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अमरिंदर बोले-कानून निजी कंपनियों के हित में, किसान नहीं झुकेंगे; सरकार को पीछे हटना ही पड़ेगा

अमरिंदर बोले- कानून निजी कंपनियों के हित में, किसान नहीं झुकेंगे; सरकार को पीछे हटना ही पड़ेगापंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों पर कहा कि कृषि सुधार के लिए लाए गए तीनों कानून निजी कंपनियों के हित में हैं। सरकार को इसे वापस लेना ही होगा। जब तक सरकार इन कानूनों को रद्द नहीं कर देती, किसान नहीं झुकेंगे।

उन्होंने कहा कि अगर राज्यपाल ने राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में पास तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव को आगे नहीं भेजा, तो विधानसभा में दोबारा प्रस्ताव पास किया जाएगा। यदि राष्ट्रपति ने भी अनदेखी की, तो सरकार कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।तीनों कृषि कानूनों में क्या-क्या खामियां है?
सबसे बड़ी कमी कानूनों में केंद्र का निजी कंपनियों की ओर एकतरफा झुकाव नजर आना है। MSP का बैरियर समाप्त कर निजी कम्पनियों को मनमाने दामों पर फसल खरीद की छूट दी गई है। बाजार में फसलों के दाम बढ़ाने के लिए कंपनियों को असीमित स्टॉक करने की छूट दी गई है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान को अपनी जमीन पर स्वामित्व बनाए रखने के लिए चुनौतियां झेलनी होंगी। कंपनियां अपने ढंग से जमीन का इस्तेमाल करेंगी, किसान मजदूर होगा।

कानूनों को रद्द करना चाहिए या संशोधन संभव?
केंद्र सरकार को किसानों की मांग मानते हुए इन तीनों काले कानूनों को रद्द ही करना चाहिए। मंडी से बाहर फसल की मनमाने दामों में खरीद पर नियंत्रण, स्टॉक लिमिट और कॉन्ट्रैक्ट की हालत में किसान के ही स्वामित्व के लिए संशोधन नहीं बल्कि कानूनों को रद्द करना जरूरी है।

आंदोलन को लेकर क्या कहेंगे?
किसानों ने आंदोलन अपना अस्तित्व बचाने के लिए किया है। शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने भी शांतिपूर्ण आंदोलन के अधिकार की पुष्टि की है। भाजपा के कई नेताओं ने इस आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की है और कर भी रहे हैं। किसानों से अपील है कि वे शांतिपूर्ण ढंग से कृषि पर अपना अधिकार बनाए रखने के लिए आंदोलन जारी रखें।

पंजाब निकाय चुनाव में जीत पर आप क्या कहेंगे?
निकाय चुनाव ने साबित किया है कि पंजाब में हमारी सरकार ने जनता का विश्वास जीता है। पंजाब के लोग विपक्षी पार्टियों की झूठी दलीलों को लेकर जागरूक हैं और जानते हैं कि कौन उनके हित में है और कौन नहीं।

2022 विस चुनाव आपके नेतृत्व में लड़ा जाएगा?
चुनाव के नेतृत्व के मुद्दे पर पार्टी नेतृत्व फैसला करेगी। हाईकमान जो भी तय करेगी, सभी मानेंगे।

आपकी सरकार का 1 साल शेष है, कितने वादे पूरे हुए?
पांच साल की अवधि में चुनावी वादे पूरे करने की दिशा में तेजी से काम किया है। किसानों की कर्ज माफी, स्मार्ट फोन देने और घर-घर नौकरी के वादों पर सरकार ने गंभीरता से काम किया है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन को भी दोगुना किया है। अब तक 84% से भी अधिक वादों को पूरा किया गया है। जोकि एक रिकॉर्ड है।

अकाली दल कह रहा है कि इन चुनावों में जो पार्टी दूसरे नंबर पर रहती हैं विस चुनावों में वही जीतती है?
अकाली दल को निकाय चुनाव में कहने भर का दूसरा स्थान मिला है। अकाली दल जो मर्जी कहे, लोगों ने कांग्रेस को बम्पर सीटें जिताकर अकाली दल को आईना दिखा दिया है।

यह आंदोलन पंजाब-हरियाणा से बाहर प्रभावी नजर नहीं आता?
किसानों की लड़ाई हमेशा पंजाब-हरियाणा से ही शुरू हुई है। हम राष्ट्रपति तक जाएंगे। वे भी न माने तो कोर्ट जाएंगे। किसानों को पूरे देश से समर्थन है। सब साथ आएंगे। कानून रद्द करने ही पड़ेंगे।

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