मौसम अपडेट:दक्षिणी हवाओं संग आ रही धूल से बढ़ा प्रदूषण, एक्यूआई 294 तक पहुंचा; कल बूंदाबांदी से मिल सकती है राहतपश्चिमी विक्षाेभ से बदला विंड पैटर्न, 8 किमी की स्पीड से चल रही हवाएं, गुरुवार काे 31.4 डिग्री तक पहुंचा तापमान
हवा में पीएम 2.5 के कण बढ़े, सेहत के लिए नुकसानदेह
पश्चिमी विक्षाेभ के कारण बदले विंड पैटर्न से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। 8 किमी की रफ्तार से चल रही दक्षिणी हवाओं संग धूल के बारीक कण उड़ रहे हैं। इससे एयर क्वालिटी इंडेक्स मानक से तीन गुना अधिक 294 तक पहुंच गया है। माैसम विभाग के अनुसार शनिवार काे बूंदाबांदी के आसार बन रहे हैं। इसके बाद ही प्रदूषण से राहत मिल सकती है।
मार्च के शुरू हाेने के साथ ही माैसम में तेजी से बदलाव आ रहा है। 12 मार्च काे मूव हुए पश्चिमी विक्षाेभ के असर के कारण माैसम ने करवट ले ली थी। विंड पैटर्न बदल गया था। उत्तरी-पश्चिमी हवाओं का चलना बंद हाे गया। पूर्वी हवाएं चलने लगीं। इन हवाओं के चलने से दिन का तापमान बढ़ने लगा। 14 मार्च काे दिन का तापमान 25.4 डिग्री दर्ज किया गया था। जाे बढ़कर गुरुवार काे 31.4 डिग्री तक पहुंच गया।
इसलिए, हवा में बढ़ी कणों की मात्रा
वरिष्ठ माैसम विशेषज्ञ डाॅ. डीपी दुबे ने बताया कि पश्चिमी विक्षाेभ जमीनी सतह से ज्यादा ऊपर है। इस कारण हवाओं का चक्रवात राजस्थान पर बार-बार बन रहा है। इस कारण ही 16 मार्च की रात से दक्षिणी-पश्चिमी हवाओं का चलना शुरू हाे गया। दक्षिणी हवाओं के संग धूल के बारीक कण भी अा रहे हैं। इस कारण ही हवा में 2.5 कणाें की मात्रा 294 घनमीटर तक पहुंच गई है।
पाॅल्यूशन बढ़ने का एक कारण यह भी
जीटी राेड पर सिवाह माेड़ से लेकर समालखा पर कई पाॅइंट पर निमार्ण कार्य चल रहा है। इसके साथ ही सेक्टर-29 बाईपास पर भी सीवर लाइन डाला जा रहा है। तेज हवाओं के चलने के कारण और वाहनाें के तेज रफ्तार में वहां से गुजरने के कारण पूरे दिन धूल उड़ती रहती है। निर्माणाधीन स्थलाें पर पानी का छिड़काव भी नहीं किया जा रहा है।
आगे क्या, दाे डिग्री गिरेगा तापमान
माैसम विशेषज्ञ ने बताया कि शुक्रवार रात से माैसम का बदलना शुरू हाे जाएगा। तेज हवाओं और गरज संग बूंदाबांदी के आसार बन रहे हैं। इस कारण पाॅल्यूशन घट सकता है। दिन और रात के तापमान में भी दाे से तीन डिग्री तक गिरावट आ सकती है।
सांस के मरीजाें के लिए ये कण हैं घातक
सांस के मरीजाें के लिए हवा में पीएम 2.5 के कणाें की मात्रा बढ़ना नुकसानदेह है। यह कण इतने बारीक हाेते हैं जिन्हें हमारी नाक के बाल तक नहीं राेक पाते हैं। ऐसे में सांस या अस्थमा के मरीजाें काे अपनी नाक ढंककर रखने की जरूरत है।