ध्रुव योग का निर्माण होगा। इसके अलावा दशकों बाद होली पर सूर्य, ब्रह्मा और अर्यमा के साक्षी रहेंगे जो दूसरा दुर्लभ योग है।