वर्ल्ड फॉरेस्ट डे आज:बीफ, पाम ऑयल और सोया जैसे 7 फूड प्रोडक्ट खा गए दो जर्मनी से ज्यादा जमीन पर लगे जंगलवर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने दी जानकारी
अगर आप भोजन और साफ हवा चाहते हैं, तो आपको जंगल की चिंता करनी पड़ेगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कुल 7.12 करोड़ हेक्टेयर जंगल बचे हैं (फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार) और इनके संरक्षण में सांस ले रहे हैं 17 लाख हेक्टेयर में फैले हुए जलस्रोत, जो भू-जल स्तर को रीचार्ज करते हैं।
वर्ल्ड फॉरेस्ट डे पर भास्कर ने भारत सहित दुनियाभर के जंगलों की सेहत जानने के लिए वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट की प्रोजेक्ट मैनेजर मिकेला वाइस और डॉ. रुचिका सिंह से बात की। यह संस्था दुनियाभर के जंगलों के घटने-बढ़ने की पूरी खबर रखती है। अमूमन इसके आंकड़े कागजी आंकड़ों से अलग लेकिन सटीक होते हैं, लिहाजा सरकारें भी इन्हें नजरअंदाज नहीं कर पातीं।
चिंता: भारत की 30% उपजाऊ जमीन रेगिस्तान बनने की कगार पर है
पशुपालन (बीफ और चीज), पाम ऑयल, सोया, कोको, रबर और कॉफी 2001 से 2015 के बीच दुनिया के 26% जंगलों की कटाई के जिम्मेदार हैं। इन उत्पादों के कारण 7.2 करोड़ हेक्टेयर या कहें तो जर्मनी के क्षेत्रफल से दोगुनी जमीन पर लगे जंगल साफ हो चुके हैं। इसका 60% जिम्मेदार पशुपालन है। हमें सोचना पड़ेगा कि जंगल उगाकर कंदमूल फल का सेवन करें या जंगल काट कर रेड-मीट और बीफ खाएं। ब्राजील, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया जैसे देशों में इन उत्पादों के कारण हमारे जंगलों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
भारत के पास दुनिया की 2.4% जमीन है जिस पर उसे दुनिया की 16% आबादी को पालना पड़ रहा है। दुनिया की 8% वनस्पति भारत में जीवित हैं। खुशखबरी ये है कि कटाई पर प्रतिबंध से 2016 के बाद भारत में पहली बार जंगल बढ़ने शुरू हुए हैं। लेकिन चिंता ये है कि भारत की 30% उपजाऊ जमीन रेगिस्तान बनने की कगार पर हैं। आज भी प्रतिवर्ष जंगल कटाई की रफ्तार 1480 करोड़ लीटर गैसोलीन जलाने के बराबर प्रदूषण उत्पन्न कर रही है। भारत में 14 करोड़ हेक्टेयर जमीन ऐसी है, जहां प्राकृतिक जंगल कुछ सालों में ही पनप सकते हैं।