मार्च में ही मई जैसा बवंडर:जैसलमेर में तबाही से 80 फीसदी फसलें बर्बाद, 3 हजार पेड़ गिरे; देर रात फिर तूफान की चेतावनी से प्रशासन अलर्टकिशनगढ़ में घंटों हवा में फंसे रहे 2 विमानों की जयपुर में आपात लैंडिंग
रात 11 बजे पाक से आया तूफान, एक घंटे में जिलेभर में करोड़ों का नुकसान
300 पोल व 12 ट्रांसफार्मर उखड़ने से 100 गांव व 500 ढाणियां अंधेरे में
जिले में रविवार की रात करीब 11 बजे आए तेज तूफान ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। जिले में पिछले 20 साल में ऐसी आंधी लोगों ने नहीं देखी। देर शाम तक मौसम सामान्य था, लेकिन रात करीब 11 बजे एकाएक शुरू हुई आंधी ने ऐसी तबाही मचाई कि सब कुछ चौपट हो गया। आंधी इतनी तेज थी कि लोगों ने घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटाई।
करीब एक घंटे तक तूफानी आंधी चली। मौसम विभाग ने सोमवार देर रात फिर तूफान की चेतावनी दी। इसके बाद कलेक्टर आशीष मोदी ने प्रशासन को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए हैं। जैसलमेर शहर सहित पूरे जिले में पाकिस्तान की तरफ से आए तूफान ने सबको हिलाकर रख दिया। देखते ही देखते आसमान में धूल के गुब्बार के साथ 58 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से तूफानी हवाएं चलने लगी। घरों के दरवाजे व खिड़कियां हिलने लगी, छपरे व टीन शेड तिनके की तरह बिखर गए। छतों की दीवारों पर रखे भारी पत्थर भी तेज आंधी में उड़कर सड़कों पर बिखर गए।नहरी क्षेत्र के किसानों की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। नहरी क्षेत्र में पहले पानी की कमी से फसलें जल चुकी थी।अब आंधी के कहर ने समूची फसलों को चौपट कर किसानों के मुंह आया निवाला छीन लिया। नहरी क्षेत्र में बीती रात आई तूफानी आंधी ने नहरी क्षेत्र में खड़ी व काटकर रखी गई फसलों पर जमकर कहर बरपाया। काटकर रखी गई फसल दूर दूर तक मुरब्बों में बिखर गई । तूफानी आंधी ने चन्द पलों में किसानों के पूरे साल की मेहनत पर पानी फेर दिया। फसलें खराब होने से किसानों में निराशा का माहौल है। फिलहाल रामगढ़ , मोहनगढ़ व नाचना के समूचे नहरी क्षेत्र के किसान पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं।
क्यों आया अंधड़ : जयपुर मौसम केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा के अनुसार, प्री-मानसून सीजन में हवा में कम नमी है। जमीन शुष्क होने से मेघगर्जन वाले ये बादल अंधड़ का रूप ले लेते हैं। इस बार औसत से 2 डिग्री तक ज्यादा पारा है। प. विक्षोभ भी सक्रिय है। इसलिए मई जैसे अंधड़ आ रहे हैं।किसानों ने बताया कि पूर्व में पानी की कमी से फसलें प्रभावित हुई थी फिर गर्मी की मार पड़ी और अब तूफानी आंधी की वजह से रही सही फसलें भी नष्ट हो गई। नहरी क्षेत्र में ईसबगोल, चना, सरसों, जीरा आदि फसलें मुरब्बों में काट कर एकत्र की हुई थी। तूफानी आंधी की वजह से फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई है। किसानों ने फसलों में हुए खराबे का सर्वे करवाकर उचित मुआवजा दिलाने की मांग की है। नहरी क्षेत्र के अलावा डेढा, बडोड़ा गांव, मूलाना, दवाड़ा, रासला, भागू का गांव सहित सभी ट्यूबवैल क्षेत्र प्रभावित हुआ है। साधेवाला में आंधी के साथ हुई ओलावृष्टि में अनूपसिंह की 25 बकरियां मर गई।
सम में 200 से अधिक टेंट उड़े
सम के धोरों पर रविवार की रात आए तूफान ने खासा नुकसान किया। यहां 200 से अधिक टैंट बिखर गए। गौरतलब है कि सैलानियों की आवक कम होने के चलते कई रिसोर्टस ने टैंट खोल दिए थे लेकिन कुछ रिसोर्टस अभी भी चालू थे। तूफानी हवा ने लग्जरी टैंट भी उखाड़ दिए। करीब 400 से अधिक सैलानी रात में वहीं थे। जिनमें से अधिकांश को जैसलमेर लाकर होटलों में शिफ्ट किया गया। मुख्य रूप से हीना कैम्प, ली रॉयल, टाओ लखमणा, रॉयल जैसलमेर, वेलकम डेजर्ट कैम्प, रॉक स्टार, यस कैम्प, केके रिसोर्टस एंड कैम्प, विंड कैम्प, गोल्डन कैम्प सहित 30 से अधिक रिसोर्ट में भारी नुकसान हुआ है। अनुमान के मुताबिक यहां 3 से 4 करोड़ का नुकसान हुआ।
एक दर्जन से अधिक लोगों को आई चोटें
