शतरंज के शौकीनों के लिए यहां बिछती है बिसात:कोलकाता के गरियाहाट फ्लाईओवर के नीचे, दोपहर बाद तीन से नौ बजे के बीच देखिए, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, हर रोज!फ्लाईओवर के नीचे रोज सजती है शतरंज की बिसात, औसतन 50 खिलाड़ी खेलते हैं बाजियां
गरियाहाट शतरंज क्लब में फिलहाल 100 से ज्यादा सदस्य, हर साल तीन टूर्नामेंट भी होते हैं
बंगाल के बड़े फिल्मकार हुए हैं, सत्यजीत रे। उन्होंने 1977 में एक फिल्म बनाई थी, ‘शतरंज के खिलाड़ी।’ इसकी कहानी मुख्य रूप से शतरंज के दीवाने दो जमींदारों के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन अगर किसी को फिल्मी पर्दे से बाहर वैसे ही दीवाने ‘शतरंज के खिलाड़ी’ देखना हो, तो वह कोलकाता आए।
स्थान- गरियाहाट फ्लाईओवर। वक्त- रोज दोपहर बाद तीन से नौ बजे। यहां फ्लाईओवर की रेलिंग से लगीं खुले पिंजरेनुमा आठ बैठकें हैं। इनमें 26 स्टूल और 13 मेजें रखी हैं। मेजों के ऊपर घुमावदार लैंप लटक रहे हैं। रोशनी के लिए।
इन बैठकों के प्रवेश द्वार पर ताले नहीं लगाए जाते। ताकि किसी को आने-जाने की रोक-टोक न लगे। यही वजह है कि रोज तय वक्त से पहले ही यहां शतरंज के शौकीनों की बड़ी आमद शुरू हो जाती है। खेलने और देखने वाले दोनों। उम्र, प्रतिभा, योग्यता के पैमाने पर जो चाहे, अपनी जोड़ के खिलाड़ी से मुकाबले के लिए बैठ सकता है। बच्चे, बड़े सब। उम्र, जेंडर का भेद नहीं। खेल में औसतन 50 खिलाड़ी हर वक्त रहते हैं।
सिलसिले की शुरुआत 1987 में हुई थी। यहां से कुछ दूरी पर खादी के कपड़ों की दुकान है। वहीं फेरीवालों ने शतरंज की बाजी बिछाना शुरू की थी। फिर 2006 में फ्लाईओवर बन गया। शतरंज के शौकीन उसके नीचे बैठने लगे। पास की ही बहुमंजिला इमारत ‘मेघमल्हार’ में रहने वाले देबाशीष बसु ने यह देखा तो वे आगे आए। साथियों के साथ ‘गरियाहाट चेस क्लब’ बना दिया। आज इसमें 100 सदस्य हैं। हर साल तीन टूर्नामेंट होते हैं। दो- सदस्यों के लिए, यहीं। एक ओपन, पास के हॉल में। इसी 21 फरवरी को हुए ओपन में 200 भागीदार थे।
ग्रैंडमास्टर्स निकल चुके हैं यहां से, अक्सर हाथ आजमाने आते भी रहते हैं
शहर की हॉकर्स यूनियन के नेता अभिजीत डे गरियाहाट क्लब के सचिव हैं। वे बताते हैं, ‘ग्रैंडमास्टर दीप्तायन घोष, सायंतन बोस इसी क्लब से निकले हैं। नवंबर-2019 में चीनी ग्रैंडमास्टर डिंग लिरेन और अमेरिकी- हिकारू नाकामूरा यहां हाथ आजमा चुके हैं। दिब्येंदु बरुआ, तानिया सचदेव क्लब के सदस्य हैं।