तीन दिन चली IT की छापेमारी: धनबाद में अतिवीर ग्रुप के पास मिली 100 कराेड़ की अघाेषित आय
March 20, 2021
विधानसभा चुनाव :‘भद्रो जन’ अपने को बंगाली हिंदू और बंगाली मुसलमान बोलने से नहीं चूक रहे
March 20, 2021

क्या राज्य सरकारे संसद से पास कानून की आलोचना का प्रस्ताव पारित कर सकती हैं

सुप्रीम कोर्ट में 4 हफ्ते बाद सुनवाई:क्या राज्य सरकारे संसद से पास कानून की आलोचना का प्रस्ताव पारित कर सकती हैंसुप्रीम कोर्ट में 4 हफ्ते बाद होगी मामले की सुनवाई
क्या राज्य सरकारें संसद से पास कानून की आलोचना करने वाला प्रस्ताव पारित कर सकती हैं? इस पर सुप्रीम कोर्ट में चार हफ्ते बाद सुनवाई होगी। अदालत में इस बाबत एक जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें नागरिकता संशाेधन कानून (सीएए), कृषि सुधार कानून आदि के खिलाफ राज्य सरकारों द्वारा आलोचना प्रस्ताव पारित करने की प्रथा को चुनौती दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने शुक्रवार को इस पर सुनवाई टाल दी। बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस पर थोड़ा और रिसर्च करें। क्योंकि अदालत मुद्दे को हल करने की तुलना में अधिक समस्या पैदा नहीं करना चाहती।

लिहाजा याचिका पर चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई करेगी। समता आंदोलन नामक गैर-सरकारी संस्था ने जनहित याचिका दायर की है। इसमें याचिकाकर्ता ने कहा है कि संविधान की सातवीं अनुसूची में दर्ज केंद्रीय सूची के विषयों पर संसद ने कानून पास किए। लेकिन राजस्थान, केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने विधानसभाओं इनके खिलाफ संकल्प पारित किए।

पैरवी में दलील, बेंच के सवाल

सौम्या चक्रवर्ती (याचिकाकर्ता की वकील) – केंद्रीय सूची के विषय पर विधानसभा में चर्चा नहीं हो सकती। जो मामला कोर्ट में लंबित, उस पर भी कानून के नियम प्रस्ताव रखने की अनुमति नहीं देते। दिसंबर 2019 में सीएए के खिलाफ केरल विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव का उदाहरण दिया।

सीजेआई – ऐसे प्रस्ताव को क्यों नहीं पारित किया जा सकता? यह केवल केरल विधानसभा के सदस्यों की राय है। वे लोगों से कानून की अवज्ञा करने के लिए नहीं कह रहे हैं। केवल कानून को निरस्त करने का अनुरोध किया है।

चक्रवर्ती – उनके पास ऐसा करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।

सीजेआई – आप कह क्या रहे हैं? क्या उन्हें अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार नहीं है? वे किसी कानून का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। आपके अनुसार राज्य विधानमंडल के पास कोई अधिकार नहीं है कि संसद के कानून की अवहेलना करे। क्या वे अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं या नहीं?

चक्रवर्ती – विधानसभा की प्रक्रिया के नियमों ने इस तरह के प्रस्तावों को रोक दिया है।

सीजेआई – आप कैसे कह सकते हैं? क्या इस तरह के विधायी नियमों का कोई उदाहरण है?

चक्रवर्ती – ऐसा कोई उदाहरण मौजूद नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES