क्रांतिकारी का शहीदी दिवस आज:चाचा अजीत सिंह को ढूंढते हुए 1927 में लाहौर से दोस्त के घर जाडला पहुंचे थे भगत सिंह, गदर पार्टी में कैशियर फ्रैंड के पिता से मांगी थी मदद”पगड़ी संभाल जट्टा’ लहर में अजीत सिंह को मिला था देश निकाला
मनदीप सिंह, बात आजादी से पहले की है, जब शहीद भगत सिंह जलावत्न हुए चाचा अजीत सिंह को ढूंढा करते थे, ताकि परिवार उनके साथ मिल सके। उन्हें कहीं से पता चला था कि चाचा का पता गदर पार्टी को हो सकता है, इसलिए उन्होंने गदर पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से माधो राम (कैशियर) जो सान फ्रांसिस्को में थे, के साथ संपर्क साधने के लिए कस्बा जाडला का रुख किया था। क्योंकि माधो राम शहीद भगत सिंह के बचपन के सहपाठी व दोस्त अमर चंद लखनपाल के पिता थे। जिसके चलते शहीद भगत सिंह अपने सहपाठी को ढूंढते-ढूंढते जाडला पहुंचे, जहां लायलपुर के बंगा गांव के लखनपाल परिवार के सदस्य रहते थे।
मगर यहां अमर चंद लखनपाल नहीं बल्कि उनकी मां लाजवंती उन्हें मिलीं। इस बात का जिक्र शहीद भगत सिंह ने अपने पत्र में भी किया है जो पत्र उन्होंने अमेरिका में पढ़ रहे अपने सहपाठी अमर चंद को लिखा था। वही पत्र अभी तक परिवार ने अपने पास संभाल कर रखा है।
शहीद भगत सिंह चाचा अजीत सिंह को इसलिए ढूंढ रहे थे ताकि परिवार को उनसे मिलवा सकें
शहीद भगत सिंह चाचा अजीत सिंह से मिलना चाहते थे, जिसके लिए वे उन्हें ढूंढ रहे थे। यह खुलासा भगत सिंह की ओर से अमेरिका गए अमर चंद को 1927 में लिखे गए एक पत्र से हुआ है। भगत सिंह ने यह पत्र उर्दू में लिखा था। दोस्त अमरचंद के पिता माधो राम गदर जो पार्टी में कैशियर थे, को लिखे इस पत्र के जरिए चाचा अजीत सिंह का नाम लिखे बगैर लिखा है कि सान फ्रांसिस्को वगैरा से सरदार जी (चाचा अजीत सिंह) के बारे में पता मिल सके, कोशिश करना।
कम से कम उनकी जिंदगी का यकीन तो हो। बाद में चाचा अजीत सिंह का दोबारा से अपने परिवार से संपर्क चिटि्ठयों के जरिए जुड़ गया था। जिसमें भगत सिंह द्वारा लिखी गई उस चिट्ठी ने अहम भूमिका अदा की थी।
लायलपुर के चक्क बंगा गांव में इकट्ठे रहते थे दोनों परिवार
जाडला निवासी राजिंदर लखनपाल जो स्वर्गीय अमर चंद लखनपाल के बेटे हैं, ने बताया कि उनका परिवार चक्क बंगा (पाकिस्तान के जिला लायलपुर) में रहता था, जबकि उनकी एक रिहायश जाडला में भी थी। पिता अमरचंद व भगत सिंह एक ही स्कूल में पढ़ते थे। जैतों मोर्चे के दौरान अप्रैल 1924 में लायलपुर से श्री अमृतसर के लिए रवाना शहीदी जत्थे जिसने अमृतसर से जैतों जाना था, को गांव बंगा लंगर छकाने में भगत सिंह के साथ अमरचंद ने अहम रोल निभाया।
गांव निवासी दिलबाग सिंह ने अंग्रेज सरकार के पास उनकी मुखबिरी कर दी। जिस वजह से उन्हें गांव छोड़ कर भागना पड़ा। यहीं भगत सिंह की उनके पिता की आखिरी मुलाकात थी। इसके बाद उनके पिता अपने पिता माधो राम जो उस समय अमेरिका में थे व गदर पार्टी में कैशियर थे, ने उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका बुला लिया।