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गर्मी का ग्राफ बढ़ा, किसानों ने मांगी मुफ्त बिजली-पानी व अन्य सभी सुविधाएं

टिकरी बॉर्डर पर किसान आंदाेलन का 108वां दिन:गर्मी का ग्राफ बढ़ा, किसानों ने मांगी मुफ्त बिजली-पानी व अन्य सभी सुविधाएं, एसडीएम आफिस में आज होगी बैठककृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन जारी, धरने पर अब महिला-पुरुषों के साथ बच्चे भी पहुंच रहे टिकरी बॉर्डर पर
बहादुरगढ़ में फरवरी के बाद अब मार्च का महीना भी गर्मी का रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में है इसी कारण जिन किसानों के पास पंखे व कूलर नहीं है वे हवादार झोपड़ी तैयार कर रहे हैं जिससे रात के समय झोपड़ी में हवा आती रहे। इसके साथ ही शनिवार को मौके पर पहुंचे अधिकारियों से किसानों से किसानों ने गर्मी का ग्राफ बढ़ने के कारण बिजली-पानी व अन्य सभी सुविधाओं की भी मांग की है।

इसे लेकर अधिकारी न तो हां करने की स्थिति में है और न। अब सोमवार की बैठक के बाद स्थिति साफ होगी कि प्रशासन अब किसानों से क्या चाहता है। वैसे भी इस बार 11 मार्च के दिन ही तापमान 35 डिग्री के पार हो गया है व रात भर किसान जाग कर रात पूरी होने का इंतजार करते हैं।

वैसे गत वर्ष भी मार्च का महीना काफी ठंडा रहा था। यहां तक कि मार्च के महीने में एक दिन भी ऐसा नहीं आया था जब तापमान 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया हो। आज बहादुरगढ़ का अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड पार कर गया।

बाकी सभी वर्षों में पैंतीस डिग्री से ज्यादा तापमान मार्च के दूसरे पखवाड़े में ही पहुंचा है। इस बार सामान्य से ज्यादा गर्मी महसूस की जा रही है। हालांकि, हल्की बूंदाबांदी के चलते पिछले दो दिन थोड़े राहत भरे रहे हैं पर अब फिर से गर्मी का ग्राफ बढ़ने लगा है।

तापमान बढ़ने के आसार
बहादुरगढ़ में अगले चार-पांच दिनों के भीतर तापमान में तेजी से इजाफा होने के आसार हैं। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले कुछ दिनों में सुबह के समय हल्की धुंध भी देखने को मिलेगी। जबकि, दिन के समय मौसम साफ रहेगा। दिनभर धूप निकलने के चलते अधिकतम तापमान पैंतीस डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के आसार हैं। न्यूनतम तापमान भी 15 डिग्री को पार कर गया है।

शहर में एक्यूआई 200 अंक रहा

हवा की रफ्तार कम होने के चलते एमआईई व टिकरी बॉर्डर के पास हवा लगातार ही खराब श्रेणी में बनी हुई है। रविवार के दिन औसत एमआईई 200 के अंक पर यानी खराब श्रेणी में रहा। अगले दो दिनों के बीच प्रदूषण के स्तर में इजाफा होगा।

पंडालाें में बहादुरगढ़ के आसपास के किसान पहुंचे : टिकरी व नया गांव में चल रहे किसानों के पंडालों में रविवार को स्थानीय किसानों के पहुंचने पर पंडालों में किसानों की संख्या फिर से बढ़ी। अब मौसम खुलने के कारण तीन बजे के स्थान पर करीब साढ़े तीन बजे तक सभा चलने लगी है। उसके बाद किसान अपनी झोपड़ियों को तैयार करने में जुट जाते हैं।

इसी तरह से सुबह 11 बजे तक व दोपहर को तीन से छह बजे कर केवल झोपड़ी बनाने का काम चलता है। बहादुरगढ़ कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। सरकार के रवैये से तो किसान परेशान हैं ही, गर्मी भी इन पर सितम ढा रही है। पहले ठंड व फिर बरसात के बाद अब गर्मियों का सितम शुरू होने से पहले ही किसानों ने ट्रालियों के पंजाब व गांवों में वापस जाने के बाद पक्के मकान बनाने का काम पूरी तेजी के साथ शुरु हो गया है

। किसानों ने ईंटों से मकानों को इस तरह से बनाना शुरू किया कि जैसे गांव में कमरे तैयार किए जाते हैं। किसानों ने बताया कि किसान का अधिकतर समय गांव में नहीं खेत में बने कमरों में ही निकलता है। उसी तर्ज पर छोटे-छोटे भवन तैयार किए जा रहे हैं। जल्द ही पूरे बाइपास पर जहां-जहां किसानों ने ट्रालियों को खड़ा करके अपने अपने जिले व गांव के नामों से काॅलाेनियां तैयार की हुई है वहीं पर पक्के मकान तैयार किए जाने हैं जिससे किसान यहां कई-कई सालों तक आंदोलन को चला सके।

पत्थराें के साइन बाेर्ड लगाए : किसानों ने कहा कि समस्याओं से घिर जाने के बावजूद किसानों ने हार नहीं मानी है। आंदोलन को तेज करने के साथ-साथ खुद के बचाव के लिए किसानों ने अब पक्के मकान बनाने की शुरुआत कर दी है। पत्थराें के साइन बाेर्ड लगाए कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष करते किसानों को पहले ठंड से जूझना पड़ रहा था तो अब गर्मी से परेशानी बढ़ गई है।

इतनी परेशानियों का सामना करने के बावजूद किसानों ने हिम्मत नहीं छोड़ी है। टिकरी बॉर्डर से आसौदा तक सभी ट्रालियों के फसल कटाई में जाने से पहले ही सभी के पक्के मकान व काॅलोनियों के हिसाब से तैयार कर लिए जाए जिससे गर्मियों में किसानों को रात काटने में परेशानी नहीं हो।

ढासा बॉर्डर के धरने पर तेज हवाओं से उखड़े टेंटों को किसानों ने किया ठीक

बादली | ढासा बॉर्डर के धरने पर पिछले दो-तीन दिनों से खराब हुए मौसम का असर देखने को मिला। धरने पर लगाए गए टेंट व किसानों के बैठने के लिए गर्मी के मौसम में डाले गए छप्पर आदि उड़ गए या टूट गए। किसानों ने इन धरना स्थलों को ठीक करने का काम शनिवार और रविवार को भी किया।बता दें कि झज्जर गुरुकुल के वार्षिक कार्यक्रम में पहुंचने वाले बीजेपी व जेजेपी नेताओं का विरोध करने के लिए काफी बड़ी संख्या में ढासा बॉर्डर के किसान भी चाहार खाप के आह्वान पर झज्जर में पहुंचे हुए हैं।

किसानों ने अपने तेज हवाओं, बरसात के कारण खराब हुए टैंटों को ठीक करने का काम तेजी से करना शुरू किया। किसानों ने आंधी से उजड़े असशियानों को विभिन्न गांवों से आए किसानों की सहायता से ठीक किया। उन्हें दोबारा से किसानों के बैठने लायक करने का काम किया। तेज हवाओं ने किसानों के टेंट को काफी क्षति पहुंचाई थी। टेंट कई स्थानों से फट गया था व बांस-बल्ली उखड़ गई थी, जिन्हें अब दोबारा से लगभग ठीक कर लिया गया है।

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