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फरीदाबाद नगर निगम फ्रॉड केस:50 करोड़ के घोटाले में JE और 3 क्लर्क मिले दोषी, चारों बर्खास्त;

फरीदाबाद नगर निगम फ्रॉड केस:50 करोड़ के घोटाले में JE और 3 क्लर्क मिले दोषी, चारों बर्खास्त; दो CE पर होगी कार्रवाईफरीदाबाद में नगर निगम के 40 वार्डों में से दस वार्ड में बगैर काम के ठेकेदार को की गई 50 करोड़ रुपए पेमेंट के घोटाले में निगम प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। विभाग की आंतरिक जांच में दोषी पाए गए आउटसोर्सिंग JE राजन तेवतिया समेत अकाउंट ब्रांच के तीन क्लर्क, पंकज, तस्लीम व प्रदीप कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि दो चीफ इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार से सिफारिश की गयी है। उधर इसकी जांच विजिलेंस के पास पहुंच चुकी है। माना जा रहा है कि इस घोटाले में कमिश्नर समेत अन्य कई उच्च अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं।

घोटाले का ये है पूरा मामला
निगम पार्षद दीपक चौधरी ने अकाउंट ब्रांच से 2017 से 2019 तक विकास कार्यों का ब्यौरा मांगा था। उन्होंने पूछा था कि किस फंड से किस ठेकेदार को कितनी पेमेंट हुई। चौधरी ने बताया कि उनके वॉर्ड में 27 ऐसे कार्य हुए हैं जिनमें 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की पेमेंट दिखाई गई है। कामों में नालियों की रिपेयरिंग, इंटरलॉकिंग टाइल लगाना और स्लैब लगाने को दिखाया गया। लेकिन वहां कोई काम ही नहीं हुआ। पता करने पर ऐसे दस वार्ड सामने आए जहां काम नहीं हुआ और ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया। कुल 10 वार्डों में करीब 50 करोड़ का विकास दिखाकर ठेकेदार द्वारा गबन करने की बात सामने आयी। इस मामले की निगम पार्षददीपक चौधरी, महेंद्र सरपंच, दीपक यादव और सुरेंद्र अग्रवाल ने कमिश्नर से शिकायत दर्ज करा कार्रवाई करने की मांग की थी।

जनरल फंड से की गई थी पेमेंट
बता दें कि नगर निगम की आर्थिक हालत बेहद खराब है। जनरल फंड का इस्तेमाल छोटे मोटे खर्चे और कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए किया जाता है। विकास कार्यों के लिए तो जनरल फंड में पैसा ही नहीं बचता है। तो विकास कार्य कैसे होंगे। लेकिन साल 2017 से 2019 के बीच में 40 से 50 करोड़ रुपये की पेमेंट जनरल फंड से हुई है।

निगम की आंतरिक जांच रिपोर्ट में ये हुआ है खुलासा

निगम प्रशासन ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट में कहा है कि 27 अक्टूबर 2020 को निगम की कमेटी ने मौका मुआयना किया था। उस समय जेई राजन तेवतिया, नलकूप हेल्पर दीपक कुमार और ठेकेदार सतवीर मौके पर थे। उक्त लोगों ने कार्य होना दिखाए थे वह वर्णित सूची से अलग थे। प्रारंिभक जांच मंे ये बात सामने आयी कि 388 कार्यों में से एक भी कार्य ठेकेदार व जेई दिखाने में अस्मर्थ रहे। 388 में से 270 कार्यों की जो बाउचर मिले हैं उनमें 151 बाउचर में तत्काली जेई दीपक कुमार, एसडीओ शेर सिंह के हस्ताक्षर हैं। जांच के दौरान JE राजन तेवतिया ने कोई सहयोग नहीं किया।

जांच में ये निकला निष्कर्ष
निगम सूत्रों की मानें तो जांच में ये निष्कर्ष निकला है कि 113 कार्यों के फर्जी बाउचर तैयार करने में ठेकेदार सतवीर से मिलीभगत कर अधिकारियों ने पैरवी की। इन 113 कार्यों को पैमाइश बुक में फर्जी तरीके से दर्ज किया गया। निरीक्षण के दौरान कमेटी के सामने जानबूझ कर पैमाइश बुक को पेश नहीं किया गया। तत्कालीन SDO शेर सिंह, XEN रमन कुमार, SE और चीफ इंजीनियर ने ठेकेदार से मिलीभगत करके निगम को आर्थिक नुकसान पहुंचाने में मदद की है। निगम कमिश्नर यशपाल यादव ने आउटसाेर्सिंग चार कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी है।

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