सांसें फुला रहा प्रदूषण:इंडस्ट्रियल सिटी पानीपत, सोनीपत और पलवल से खराब रोहतक की आबोहवास्विट्जरलैंड की संस्था आईक्यूएयर की 2020 की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में रोहतक भी
एक्यूआई@290- यानि दिल के मरीज सबसे ज्यादा खतरे में, स्वस्थ लोग भी सांस से जुड़ी बीमारियों की जद में
2 बड़े कारण- शहर में खुले में जल रहा कूड़ा, वाहनों से निकलने वाला धुआं भी हवा में घोल रहा जहर
बेहतरीन आबोहवा के साथ मौैसम माकूल बना है, पराली भी नहीं जल रही, वातावरण भी परिवर्तनशील बना है। हवाएं भी क्षितिज के समानांतर चल रही हैं। यानि पर्यावरणविद की नजर में ऐसा कोई कारण नहीं कि प्रदूषण का स्तर बढ़े, फिर भी पीएम 2.5 का स्तर 290 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर काे भी पार कर गया है। इसका असल कारण वाहनाें के धुएं, कचरा जलाने, कच्ची सड़काें से उड़ती धूल और नियमाें काे ताेड़कर सुलग रही भट्ठियां हैं। जाे मानव निर्मित कारण है।
दअरसल हाल ही में स्विट्जरलैंड की संस्था आईक्यूएयर की 2020 की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट जारी हुई है। इसमें दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में रोहतक भी शामिल है। पीएम 2.5 की मात्रा हवा में 291 एमजी तक दर्ज की गई। प्रदूषण के इस स्तर ने पानीपत, पलवल और सोनीपत काे भी पछाड़ दिया है, जाेकि औद्याेगिक नगरी के ताैर पर सबसे ज्यादा जाने जाते हैं। ये चिंता की बात है।
ये करने हाेंगे उपाय
निगम एरिया में सड़काें की सफाई रात के समय की जानी चाहिए, ताकि मिट्टी रात में बैठ जाए।
ट्रैफिक काे कम करते हुए पब्लिक ट्रांसपाेर्ट पर जाेर देना चाहिए।
कंस्ट्रक्शन और निर्माण सामग्री काे ढककर या पानी छिड़ककर रखना चाहिए।
कूड़ा जलाने पर पूरी राेक हाेनी चाहिए।
वाहनाें की प्रयाेग कम किया जाए।
पानीपत-पलवल काे पछाड़ प्रदूषण में 7वें नंबर पर पहुंचा राेहतक
प्रदेश में इंडस्ट्रियल सिटी जैसे जिलों से भी प्रदूषण में आगे निकलना पूरे रोहतक के लिए चिंता का विषय है। पानीपत, सोनीपत, पलवल जैसे पहले प्रदूषण में आगे रहे जिलों को रोहतक पीछे छोड़ 7वंे नंबर पर आ गया है। इस सीजन में अब तक की सबसे ज्यादा खराब हवा इस समय है। जबकि पिछले साल काेराेना काल में सितंबर में एक्यूआई 55एमजी पर दर्ज किया गया था। अब इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई है। ये सांस के मरीजों के लिए बेहद गंभीर स्थिति है।
एक्सपर्ट व्यू- मानव उत्सर्जित प्रदूषण सबसे बड़ा जिम्मेदार
माैसम के लिए फिलहाल अच्छा वातावरण सिस्टम नजर आ रहा है, लेकिन मानव उत्सर्जित प्रदूषण ही सबसे बड़ा कारण है, जिसके चलते समस्या बढ़ती है। शहर में वाहनाें की बढ़ती संख्या और उनसे निकलते धुएं के अलावा जहरीली गैसें, निर्माण कार्य और उद्याेगाें की चिमनियां भी प्रदूषण उगल रही है। इस प्रदूषण काे आमजन काे अपनी ड्यूटी मानकर भी कम करने के लिए आगे आना चाहिए। जबकि सरकार की ओर से उपाय के ताैर पर बीएस-6 इंजन भी लागू कर दिया गया है, लेकिन वाहनाें की संख्या में आए दिन इजाफा हाे रहा है।