वर्ल्ड वाटर-डे:चार दशक में 21 मीटर नीचे पहुंचा वाटर लेवल, ट्यूबवेल छोड़ रेनीवेल पानी ही होगा सहाराहाइड्रोलॉजिस्ट ग्राउंड वाटर लेवल सैल रोहतक द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार सोनीपत में गन्नौर ब्लॉक की स्थिति बहुत ही चिंताजनक बनी
तेजी से गिरता भू-जल स्तर और पानी की बर्बादी आने वाले दिनों में बहुत बड़ा संकट खड़ा कर सकती है। सोनीपत के सभी ब्लाकों में भू-जल स्तर बहुत तेजी से रसातल में जा रहा है। हाइड्रोलॉजिस्ट ग्राउंड वाटर लेवल सैल रोहतक द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार सोनीपत में गन्नौर ब्लॉक की स्थिति सबसे चिंताजनक है। अक्टूबर-1974 में गन्नौर में वाटर लेवल 3.59 मीटर नीचे था।
जो अक्टूबर-2020 में 25.52 मीटर पर पहुंच गया है। यानि की 46 सालों में 21.93 मीटर चला गया है। इसी तरह से राई ब्लॉक में भी 11.37 मीटर नीचे पानी चला गया है। भविष्य में नहरी और यमुना किनारे से रेनीवेल के पानी की सप्लाई पर जिले को आधारित होना होगा। अभी सेक्टरों को छोड़ शहर के ज्यादातर हिस्से में रेनीवेल की सप्लाई आ भी रही है। सेक्टरों का रेनीवेल प्रोजेक्ट अभी अटका है और ट्यूबवेल सप्लाई प्रभावित होती जा रही है।
तालाब, कुएं और नदियों में पानी की कमी होने की वजह से जलस्तर तेजी से गिर रहा है। जल संरक्षण के लिए लोगों काे अपने छत के बारिश के पानी को भी जमीन के अंदर डालना होगा। सरकारी संस्थाओं को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, वाटर रीचार्ज के अन्य स्त्रोत को अपनाना होगा। सबसे खास बात यह है कि पीने के पानी के लिए ट्यूबवेल का प्रयोग बंद किया जाना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक पानी का प्रयोग करना होगा।
जिलेभर में 57 ट्यूबवेल से कि जा रही आपूर्ति
जिले भर में पेयजल की आपूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत ट्यूबवेल है। पूरे जिले में 57 ट्यूबवेल के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। इसमें करीब 22 ट्यूबवेल सोनीपत के विभिन्न हिस्से में चल रहे हैं। सेक्टर में भी ट्यूबवेल आधारित सप्लाई है। इसके अलावा राई, गन्नौर, मुरथल आदि स्थानों पर लगे हैं। जिसके माध्यम से प्रतिदिन चार एमजीडी पानी की निकासी की जा रही है। साल में भारी मात्रा में जमीन से पानी को खींचा जा रहा है।
रैनीवेल की स्थापना ही विकल्प है
घटते भू-जल स्तर को रोकने का सबसे अच्छा तरीका पेयजल की आपूर्ति के लिए रेनीवेल का प्रयोग किया जाना है। रेनीवेल तकनीक से प्राकृतिक तरीके से जमीनी पानी को प्रयोग में लाया जाता है। जिससे किसी प्रकार का जल दोहन नहीं होता है। इस पानी हैवी मेटल व कोई हानिकारक बैक्टीरिया भी नहीं होता है। लेकिन इसके लिए नदियों का होना बहुत आवश्यक है। इसका प्रयोग प्रदेश के जिन जिलों से नदियां गुजर रही है, वहां पर किया जा सकता है।
यह है ब्लॉक वाइज ग्राउंड लेवल की स्थिति
ब्लॉक अक्टूबर-1974 अक्टूबर-2020 वाटर लेवल
गन्नौर 3.59 मीटर 25.52 मीटर 21.93 मीटर
गोहाना 3.23 मीटर 3.87 मीटर 0.64 मीटर
कथूरा 2.73 मीटर 2.45 मीटर 0.28 मीटर
खरखौदा 3.13 मीटर 4.59 मीटर 1.46 मीटर
मुंडलाना 2.43 मीटर 4.68 मीटर -2.25 मीटर
राई 4.13 मीटर 15.50 मीटर -11.37 मीटर
सोनीपत 3.21 मीटर 8.15 मीटर -4.94 मीटर
नोट: वर्ष-1974 से वर्ष-2020 तक सबसे अधिक ग्राउंड वाटर लेवल गन्नौर और राई में गिरा है। इसके बाद सबसे तेजी से सोनीपत रसातल में जा रहा है। मुंडलाना की स्थिति भी चिंताजनक है।
एक्सपर्ट व्यू : पानी की बचत और रीचार्ज की आवश्यकता है
जिले में खरखौदा और गोहाना बेल्ट में भू-जल स्तर पीने योग्य नहीं है। खारा पानी है। जबकि सोनीपत, राई, गन्नौर आदि हिस्से में पीने योग्य पानी है। सोनीपत में पीने के पानी के लिए सबसे बढ़ियां तरीका रेनीवेल प्रोजेक्ट है।
रीचार्ज के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, बरसाती को लोग स्वयं ही संरक्षित करें और गार्डेनिंग, गाड़ियों की धुलाई, कपड़ों की सफाई आदि कर जमीन के अंदर छोड़ा जाना चाहिए। हर व्यक्ति को पानी का संरक्षण करना सीखना होगा। जिसके बाद ही स्थिति में सुधार संभव है। राजीव गुप्ता, एसई जनस्वास्थ्य विभाग।