श्रीमद्भागवत कथा:आम आदमी की तरह नेता-अभिनेता व साधु संन्यासी भी कर्म के बाेध में बंधे हैं- राधे-राधेज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन पंडित राधे-राधे ने श्रद्धालुओं को दिया अच्छे कर्म करने का संदेश
इस दुनिया में चाहे काेई नेता है या अभिनेता, साधु है या संन्यासी, सभी काे किसी न किसी रूप में कर्म करने ही हाेते हैं। ये भी आम आदमी की भांति कर्मों के बाेध में बंधे हैं। कर्म विहीन व्यक्ति ताे धर्म विहीन हो जाता है। अच्छे कर्म ही मनुष्य का जीवन हैं।
यह संदेश भागवत रसिक पंडित राधे-राधे महाराज ने माॅडल टाउन स्थित मुल्तान भवन में श्री गुरु कृपा सेवा समिति के श्रीमद्भागवत कथा एवं ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन गुरुवार काे दिया। कार्यक्रम में मेयर अवनीत काैर मुख्य अतिथि व पार्षद लाेकेश नांगरू विशेष अतिथि रहे। राधे-राधे महाराज ने कहा कि कर्माें का बोध ताे सत्संग में हाेता है। इस अवसर पर भाजपा नेता हिमांशु शर्मा, तिलक राज मिगलानी, पूर्व प्रधान सूरज पहलवान, ओम प्रकाश विरमानी, वेद पराशर, रमेश खन्ना, राधेश्याम माटा, प्रीतम गुर्जर व डीबी गोयल माैजूद रहेे।
बिना धर्म के कर्म की कल्पना भी मुश्किल
यदि हम कर्म के अनुसार अपने जीवन को व्यतीत करते हैं तो हमारा जीवन उसी प्रकार से हाेगा जैसे कोई हिरण बिना चरवाहा में चर रही हो। कर्म के बिना धर्म की कल्पना करना निरर्थक है। कर्म ही धर्म की प्रथम सीढ़ी है। धर्म करने के लिए भी पहले हमें कर्म करना पड़ेगा। जिस तरह से मानव जीवन धर्म उसके सामने बौना हो जाता है, उसी प्रकार धर्म और कर्म मनुष्य जीवन के दो पहलू हैं।