किसान आंदोलन पर हरियाणा के CM का इंटरव्यू:खट्टर बोले- कानून किसानों के लिए, आंदोलन गलत और राजनीतिक है; यह जल्द ही खत्म हो जाएगाहरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि यह आंदोलन किसानों का है ही नहीं। कांग्रेस की राजनीति किसानों को बरगलाना है। किसान को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो और वे संपन्न बनें, इसीलिए ये तीनों कृषि सुधार कानून बनाए गए हैं। ये कानून वैकल्पिक हैं। इन्हें किसानों पर थोपा नहीं जा रहा है।क्या किसानों का आंदोलन सही है?
नहीं, आंदोलन सही नहीं है। किसानों को गुमराह किया जा रहा है। विपक्षी नेता किसान आंदोलन की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम कर रहे हैं। तथाकथित किसान नेताओं की एक लॉबी है, जो सरकार के खिलाफ राजनीतिक एजेंडे पर काम कर रही है। हम कृषि कानूनों की सच्चाई बताने के लिए निरंतर किसानों के संपर्क में हैं। मुझे विश्वास है, जल्द ही आंदोलनकारी कृषि कानूनों के लाभ समझ जाएंगे।
कानून रद्द करने की मांग पर क्या कहेंगे?
किसानों के हित में लाए कृषि कानूनों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। केंद्र कह चुकी है ये कानून किसानों के हित में हैं। इसमें संशोधन के लिए सरकार तैयार है। किसानों के साथ केंद्र सरकार बातचीत कर रही है। प्रधानमंत्री खुद कह चुके हैं कि किसानों के लिए हमेशा दरवाजे खुले हैं, जब मर्जी बात कर सकते हैं। जबरदस्ती खड़ा किया जा रहा आंदोलन जल्दी ही खत्म हो जाएगा।
कृषि कानूनों से कैसे, क्या फायदा मिलेगा?
अमूमन ट्रेड हमेशा डिमांड व सप्लाई पर निर्भर करता है। किसान मर्जी से फसल बेच सकते हैं। कई फसलें ऐसी हैं, जिनका MSP कम है और किसानों की फसल कहीं अधिक दामों पर बिकती है।
आंदोलन के लिए आप किसे दोषी मानते हैं?
इस आंदोलन के लिए कांग्रेसी दोषी हैं। कांग्रेस खुद इसी तरह के कानून लाना चाहती थी और उन्हें किसानों के लिए अमृत-तुल्य मान रही थी। अब भाजपा की केंद्र सरकार ये कानून लाई है तो वह इन्हें विष बता रही है। कांग्रेसी नेता MSP की गारंटी की बात कर रहे हैं। वे अपने शासनकाल में MSP की गारंटी क्यों नहीं दे पाए।
पड़ोसी राज्यों की तरह हरियाणा कर्जमाफी देगा?
जो इस तरह के वादे करते हैं, असल में वे पूरे नहीं होते। पड़ोसी राज्यों में भी ऐसा ही हुआ है। हमने नीति बनाकर 7 लाख किसान परिवारों को NPA से बाहर किया है। फसली ऋणों से राहत की एकमुश्त निपटान योजना में 3 लाख 8 हजार किसानों की 1001 करोड़ 72 लाख रुपए की ब्याज व जुर्माना राशि माफ की है। किसान को इतना समर्थ बनाना है कि उसे कर्ज लेना ही न पड़े।
आप ही बता दें कि किसानों की आय कैसे बढ़ेगी?
हरियाणा कृषि प्रधान है। खेती-किसान कल्याण हमारी नीतियों के केंद्र में हैं। किसानों को बीज से लेकर बाजार तक सुविधा और फायदे दिलाएं, ऐसे प्रयास कर रहे हैं। प्रभावी सिंचाई पद्धतियां, गुणवत्तापरक खाद-बीज, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां जैसे काम हो रहे हैं। पशुपालन, डेयरी, मत्स्य व मधुमक्खी पालन भी करा रहे हैं।
आंदोलन में आपके हरियाणा के किसान भी शामिल हैं?
आंदोलन में प्रदेश के बहुत कम किसान हैं। गणतंत्र दिवस की घटना के बाद से हरियाणा के किसान सजग हो गए हैं। उन्हें पता है देश विरोधी ताकतें भी खेल रही हैं। कानून के फायदे अन्य राज्यों के किसान समझते हैं, यहां भी समझेंगे।