हौसले की कहानी:प्रवीन, जिनका एक ही पैर, एक हाथ ठीक से काम नहीं करता; फिर भी लॉकडाउन से अब तक घर-घर जाकर बच्चाें काे दे रही शिक्षाप्रवीन बाेली- हालात देखकर घर ताे बैठ नहीं सकते थे, शारीरिक कमी हमारी इच्छा शक्ति को कम नहीं कर सकती
मैं 1 फरवरी 2017 से एचपीपीआई संगठन(हुमाना पीपल टू पीपल) के साथ जुड़ी हुई हूं
मैं सिरसा जिले से हूं। लेकिन पिछले तीन सालाें से पानीपत में रह रही हूं। जन्म के बाद से ही कुछ विकलांगता है। मेरा एक हाथ काम नहीं करता और दो ही अंगुली है। पैर चलते व बैठते वक्त फाेल्ड करना पड़ता है। इसके बावजूद मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी। हमेशा कुछ अलग करके इसे साबित करने की कोशिश की। मैं किसी से कमजाेर नहीं हूं। मैं जिन कामाें काे कर नहीं पाती उस काम काे भी एक बार करके जरूर देखती हूं। शारीरिक कमी हमारे हौसलों को कम नहीं कर सकती। अगर हमारे पास मजबूत इच्छा-शक्ति है, तब हम बहुत कुछ कर सकते हैं। मेरे लिए शिक्षा द्वारा अपने समाज का योगदान करना गर्व की बात है। मैं 1 फरवरी 2017 से एचपीपीआई संगठन(हुमाना पीपल टू पीपल) के साथ जुड़ी हुई हूं। ‘चाइल्ड लेबर एलिमिनेशन प्रोजेक्ट’ पानीपत के लिए काम कर रही हूं। इस संस्था के माध्यम से मैं आउट ऑफ स्कूल बच्चों को शिक्षा से जोड़ने में मदद कर रही हूं।
-जैसा कि शिक्षक प्रवीन रानी ने बताया
हीन भावना कभी मन में ही नहीं आने दी, अब ऑपरेशन की तैयारी, इसके बाद लगेगा कृत्रिम पैर
प्रवीन ने कहा कि बचपन में दाेस्ताें ने उसपर मजाक किया। इसके बाद माता-पिता ने समझाया कि तुम जैसे और भी हैं, खुद काे माेटिवेट कराे और सकारात्मक रहाे। इसके बाद कभी भी हीन भावना मन में नहीं आने दी। लाॅकडाउन से लेकर अब तक बच्चाें की क्लास नहीं लग रही, लेकिन वह राेज घर-घर जाकर ग्रुप में बच्चाें काे पढ़ा रही हैं, ताकि पढ़ाई में काेई बच्चा पीछे न रहे। मुझसे बड़ा भाई है, एक्सीडेंट हाेने के बाद पिछले 13 सालाें से बिस्तर पर है। उसके दिमाग पर चाेट लगी है। हुमाना संस्था की सदस्य सुधा झा ने बताया कि संस्था के प्रोजेक्ट हेड विनोद सोलंकी ने शुरुआत से ही प्रवीन की शिक्षा एवं ट्रेनिंग में इनकी काफी मदद की। अब प्रवीन काे जयपुर भेजकर कृत्रिम पैर लगवाने की कोशिश की जा रही हैं, लेकिन उससे पहले ऑपरेशन हाेगा। इसके बाद ही कृत्रिम पैर लगवाया जाएगा।