बीती रात आए तूफान में एक दर्जन लोगों को मामूली चोटें भी आई। किसी के ऊपर छपरा गिरने से तो किसी के टीन शेड की चपेट में आने से चोट लगी। दो केस ऐसे भी सामने आए जिसमें सिर पर पत्थर लगने से मामूली चोट आई।100 गांव व 500 ढाणियां अंधेरे में डूबे; डिस्कॉम को 2 करोड़ का नुकसान
डिस्काॅम को आंधी से भारी नुकसान हुआ। 11 केवी के 134 व एलटी लाइन के 41 पोल सहित करीब 300 बिजली के पोल गिर गए। 12 ट्रांसफार्मर भी उखड़ गए। भोपा गांव में डिस्कॉम का यार्ड गिर गया। 132 व 220 केवी के एक एक टाॅवर भी धाराशायी हो गए। शहर के कुछ इलाकों में अल सुबह 4 बजे तक सप्लाई शुरू हुई तो कुछ इलाकों में सोमवार दोपहर बाद। जिले के 100 गांवों व 500 ढाणियों की बिजली सप्लाई बाधित रही। डिस्कॉम को दो करोड़ का नुकसान पहुंचा है।
खेतों में रखी फसलें आंखों के सामने चंद पलों में उड़ गई, बिजली के पोल टूटे,सैकड़ों पेड़ गिरे
इन दिनों जिले में फसलों की कटाई चल रही है। किसानों ने फसलों को काटकर खेतों में रख रखी थी। बीती रात आई आंधी में कुछ ही पलों में फसलें हवा में उड़ गई और देखते ही देखते किसानों को भारी नुकसान हो गया। एक अनुमान के मुताबिक 80 प्रतिशत खेतों में फसलें कटी हुई पड़ी थी। करीब 1 हजार करोड़ की फसलें इस तूफानी आंधी में बिखर गई।
किसानों के मुंह का निवाला कुछ ही देर में छिन गया। नहरी क्षेत्र में पहले से ही पानी की कमी के चलते फसलें कम ही थी, इन फसलों के भरोसे किसान बैठे थे और आखिरी समय में तूफानी आंधी ने उसे भी उड़ा दिया। आंधी इतनी तेज थी कि बड़े बड़े पेड़ भी इसकी चपेट में आ गए। जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों साल पुराने बड़े बरगद, खेजड़ी जैसे पेड़ उखड़ गए। अनुमान के मुताबिक 3 हजार से अधिक पेड़ धाराशायी हो गए। कई पेड़ों के गिरने से बिजली के तार भी टूट गए।
कृषि मंत्री ने जैसलमेर में अंधड़ से फसलों को हुए नुकसान की जिला कलेक्टर से रिपोर्ट ली
राज्य के कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया ने कलेक्टर आशीष मोदी से दूरभाष पर बात कर जैसलमेर में अंधड़ से फसलों को हुए नुकसान की रिपोर्ट ली। कृषि मंत्री ने कलेक्टर को फसलों में हुए नुकसान का कृषि विभाग, राजस्व विभाग एवं बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि की टीम से तुरंत सर्वे करवाने के निर्देश दिए।एक्सपर्ट व्यू; हवा की तेज गति रेत को आसमां तक ले जाती है
थार का रेगिस्तान तीन लाख बीस हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका 85 फीसदी हिस्सा भारत में व शेष पाकिस्तान में है। देश में रेगिस्तान के कुल हिस्से का साठ फीसदी राजस्थान में फैला हुआ है। रेगिस्तान में चलने वाली हवा यहां फैले रेत के समंदर में लहरें बना देती है। तेज हवा के साथ इन लहरों की ढीली धूल ऊपर उठ बवंडर का रूप धारण कर लेती है। रेगिस्तान में उठने वाले ये बवंडर कई बार मीलों लम्बे होते हैं। रेगिस्तानी क्षेत्र में चलने वाली हवा की गति जब रफ्तार पकड़ती है तो यह अपने साथ जमीन की सतह से ढीली धूल कणों को उड़ाना शुरू कर देती है।
हवा की रफ्तार का यह क्रम बरकरार रहने पर धूल कणों की मात्रा बढ़ती जाती है और यह धूल आसमान में छा जाती है। ज्यादातर रेगिस्तान भूमध्य रेखा के इर्दगिर्द है। इस क्षेत्र में वायुमंडलीय दबाव बहुत अधिक होता है। यह दबाव ऊंचाई पर मौजूद ठंडी शुष्क हवा को जमीन तक लाता है। इस दौरान सूरज की सीधी किरणें इस हवा की नमी समाप्त कर देती है। नमी समाप्त होने से यह हवा बहुत गर्म हो जाती है। इस कारण बारिश नहीं हो पाती है और जमीन शुष्क व गर्म हो जाती है। जमीन गर्म होने के कारण नमी के अभाव में धूल के कणों की आपस में पकड़ नहीं रह पाती है। ऐसे में ये हवा के साथ बहुत आसानी से ऊपर उठना शुरू कर देते हैं।
हवा की गति चालीस किलोमीटर से अधिक होने पर ये धूल कण एक बवंडर का रूप धारण कर लेते है। कई बार यहां 120 किमी. रफ्तार के भी रेत के बवंडर देखने को मिलते है। ये बवंडर हमेशा पश्चिम से पूर्व की तरफ ही बढ़ते हैं। बादलों के अंदर इस हवा की रफ्तार 150-200 किमी. भी होती है, इस कारण आकाशीय बिजली और गर्जना भी सुनाई देती है। डीपनेस अधिक होने के कारण जैसलमेर से रेतीले बवंडर उठते हैं, अगर कम होती है तब गंगानगर, पंजाब, जम्मू-कश्मीर तक इस असर रहता है।