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MBA के बाद खुद का स्टार्टअप शुरू किया,अब लेमन ग्रास से चाय बनाकर कमा रहे 5 लाख रुपए महीना

भागलपुर के रमन ने MBA के बाद खुद का स्टार्टअप शुरू किया, अब लेमन ग्रास से चाय बनाकर कमा रहे 5 लाख रुपए महीनाआज की पॉजिटिव खबर में बात बिहार के भागलपुर जिले के रहने वाले रौनक कुमार और रमन कुमार की। रौनक और रमन दोनों भाई हैं। वे एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं। रौनक ने इंजीनियरिंग की है जबकि रमन MBA ग्रेजुएट हैं। अभी दोनों मिलकर खुद का स्टार्टअप चला रहे हैं। वे लेमन ग्रास की खेती करते हैं और इससे चाय बनाकर देशभर में सप्लाई करते हैं। इस स्टार्टअप से हर महीने 4 से 5 लाख रुपए की कमाई हो रही है।

26 साल के रमन बताते हैं कि MBA के दौरान उन्होंने महसूस किया कि ज्यादातर बच्चे नौकरी की जगह स्टार्टअप को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसलिए पहले सेमेस्टर के दौरान ही उन्होंने एग्रोफीडर नाम से खुद की एक कंपनी रजिस्टर करा ली। चूंकि उनका फैमिली बैकग्राउंड खेती का रहा है तो उन्होंने भी इसी सेक्टर में काम करने का निर्णय लिया।

रमन कहते हैं कि मैंने खेती को बहुत करीब से देखा था। मुझे इसके तौर-तरीके मालूम थे। इसलिए मैंने तय किया कि अपने बिजनेस माइंड को खेती के काम में ही लगाया जाए। जिससे दूसरे किसानों को भी कुछ लाभ हो और उन्हें पलायन नहीं करना पड़े। यही सोचकर रमन ने 2018 में लेमन ग्रास की खेती शुरू की। बाद में रमन के बड़े भाई रौनक भी अपनी नौकरी छोड़कर इसी काम से जुड़ गए। अब रमन की पत्नी भी इस काम में दोनों का हाथ बंटाती हैं।लॉकडाउन में चाय बनाने का मिला आइडिया

रमन बताते हैं कि शुरुआत में वे सिर्फ खेती करते थे। फसल तैयार होने के बाद लेमन ग्रास की पत्तियों को मार्केट में सप्लाई कर देते थे। उन्होंने कई लोगों से कॉन्ट्रैक्ट कर रखा था जो लेमन ग्रास से ऑयल या मेडिसिनल प्रोडक्ट तैयार करते थे। इससे उन्हें अच्छी-खासी आमदनी हो जाती थी।

पिछले साल जब लॉकडाउन लगा तो उनका कारोबार बंद हो गया। उनकी पत्तियां नहीं बिकीं। ऐसे में रमन और रौनक ने ऑल्टरनेट प्लान के बारे में सोचना शुरू किया। इसको लेकर वे इंटरनेट से जानकारी जुटाने लगे। तब उन्हें पता चला कि इससे चाय तैयार की जा सकती है। जो इम्युनिटी बढ़ाने में भी कारगर साबित होगी।

रमन के साथ 10 लोगों की टीम काम करती है। जो लेमन ग्रास की खेती के साथ-साथ उसकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग का काम संभालती है। वे लोग लगातर सोशल मीडया पर एक्टिव रहते हैं ताकि कोई भी कस्टमर रिस्पॉन्ड करे या ऑर्डर के लिए रिक्वेस्ट करे तो उसे सामान भेजा जा सके। अभी हर महीने वे 4 से 5 हजार पैकेट्स डिलीवर कर रहे हैं। इंडियन स्पीड पोस्ट के माध्यम से वे देशभर में अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कई शहरों में फ्रेंचाइजी दे रखा है। वे कोई प्रोग्राम या इवेंट ऑर्गेनाइज कराके भी अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करते हैं।रमन कहते हैं कि किसान के लिए प्रोडक्शन समस्या नहीं है। असल दिक्कत मार्केटिंग और प्राइसिंग को लेकर है। अगर हमने इन दो चीजों पर काम कर लिया तो खेती सबसे बड़ा बिजनेस सेक्टर है। इसमें ग्रोथ की कमी नहीं है। रमन अपनी खेती के साथ-साथ दूसरे किसानों से भी लेमन ग्रास खरीदते हैं और उससे चाय तैयार करते हैं। इससे उन किसानों को भी लाभ हो जाता है। उनके साथ एक दर्जन से ज्यादा ऐसे किसान जुड़े है।

कैसे तैयार करते हैं चाय?

रमन कहते हैं कि सबसे पहले लेमन ग्रास की पत्तियों को काटकर धूप में सुखाया जाता है। उसके बाद उसे एक-एक इंच के टुकड़े में काट लिया जाता है। इसके बाद इसमें मोरिंगा यानी सहजन का पाउडर, तुलसी पत्ता और अदरक मिलाया जाता है। इलायची फ्लेवर के लिए अदरक की जगह इलायची पाउडर मिलाते हैं। अभी वे 50 ग्राम के पैकेट में चाय बेचते हैं। इसकी कीमत उन्होंने 120 रुपए रखी है।

कैसे करें लेमन ग्रास की खेती?

रमन बताते हैं कि लेमन ग्रास की खेती बहुत ही आसान है। यह किसी भी मिट्टी पर हो सकती है। बस जलजमाव वाली जगह नहीं चाहिए। जरूरत के मुताबिक सालभर इसकी खेती की जा सकती है। पहली बार खेती करने पर फसल तैयार होने में 60 से 65 दिन का वक्त लगता है। जबकि दूसरी बार में सिर्फ 40 से 45 दिन लगता है। एक बार प्लांटिंग करने के बाद चार से पांच साल तक फसल का लाभ लिया जा सकता है। इसके लिए महीने में एक बार सिंचाई की जरूरत होती है।
कम लागत में ज्यादा मुनाफा

लेमनग्रास की किसानी ज्यादा मंहगी नहीं हैं। इसके अलावा अन्य फसलों की अपेक्षा इसमें बीमारियां भी कम लगती हैं। कीट लगने की संभावना भी ना के बराबर है, इसलिए इस फसल में कीटनाशक छिड़कने की जरूरत ही नहीं पड़ती। एक एकड़ में लगाए गए लेमनग्रास के पौधे से एक कटाई में तकरीबन पांच टन तक पत्तियां निकलती हैं। इससे बड़ी संख्या में चाय के पैकेट्स और अगर आप चाहें तो तेल तैयार कर सकते हैं। लेमन ग्रास से निकलने वाला तेल कॉस्मेटिक्स, साबुन और तेल और दवा बनाने वाली कंपनियां यूज करती हैं, इस वजह से इसकी अच्छी कीमत मिलती है। अगर सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो प्रति एकड़ चार लाख रुपए तक सालाना आराम से कमाई हो सकती है।

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